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महत्त्वपूर्ण संस्थान
राजस्व बोर्ड
« »11-Oct-2024
परिचय
राजस्व बोर्ड भारत में राजस्व न्यायालय का एक प्रकार है।
- राजस्व बोर्ड का मुख्य उद्देश्य भूमि राजस्व से संबंधित सभी मामलों, कृषि भूमि की सीमाओं और किरायेदारी से संबंधित मामलों को सुलझाना होता है।
राजस्व बोर्ड का गठन
- बोर्ड के सदस्य
- इसमें एक अध्यक्ष और राज्य सरकार द्वारा चुने गए अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
- बोर्ड के सदस्य निपटान, अपील या संशोधन के मामलों के बारे में निर्णय देते हैं।
- बोर्ड के सदस्य राज्य सरकार के पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के अनुसार कार्य करते हैं।
- राज्य सरकार द्वारा नियुक्त आयुक्त या अपर आयुक्त।
- कलेक्टर या अपर कलेक्टर
- कलेक्टर राजस्व बोर्ड का प्रभारी व्यक्ति होता है।
- प्रत्येक ज़िले में एक कलेक्टर और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक अपर कलेक्टर होगा।
- सहायक कलेक्टर
- राज्य सरकार किसी ज़िले में एक या एक से अधिक तहसीलों के लिये अतिरिक्त उप-विभागीय अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिये प्रथम श्रेणी सहायक कलेक्टर की नियुक्ति कर सकती है।
- मुख्य राजस्व अधिकारी
- कलेक्टर द्वारा उसे एक या एक से अधिक तहसीलों का प्रभारी नियुक्त किया जाएगा।
- वह गाँव के अभिलेख रखेगा और अन्य बातों के अलावा यह सुनिश्चित करेगा कि अभिलेखों का रखरखाव, पर्यवेक्षण और सुधार किया जाए।
- निपटान अधिकारी और सहायक निपटान अधिकारी
- पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने में सहायता करता है।
- रिकॉर्ड अधिकारी और सहायक रिकॉर्ड अधिकारी
- ये अधिकारी राजस्व न्यायालयों के दिन-प्रतिदिन के लेन-देन में आवश्यक पक्षों के रिकार्ड को बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- तहसीलदार (न्यायिक)
- वह एक कर अधिकारी होता है जिसके साथ एक राजस्व निरीक्षक भी होता है।
- वह तहसीलों से भूमि पर कर वसूलने के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- नायब तहसीलदार
- राज्य सरकार आवश्यकतानुसार तहसीलों के लिये नायब तहसीलदारों की नियुक्ति कर सकती है।
भारत में राजस्व बोर्ड की शक्ति
- बोर्ड अधीनस्थ न्यायालयों के कामकाज़ की जाँच करने के लिये किसी भी कार्यवाही से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड मांग सकता है।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि निचले न्यायालयों में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है।
- बोर्ड को स्वप्रेरणा से या किसी व्यक्ति के आवेदन पर अपने आदेश की समीक्षा करने या उचित समझे जाने पर आदेश पारित करने का अधिकार होता है।
- बोर्ड को मामलों को एक राजस्व न्यायालय से दूसरे में या उसी या दूसरे ज़िले में उच्च या समकक्ष रैंक के न्यायालय में स्थानांतरित करने का अधिकार होता है।
राजस्व बोर्ड की अधिकारिता
- राजस्व बोर्ड को मामलों का स्वतंत्र रूप से समाधान करने का अधिकार प्राप्त होता है और सिविल न्यायालयों को ऐसे वादों पर विचार करने का कोई अधिकार नहीं होता है जो राजस्व न्यायालयों के दायरे में आते हैं।
- राजस्व बोर्ड किसी ज़िले का सर्वोच्च राजस्व न्यायालय होता है।
- अंतिम अपील राजस्व बोर्ड द्वारा सुनी जाती है।
- इसके अधीनस्थ निम्नलिखित न्यायालय होते हैं:
- आयुक्तों के न्यायालय
- कलेक्टर
- तहसीलदार
- सहायक तहसीलदार
भारत में राजस्व बोर्ड की राज्यवार सूची
- उत्तर प्रदेश में राजस्व न्यायालय
- छत्तीसगढ़ में राजस्व न्यायालय
- मध्य प्रदेश में राजस्व न्यायालय
- झारखंड में राजस्व न्यायालय
- पंजाब में राजस्व न्यायालय