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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय
« »07-Jun-2024
परिचय:
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की स्थापना 1 नवंबर 1966 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत की गई थी।
- उच्च न्यायालय के निकट ही चंडीगढ़ नगर का धातु से बना हुआ आधिकारिक प्रतीक स्थित है। जो यह प्रदर्शित करता है कि यह नगर “प्रदान करने लिये तथा स्वीकार करने के लिये खुला है”।
- पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 38 स्थायी और 30 अतिरिक्त, स्वीकृत पद हैं।
- पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- स्वतंत्रता के पूर्व:
- भारत सरकार अधिनियम, 1915 के आधार पर, पंजाब और दिल्ली प्रांतों के लिये उच्च न्यायालय की स्थापना की गई तथा इसे 'लाहौर उच्च न्यायालय' कहा जाने लगा।
- स्वतंत्रता के पश्चात्:
- स्वतंत्रता के पश्चात्, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की धारा 9 के तहत गवर्नर जनरल के आदेश के आधार पर 15 अगस्त, 1947 को शिमला में पूर्वी पंजाब उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
- 17 जनवरी 1955 से न्यायालय चंडीगढ़ स्थानांतरित हो गया।
- पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की स्थापना:
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत 1 नवंबर, 1966 से हरियाणा नामक एक अन्य राज्य और चंडीगढ़ नामक संघ राज्य क्षेत्र अस्तित्त्व में आया।
- पंजाब उच्च न्यायालय का नाम बदलकर ‘पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय’ कर दिया गया।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्यालय कहाँ है?
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- वर्तमान में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्यालय चंडीगढ़ में है।
- न्यायालय भवन को ‘न्याय का महल’ के नाम से जाना जाता है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की क्षमता कितनी है?
- वर्तमान में, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 85 है, जिसमें 64 स्थायी न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश सहित 21 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं।
- 14 सितंबर 2023 तक, उच्च न्यायालय में 58 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें 36 स्थायी और 22 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार क्या है?
- अनुच्छेद 226 – उच्च न्यायालय की विशेष रिट जारी करने की शक्ति:
- भारतीय संविधान, 1950 का अनुच्छेद 226 प्रत्येक उच्च न्यायालय को बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण रिट सहित विशेष रिट जारी करने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 227 – उच्च न्यायालय द्वारा सभी न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति:
- प्रत्येक उच्च न्यायालय को उन सभी न्यायालयों और अधिकरणों पर अधीक्षण प्राप्त होगा, जिनके संबंध में वह अधिकारिता का प्रयोग करता है।
- अपीलीय और पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार:
- सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) की धारा 100 और 115 के आधार पर, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को अपीलीय तथा पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है।
- अधीनस्थ सिविल न्यायालय:
- उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सिविल न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र पंजाब न्यायालय अधिनियम, 1918 द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ राज्यों के सिविल न्यायाधीशों को असीमित वित्तीय अधिकारिता प्राप्त है, अर्थात् किसी भी मूल्य का कोई भी वाद सिविल न्यायाधीश के समक्ष संस्थित किया जा सकता है।
- आपराधिक न्यायालय प्रशासन:
- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के आधार पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को अपीलीय और पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार प्राप्त है।