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महत्त्वपूर्ण संस्थान

उप-राज्यपाल

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 09-Aug-2024

परिचय:

उप-राज्यपाल दिल्ली के NCT के प्रशासक हैं, जिन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 (COI) के अंतर्गत नियुक्त किया जाता है।

  • अनुच्छेद 239AA (4) COI के अंतर्गत, उप-राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह पर कार्य करने की आवश्यकता होती है, सिवाय उन मामलों को छोड़कर, जहाँ उन्हें विधि द्वारा अपने विवेक से कार्य करने की आवश्यकता होती है।
  • उप-राज्यपाल की शक्तियाँ एवं कार्य संविधान, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 239AA से प्राप्त होते हैं।
  • उप-राज्यपाल, प्रशासन में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।

दिल्ली एवं पुदुचेरी के लिये क्या विशेष प्रावधान हैं?

  • वर्ष 1963 में केंद्रशासित प्रदेश (UT) पुदुचेरी, वर्ष 1992 में दिल्ली तथा वर्ष 2019 में जम्मू एवं कश्मीर (अभी तक गठित नहीं) को एक विधान सभा और एक मुख्यमंत्री (CM) की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद प्रदान की गई है।
  • संघ राज्य क्षेत्र पुदुचेरी की विधान सभा संविधान की सातवीं अनुसूची की द्वितीय सूची या तृतीय सूची में सूचीबद्ध मामलों के संबंध में विधि का निर्माण कर सकती है, यदि ये मामले संघ राज्य क्षेत्र पर लागू होते हैं।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा को भी ये शक्तियाँ प्राप्त हैं, सिवाय इसके कि द्वितीय सूची की प्रविष्टियाँ 1, 2 एवं 18 विधान सभा की विधायी क्षमता के अंतर्गत नहीं आती हैं।
  • भारत में किस-किस राज्य में उप-राज्यपाल के पद उपबंधित हैं?
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप
  • चंडीगढ़
  • लद्दाख
  • दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव
  • पुदुचेरी
  • लक्षद्वीप
  • जम्मू एवं कश्मीर
  • दिल्ली

उप-राज्यपाल की नियुक्ति प्रक्रिया क्या है?

  • उप-राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • सितंबर 1966 में दिल्ली प्रशासन अधिनियम 1966 के प्रभावी होने के बाद उप-राज्यपाल का गठन किया गया।
  • उप-राज्यपाल की नियुक्ति पाँच वर्ष की अवधि के लिये राष्ट्रपति की इच्छा पर की जाती है।
    • दिल्ली एवं पुडुचेरी जैसे कुछ केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशासक के पास महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ होती हैं, जिसमें केंद्रशासित प्रदेश के लिये विधि एवं नियम निर्माण की क्षमता भी शामिल है।
    • लक्षद्वीप और दादरा एवं नगर हवेली जैसे अन्य केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशासक की शक्तियाँ निर्वाचित सरकार को सलाह देने तक सीमित होती हैं।

उप-राज्यपाल के क्या कर्त्तव्य हैं?

  • भारत में केवल अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली और पुदुचेरी के केंद्रशासित प्रदेशों में ही उप-राज्यपाल हैं।
  • अन्य केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशासक नियुक्त किये जाते हैं।
  • यदि उप-राज्यपाल विधि द्वारा अपने विवेक से कार्य करने के लिये बाध्य है, तो इस उपबंध के अनुसार इस मामले में उसका निर्णय अंतिम होगा।
  • उप-राज्यपाल दिल्ली पुलिस आयुक्त एवं दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष की सहायता से अपने अधिकार का प्रयोग करते हैं, दोनों के पास अपनी प्रशासनिक संरचनाएँ हैं।
  • उप-राज्यपाल DDA के पदेन अध्यक्ष हैं, वे दिल्ली में प्रवर्तित कई अधिनियमों, नियमों एवं विनियमों के अंतर्गत अपीलीय प्राधिकरण के माध्यम से अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करते हैं।
  • किसी भी विषय पर उप-राज्यपाल एवं उनके मंत्रियों के मध्य असहमति की स्थिति में, उप-राज्यपाल मामले को निर्णय के लिये राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं तथा राष्ट्रपति के निर्णय पर कार्य कर सकते हैं।
  • राष्ट्रपति शासन के दौरान उप-राज्यपाल सरकार का पूर्ण कार्यकारी नेता बन जाता है। उसके पास सलाहकारों से बनी मंत्रिपरिषद नियुक्त करने का अधिकार है।
  • वह एक कार्यकारी नेता के रूप में कार्य करता है तथा उसे सहायता एवं सलाह देने के लिये मंत्रिपरिषद नियुक्त करता है।

उप-राज्यपाल की शक्तियाँ क्या हैं?

  • केंद्रशासित प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है।
  • दिल्ली में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस एवं भूमि जैसे 'आरक्षित विषयों' को नियंत्रित करता है।
  • अध्यादेश जारी कर सकता है तथा राष्ट्रपति के पास विचार के लिये विधेयकों को आरक्षित कर सकता है।
  • मुख्यमंत्री की सलाह पर मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
  • संवैधानिक रूप से निर्दिष्ट मामलों में इसके पास विवेकाधीन शक्तियाँ हैं।
  • विशेष रूप से दिल्ली में विधि एवं व्यवस्था बनाए रखता है।
  • केंद्रशासित प्रदेश, प्रशासन एवं केंद्र सरकार के मध्य संपर्क स्थापित करता है।
  • केंद्रशासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकता है।
  • केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन में संवैधानिक अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • मंत्रिस्तरीय सलाह के बिना कुछ निकायों में सदस्यों को नामित कर सकता है (हाल ही में दिल्ली के लिये उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार)।

राज्यपाल एवं उप-राज्यपाल में क्या अंतर है?

राज्यपाल

उप-राज्यपाल

राज्यों के लिये राज्यपालों की नियुक्ति की जाती है

संघ शासित प्रदेशों के लिये उप-राज्यपालों की नियुक्ति की जाती है।

राज्यपालों को अधिक स्वायत्तता वाले राज्यों पर अधिकार प्राप्त है

उप-राज्यपाल अधिक केंद्रीय नियंत्रण के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेशों की देखरेख करते हैं।

राज्यपालों की भूमिकाएँ आम तौर पर अधिक औपचारिक होती हैं

उप-राज्यपाल, विशेषकर दिल्ली में, अधिक सक्रिय प्रशासनिक भूमिका निभाते हैं।

राज्यपाल अधिकतर राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करते हैं

उप-राज्यपाल के पास अधिक व्यापक विवेकाधीन शक्तियाँ होती हैं।

राज्यपालों की भूमिकाएँ COI के अनुच्छेद 153 से अनुच्छेद 162 के अंतर्गत परिभाषित की गई हैं।

COI के अनुच्छेद 239 से अनुच्छेद 239AA के अंतर्गत उप-राज्यपाल की भूमिकाएँ।