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महत्त्वपूर्ण संस्थान

प्रवर्तन निदेशालय (ED)

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 19-Apr-2024

परिचय:

आर्थिक अपराध जाँच एवं प्रवर्तन के क्षेत्र में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) भारत में एक दुर्जेय शक्ति के रूप में खड़ा है। इसकी स्थापना 1 मई 1956 को हुई थी।

  • यह प्रमुख एजेंसी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तत्त्वावधान में संचालित होती है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य वित्तीय अपराधों, मनी लॉन्ड्रिंग एवं विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन से मुकाबला करके देश की आर्थिक अखंडता की रक्षा करना है।

प्रवर्तन निदेशालय का इतिहास क्या है?

  • ED की उत्पत्ति का पता वर्ष 1947 में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) की शुरुआत से लगाया जा सकता है।
    • इसे FERA के प्रावधानों को लागू करने का काम सौंपा गया था।
  • इन वर्षों में, इसकी ज़िम्मेदारियाँ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 तथा अन्य आर्थिक विधियों को सम्मिलित करने के लिये विस्तारित हुईं।

प्रवर्तन निदेशालय की संगठनात्मक संरचना क्या है?

  • ED का नेतृत्व एक निदेशक करता है, जो भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर का भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी होता है।
  • एजेंसी की संगठनात्मक संरचना में तीन मुख्य प्रभाग सम्मिलित हैं: नई दिल्ली में मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय एवं उप-क्षेत्रीय कार्यालय।
  • मुख्यालय तंत्रिका केंद्र के रूप में कार्य करता है, नीतियाँ बनाता है, संचालन का समन्वय करता है तथा क्षेत्र इकाइयों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • देश भर में रणनीतिक रूप से स्थित क्षेत्रीय कार्यालय, अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर उप-क्षेत्रीय कार्यालयों की देखरेख करते हैं।

प्रमुख कार्य एवं ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं?

  • धन शोधन जाँच:
    • ED के प्राथमिक कार्यों में से एक PMLA के अधीन धन शोधन के मामलों की जाँच करना है।
    • इसमें गलत तरीके से अर्जित धन की आवागमन पर दृष्टि रखना, दूषित धन के स्रोतों की पहचान करना एवं यह सुनिश्चित करना सम्मिलित है कि अपराध की आय को प्रभावी ढंग से संलग्न एवं अभिग्रहण किया जाए।
  • विदेशी मुद्रा उल्लंघन:
    • एजेंसी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के अधीन विदेशी मुद्रा उल्लंघन से संबंधित प्रावधानों को लागू करने के लिये भी उत्तरदायी है।
    • इसमें विदेशी मुद्रा के अनाधिकृत अधिग्रहण या अंतरण, निर्यात-आयात नियमों के उल्लंघन एवं विदेशी मुद्रा विनिमय से संबंधित अन्य अपराधों के मामलों की जाँच सम्मिलित है।
  • संपत्ति का पता लगाना एवं संलग्न करना:
    • ED के अभियानों का एक महत्त्वपूर्ण पहलू, अपराध की आय से प्राप्त संपत्तियों का पता लगाना एवं उन्हें कुर्क करना है।
    • इस प्रक्रिया में आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से अर्जित बैंक खातों, अचल संपत्तियों एवं अन्य संपत्तियों की पहचान करना तथा उन्हें फ्रीज़ करना, उनके अपव्यय या निपटान को रोकना सम्मिलित है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • तेज़ी से बढ़ते वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में, ED अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों एवं उनके समकक्षों के संग सक्रिय रूप से सहयोग करता है।
    • इस सहयोग में गुप्त सूचना साझा करना, संयुक्त जाँच करना एवं अवैध तरीकों से प्राप्त संपत्तियों के प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करना सम्मिलित है।

हाई-प्रोफाइल मामले तथा उनकी उपलब्धियाँ क्या हैं?

पिछले कुछ वर्षों में, ED ने राजनीतिक हस्तियों, व्यापारियों एवं संगठित अपराध सिंडिकेट से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जाँच की है तथा अभियोजन किया है। इसकी कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  • 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला:
    • ED ने कुख्यात 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हज़ारों करोड़ रुपए की संपत्ति की जाँच तथा बरामदगी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें भ्रष्टाचार एवं मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप सम्मिलित थे।
  • विजय माल्या मामला:
    • एजेंसी ने एक व्यवसायी से संबंधित भारतीय बैंकों से लिये गए ऋण के धन शोधन मामले में 9000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कुर्क किया।
  • नीरव मोदी मामला:
    • करोड़ों रुपए के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी मामले में ED की जाँच में हीरा व्यापारियों के 7,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई।

चुनौतियाँ एवं आलोचनाएँ क्या हैं?

जबकि ED ने आर्थिक अपराधों पर नकेल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसे चुनौतियों एवं आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। कुछ चुनौतियों में शामिल हैं:

  • संसाधनों की कमी:
    • एजेंसी में अक्सर कर्मचारियों की कमी एवं कम वित्तीय पोषण के लिये आलोचना की गई है, जिससे, इसकी संपूर्ण एवं कुशल जाँच करने की क्षमता में बाधा आ सकती है।
  • अतिक्रमण का आरोप:
    • विशेष रूप से राजनीतिक विरोधियों या असंतुष्टों से जुड़े मामलों में ED की कथित अतिरेक एवं अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
  • लंबी विधिक प्रक्रियाएँ:
    • आर्थिक अपराधों की जटिल प्रकृति एवं अक्सर लंबी चलने वाली विधिक प्रक्रिया जाँच को लंबा खींच सकती हैं तथा मामलों के समाधान में विलंब कर सकती हैं।

निष्कर्ष:

  • आर्थिक अपराधों एवं धन शोधन के विरुद्ध भारत की लड़ाई में ED एक मज़बूत शक्ति के रूप में खड़ा है। अपने समर्पित प्रयासों, व्यापक जाँच एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, एजेंसी ने देश की आर्थिक अखंडता को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।