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बॉम्बे उच्च न्यायालय
« »04-Jul-2024
परिचय:
- बॉम्बे उच्च न्यायालय एक चार्टर्ड उच्च न्यायालय है तथा देश के सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है।
- इसका महाराष्ट्र, गोवा, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली राज्यों पर अपीलीय क्षेत्राधिकार है।
- बॉम्बे में मुख्य पीठ के अतिरिक्त, इसका औरंगाबाद, नागपुर, पणजी (गोवा) में भी पीठ हैं।
बॉम्बे उच्च न्यायालय का इतिहास:
- बॉम्बे में न्यायालय का इतिहास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से शुरू होता है।
- बॉम्बे में वर्ष 1672 में प्रथम ब्रिटिश न्यायालय का उद्घाटन किया गया तथा जॉर्ज विलकॉक्स को न्यायाधीश के रूप में चुना गया।
- बॉम्बे में न्यायपालिका के विकास का दूसरा चरण वर्ष 1683 के चार्टर के तहत वर्ष 1684 में एडमिरलिटी कोर्ट की स्थापना के साथ हुआ।
- वर्ष 1798 में मेयर कोर्ट को समाप्त कर दिया गया तथा इसके स्थान पर वर्ष 1798 के चार्टर के अनुसार रिकॉर्डर कोर्ट की स्थापना की गई।
- बंबई में न्यायिक प्रशासन में मेयर, तीन एल्डरमैन एवं क्राउन द्वारा नियुक्त एक रिकॉर्डर शामिल थे।
- पहले रिकॉर्डर सर विलियम सियर थे।
- वर्ष 1823 में संसद के एक अधिनियम ने क्राउन को बॉम्बे में रिकॉर्डर कोर्ट के स्थान पर एक उच्चतम न्यायालय स्थापित करने के लिये अधिकृत किया।
- वर्ष 1861 का भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद पारित किया गया था।
- महारानी विक्टोरिया ने वर्ष 1862 में लेटर्स पेटेंट द्वारा कलकत्ता, मद्रास एवं बॉम्बे में उच्च न्यायालयों का निर्माण किया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय की पीठें:
- बॉम्बे उच्च न्यायालय – नागपुर पीठ
- 9 जनवरी 1936 को नागपुर में एक पूर्ण विकसित उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
- मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर गिल्बर्ट स्टोन को प्रथम मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को नागपुर में पूर्ववर्ती उच्च न्यायालय का उत्तराधिकारी माना गया।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय की एक पीठ की 1 नवंबर 1956 से नागपुर के इसी भवन में कार्यवाही प्रारंभ हुई तथा 1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य के गठन के बाद भी ऐसा ही होता रहा।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय – औरंगाबाद पीठ
- औरंगाबाद पीठ की स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी।
- औरंगाबाद पीठ का अधिकार क्षेत्र औरंगाबाद, अहमदनगर, धुले, जालना, जलगाँव, बीड, परभणी, लातूर एवं उस्मानाबाद पर है।
- गोवा में बंबई उच्च न्यायालय:
- गोवा दमन एवं दीव की मुक्ति से पहले तत्कालीन केंद्रशासित प्रदेश के लिये सर्वोच्च न्यायालय पणजी में कार्यरत "ट्रिब्यूनल डी रेलाकाओ" था।
- मई, 1964 में संसद द्वारा एक अधिनियम पारित किया गया, जिसने न्यायिक आयुक्त के न्यायालय को भारत के संविधान के प्रयोजनों के लिये उच्च न्यायालय की कुछ शक्तियाँ प्रदान कीं।
- संसद ने एक अधिनियम द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार को गोवा संघ राज्य क्षेत्र दमन एवं दीव तक बढ़ा दिया तथा 30 अक्टूबर, 1982 को पणजी में उस उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ की स्थापना की।
- संसद द्वारा गोवा को राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले गोवा, दमन एवं पुनर्गठन अधिनियम, 1987 के पारित होने के साथ ही बॉम्बे उच्च न्यायालय 30 मई, 1987 से महाराष्ट्र व गोवा राज्यों तथा दादरा नगर हवेली एवं दमन और दीव संघ राज्य क्षेत्रों के लिये सामान्य उच्च न्यायालय बन गया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय का संगठन:
- बॉम्बे उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश सर मैथ्यू रिचर्ड सॉसे थे।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय में 66 न्यायाधीश हैं
- इनमें से 17 अतिरिक्त न्यायाधीश हैं।
न्यायाधीशों की नियुक्ति:
- राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के परामर्श से बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं।
- मुख्य न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना आवश्यक है।
- राष्ट्रपति इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों (मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर) की नियुक्ति अपने हस्ताक्षर एवं मुहर सहित वारंट द्वारा करते हैं।
- इस प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श करना एवं बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा का पालन करना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, मुख्य न्यायाधीश का यह दायित्व है कि वह उच्चतम न्यायालय के दो सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों से सलाह लें, जबकि बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी उच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिये उम्मीदवार का सुझाव देते समय अपने दो सबसे वरिष्ठ सहयोगी न्यायाधीशों से परामर्श करना चाहिये।
क्षेत्राधिकार:
- मूल एवं रिट क्षेत्राधिकार:
- अपने मूल अधिकार क्षेत्र में, यह महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक हित, संवैधानिक मुद्दों एवं महत्त्व के मामलों से संबंधित मामलों से निपटता है।
- उच्च न्यायालय के पास भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत रिट जारी करने का अधिकार भी है, जो इसे मूल अधिकारों की रक्षा करने एवं अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण को आदेश या निर्देश जारी करने का अधिकार देता है।
- अपीलीय क्षेत्राधिकार:
- उच्च न्यायालय एक अपीलीय न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है, जो अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत अधीनस्थ न्यायालयों की अपीलों पर विचारण करता है।
- इसमें अधीनस्थ सिविल एवं आपराधिक न्यायालयों की अपीलें शामिल हैं।
- सिविल क्षेत्राधिकार:
- बॉम्बे उच्च न्यायालय सिविल मामलों को संभालता है, जिसमें संपत्ति विवाद, संविदा विवाद, पारिवारिक मामले, रिट याचिकाएँ एवं जनहित याचिकाएँ (PIL) शामिल हैं।
- आपराधिक क्षेत्राधिकार:
- उच्च न्यायालय के पास आपराधिक मामलों पर अधिकार क्षेत्र है, जिसमें अधीनस्थ आपराधिक न्यायालयों से दोषसिद्धि एवं सज़ा के विरुद्ध अपील शामिल है।
- यह ज़मानत, अग्रिम ज़मानत एवं अन्य आपराधिक कार्यवाही से संबंधित मामलों तक हो सकता है।
- पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार:
- उच्च न्यायालय अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत अधीनस्थ न्यायालयों पर पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है।
- यह यह सुनिश्चित करने के लिये आदेश एवं निर्देश जारी कर सकता है कि अधीनस्थ न्यायालय विधि की परिधि में कार्य करें।
कराधान क्षेत्राधिकार: - बॉम्बे उच्च न्यायालय को कराधान संबंधी मामलों में भी अधिकारिता प्राप्त है, जिसमें आयकर, बिक्री कर एवं अन्य कर विवाद से संबंधित मामले शामिल हैं।
बॉम्बे उच्च न्यायालय के अधिकारी:
- रजिस्ट्रार जनरल
- रजिस्ट्रार/प्रोथोनोटरी और सीनियर मास्टर
- रजिस्ट्रार (OS)
- अतिरिक्त रजिस्ट्रार/अतिरिक्त प्रोथोनोटरी और सीनियर मास्टर
- अतिरिक्त रजिस्ट्रार/अतिरिक्त प्रोथोनोटरी और सीनियर मास्टर
- लेखा आयुक्त
- आधिकारिक समनुदेशिती
- कोर्ट रिसीवर
- इंसाॅल्वेंसी रजिस्ट्रार