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किशोर न्याय बोर्ड

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 26-Aug-2024

परिचय:

  • किशोर न्याय बोर्ड (JJB) किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 4 के अंतर्गत गठित एक संस्थागत निकाय है।
  • राज्य अपने ज़िलों के लिये एक या एक से अधिक किशोर न्याय बोर्ड गठित करते हैं।
  • बोर्ड का गठन ऐसे मामलों का निस्तारण करने हेतु किया गया है जहाँ बालक, विधि से संघर्षरत हों।
  • बोर्ड का गठन तथा बोर्ड द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया JJ अधिनियम के तहत निर्धारित की गई है।

JJB का गठन:

  • JJ अधिनियम की धारा 4, JJBके गठन से संबंधित है।
    • बोर्ड में निम्नलिखित व्यक्ति शामिल होंगे-
      • मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या
      • प्रथम श्रेणी का न्यायिक मजिस्ट्रेट जो मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट न हो या
      • मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रधान मजिस्ट्रेट के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसके पास कम-से-कम तीन वर्ष का अनुभव हो और
      • दो सामाजिक कार्यकर्त्ता जिनमें से कम-से-कम एक महिला होगी, एक न्यायपीठ का गठन करेंगे।
    • बोर्ड के सदस्य के रूप में उस सामाजिक कार्यकर्त्ता को नियुक्त किया जाएगा जो कम से कम सात वर्षों से बच्चों से संबंधित स्वास्थ्य, शिक्षा या कल्याण गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा हो या बाल मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा, समाजशास्त्र या विधि में डिग्री प्राप्त पेशेवर हो।

JJB की शक्तियाँ:

  • JJ अधिनियम की धारा 15 बोर्ड को यह अधिकार देती है कि यदि कोई बालक, जो सोलह वर्ष की आयु पूरी कर चुका है या उससे अधिक है, द्वारा कथित रूप से कोई जघन्य अपराध किया गया है, तो बोर्ड ऐसे अपराध करने की उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमता, अपराध के परिणामों को समझने की उसकी योग्यता तथा जिन परिस्थितियों में उसने कथित रूप से अपराध किया है, के संबंध में प्रारंभिक मूल्यांकन करेगा एवं आदेश पारित कर सकता है।
  • यह JJ अधिनियम की धारा 17 और 18 के अंतर्गत जाँच कर सकता है तथा इन धाराओं के अनुसार आदेश पारित कर सकता है।

बोर्ड के कार्य:

  • मामले में बच्चों के अभिभावकों की भागीदारी के विषय में सूचित करना।
  • जाँच, गिरफ्तारी एवं अन्य कार्यवाहियों के दौरान बच्चों के अधिकारों से समझौता नहीं किया जाना चाहिये।
  • बच्चे को विधिक सहायता मिलनी चाहिये।
  • अंतिम आदेश पारित करना जो समस्या का समाधान करता है और जिसमें बच्चे के पुनर्वास के लिये एक व्यक्तिगत देखरेख योजना शामिल है, साथ ही परिवीक्षा अधिकारी, ज़िला बाल संरक्षण इकाई या किसी गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि द्वारा आवश्यक अनुवर्ती कार्यवाही भी शामिल है।
  • यह निर्धारित करने के लिये जाँच करना कि विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों की देखरेख करने के लिये कौन योग्य है।
  • विधिक संकट में फँसे बच्चों के लिये आवासीय सुविधाओं का प्रतिमाह कम-से-कम एक बार निरीक्षण करना, दौरा करना तथा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में ज़िला बाल संरक्षण इकाई और राज्य सरकार को अनुशंसाएँ करना।