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महत्त्वपूर्ण संस्थान
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
« »05-Oct-2023
परिचय-
- ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद (जिसे वर्तमान में प्रयागराज के नाम से जाना जाता है) में स्थित इलाहाबाद उच्च न्यायालय एक न्यायिक संस्थान है, जो भारत की समृद्ध विरासत और कानूनी इतिहास से मेल खाता है।
- इसकी भव्यता और वास्तुकला की दृष्टि से प्रभावशाली इमारत, भारत-यूरोपीय वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है, जो न्याय और कानूनी अधिकार के प्रतीक के रूप में खड़ी है।
- यह कई ऐतिहासिक निर्णयों का स्रोत है, जिसका कानून की कई शाखाओं पर अधिकार है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय बड़ी संख्या में मामलों को संभालता है और परिणामस्वरूप उसे कई लंबित मामलों का सामना करना पड़ता है - जो भारत में कई उच्च न्यायालयों के सामने आने वाली एक सामान्य चुनौती है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामलों की ई-फाइलिंग और लाइव स्ट्रीमिंग के साथ-साथ भौतिक और आभासी दोनों न्यायालय शामिल हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक महत्त्व
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना 17 मार्च, 1866 को भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के तहत की गई थी।
- यह उक्त अधिनियम द्वारा स्थापित तीन उच्च न्यायालयों में से एक था, अन्य कलकत्ता (अब कोलकाता) और बॉम्बे (अब मुंबई) में स्थित थे।
- उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के लिये उच्च न्यायालय की खंडपीठ वर्ष 1869 में आगरा से इलाहाबाद हस्तांतरित कर दी गई थी।
- 11 मार्च, 1919 को जारी एक अनुपूरक पत्र पेटेंट द्वारा यह आधिकारिक तौर पर 'इलाहाबाद में न्यायिक उच्च न्यायालय' बन गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दो प्रमुख पीठ के रूप में विभाजित किया गया है, एक प्रयागराज में और दूसरी लखनऊ में।
- मुख्य पीठ उच्च न्यायालय की ऐतिहासिक न्यायपीठ है और इसकी भव्य, प्रतिष्ठित इमारत न्याय के प्रतीक के रूप में खड़ी है।
- मामलों के बढ़ते कार्यभार को संबोधित करने और क्षेत्र के लोगों को न्याय तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये वर्ष 1948 में लखनऊ पीठ की स्थापना की गई थी।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार संपूर्ण उत्तर प्रदेश में प्रसरित है।
- वर्ष 2000 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय का उत्तराखंड राज्य पर अधिकार क्षेत्र था, जिसे बाद में अपना अलग उच्च न्यायालय मिला, जिसे उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रूप में जाना जाता है।
- अतः उत्तराखंड उच्च न्यायालय की स्थापना के साथ ही उत्तराखंड पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र समाप्त हो गया।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की देखरेख में 75 ज़िला और दूरस्थ न्यायालय शामिल हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की व्यवस्था
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश और पाँच अन्य न्यायाधीशों की व्यवस्था थी।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश सर वॉल्टर मॉर्गन थे।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वर्तमान संरचना 160 स्थायी न्यायाधीशों की है, जिनमें मुख्य न्यायाधीश और 40 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं।
न्यायाधीशों की नियुक्ति
- राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के परामर्श से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं।
- CJI को उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना आवश्यक होता है।
- राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वॉरंट द्वारा अन्य न्यायाधीशों को (मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर) इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नियुक्त करते हैं।
- इस प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श करना और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश का पालन करना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, CJI पर उच्चतम न्यायालय में दो सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों से इनपुट लेने का दायित्व है, इसके लिये उच्च न्यायालय में नियुक्ति हेतु उम्मीदवार का सुझाव देते समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपने दो सबसे वरिष्ठ सहयोगी न्यायाधीशों से भी परामर्श करना आवश्यक होता है।
क्षेत्राधिकार
- मूल एवं रिट क्षेत्राधिकार:
- अपने मूल अधिकार क्षेत्र में यह महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक हित, सांविधिक मुद्दों और महत्त्व के मामलों से संबंधित है।
- उच्च न्यायालय के पास भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करने का भी अधिकार है, जो उसे मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण को आदेश या निर्देश जारी करने का अधिकार प्रदान करता है।
- अपील न्यायिक क्षेत्र:
- उच्च न्यायालय एक अपीलीय न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है, जो अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर प्रवर न्यायालयों से अपील की सुनवाई करता है।
- इसमें अधीनस्थ दीवानी और फौज़दारी न्यायालयों की अपीलें शामिल हैं।
- सिविल क्षेत्राधिकार:
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय दीवानी मामलों को संभालता है, जिसमें संपत्ति विवाद, अनुबंध विवाद, पारिवारिक मामले, रिट याचिकाएँ और जनहित याचिकाएँ (PIL) शामिल हैं, हालाँकि यह यहीं तक सीमित नहीं हैं।
- आपराधिक क्षेत्राधिकार:
- उच्च न्यायालय के पास आपराधिक मामलों पर सुनवाई का अधिकार है, जिसमें प्रवर आपराधिक न्यायालयों से दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील भी शामिल है।
- यह जमानत, अग्रिम जमानत और अन्य आपराधिक कार्यवाही से संबंधित मामलों से भी निपट सकता है।
- पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार:
- उच्च न्यायालय अपने क्षेत्रीय अधिकारों में प्रवर न्यायालयों पर पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये आदेश और निर्देश जारी कर सकता है कि प्रवर न्यायालय कानून की सीमा के भीतर कार्य करती हैं।
- कराधान क्षेत्राधिकार:
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पास कराधान मामलों के भी अधिकार हैं, जिसमें आयकर, बिक्री कर और अन्य कर विवादों से संबंधित मामले शामिल हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिकारी
- न्यायपीठ के सचिव
- न्यायाधीशों के निजी सहायक
- रजिस्ट्रार सह निजी सचिव
- अनुभाग अधिकारी
- सहायक रजिस्ट्रार
- उप रजिस्ट्रार
- संयुक्त रजिस्ट्रार
- विशेष कार्याधिकारी (OSD)
- रजिस्ट्रार
- रजिस्ट्रार जनरल
- विशेष सतर्कता अधिकारी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामलों की रिपोर्टिंग
- इलाहाबाद आपराधिक मामले
- इलाहाबाद सिविल जर्नल
- इलाहाबाद दैनिक निर्णय
- इलाहाबाद लॉ जर्नल
- इलाहाबाद लगान/किराया मामले
- इलाहाबाद साप्ताहिक मामले
- अपराधों पर न्यायिक निर्वचन (JIC)
- लखनऊ व्यवहार विनिश्चय (LCD)
- राजस्व विनिश्चय
- उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय और शिक्षा मामले
इंडिया पोस्ट द्वारा जारी किये गए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण टिकट