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महत्त्वपूर्ण संस्थान
झारखण्ड उच्च न्यायालय
« »27-May-2024
परिचय
झारखण्ड उच्च न्यायालय की स्थापना वर्ष 2000 में बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत झारखण्ड को बिहार क्षेत्र से अलग करने के उपरांत की गई थी।
- झारखण्ड उच्च न्यायालय 15 नवंबर, 2000 को अस्तित्त्व में आया।
- झारखण्ड उच्च न्यायालय नवीनतम उच्च न्यायालयों में से एक है।
- इसका क्षेत्रीय न्यायाधिकार क्षेत्र पूरे झारखण्ड राज्य में फैला हुआ है।
- इस उच्च न्यायालय को इसकी शक्तियाँ भारत के संविधान, 1950 के भाग VI के अध्याय V से प्राप्त होती हैं।
झारखण्ड उच्च न्यायालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
- पटना उच्च न्यायालय के लेटर्स पेटेंट अधिनियम के खण्ड 36 के अनुसार 06 मार्च, 1972 को रांची में उच्च न्यायालय की एक अस्थायी पीठ (सर्किट बेंच) का गठन किया गया।
- इस अस्थायी पीठ को पटना उच्च न्यायालय (रांची में स्थायी पीठ की स्थापना) अधिनियम, 1976 के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय की स्थायी पीठ बना दिया गया, जो 8 अप्रैल, 1976 से लागू हुआ।
- बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के लागू होने के उपरांत यह स्थायी पीठ झारखण्ड उच्च न्यायालय में परिवर्तित हो गई।
- हाल ही में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 24 मई, 2023 को रांची में झारखण्ड उच्च न्यायालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया।
कौन-से ज़िला न्यायालय, झारखण्ड उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आते हैं?
झारखण्ड उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या क्या है?
- इस उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 25 है। स्थायी न्यायाधीशों की संख्या 20 तथा अतिरिक्त न्यायाधीशों की संख्या 5 है।
झारखण्ड उच्च न्यायालय में आभासी (वर्चुअल) सुनवाई की क्या स्थिति है?
- झारखण्ड उच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर, 2021 से यूट्यूब (YouTube) पर लाइव प्रक्रियाओं की आभासी सुनवाई प्रारंभ की।
- झारखण्ड उच्च न्यायालय यूट्यूब पर लाइव सुनवाई प्रारंभ करने वाला भारत का छठा न्यायालय बन गया।
- झारखण्ड उच्च न्यायालय मामलों की ई-फाइलिंग की अनुमति भी देता है।
झारखण्ड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री अधिकारी कौन हैं?
- रजिस्ट्रार जनरल
- रजिस्ट्रार (सतर्कता एवं निरीक्षण)
- रजिस्ट्रार (प्रशासन)
- रजिस्ट्रार (स्थापना)
- माननीय मुख्य न्यायाधीश के प्रधान सचिव
- केंद्रीय परियोजना समन्वयक, ई-समिति
- संयुक्त रजिस्ट्रार (न्यायिक)
- संयुक्त रजिस्ट्रार (सूची एवं कंप्यूटर)
- सहायक रजिस्ट्रार (न्यायिक की संख्या 2 होती है)
झारखण्ड उच्च न्यायालय में विधिक सेवा पोर्टल क्या है?
- इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य समाज के कमज़ोर वर्गों को निशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएँ प्रदान करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक अथवा अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय पाने के अवसर से वंचित न किया जाए तथा विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करना।
- झारखण्ड उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 8 A के आधार पर गठित वैधानिक निकाय है।
- इस समिति में माननीय अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्य होते हैं जिन्हें झारखण्ड उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाता है।
लिंग संवेदीकरण की दिशा में झारखण्ड उच्च न्यायालय का क्या योगदान है?
- झारखंड उच्च न्यायालय ने भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार, "झारखंड उच्च न्यायालय में महिलाओं का लिंग संवेदीकरण और यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) विनियम 2021" अधिनियमित किया है।
- 19 फरवरी, 2022 से प्रभावी ये नियम न्यायालय परिसर के भीतर यौन उत्पीड़न के मुद्दों को संबोधित करने के लिये झारखंड उच्च न्यायालय लिंग संवेदीकरण और आंतरिक शिकायत समिति (HCJGSICC) की स्थापना करते हैं।
- यह पहल महिलाओं के लिये समानता, स्वतंत्रता एवं सुरक्षित कार्यस्थल वातावरण के अधिकार की रक्षा करने वाले संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW), महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन एवं मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 पर वियना घोषणा जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप है।