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वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिये नए मानदंड

 18-Jul-2023

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में, उच्चतम न्यायालय (SC) ने शीर्ष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के रूप में वकीलों की नियुक्ति कैसे की जायेगी, इसके लिये नये दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिसका शीर्षक है "भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिये दिशानिर्देश, 2023" (“Guidelines for Designation of Senior Advocates by the Supreme Court of India, 2023”)
  • नए दिशानिर्देश वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय (SC) द्वारा जारी किये गये पहले के दिशानिर्देशों को प्रतिस्थापित करेंगे।

पृष्ठभूमि

  • मई 2023 में इंदिरा जयसिंह बनाम भारत का उच्चतम न्यायालय (SC) मामले में उच्चतम न्यायालय (SC) की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने के दो महीने बाद नये दिशानिर्देश जारी किये गये हैं।
  • दिशानिर्देशों में बदलाव के कारण :
    • फरवरी 2023 में, केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिये दिशानिर्देशों को बदलने की मांग की और इसलिये उसने उच्चतम न्यायालय (SC) के समक्ष संशोधन के लिये एक आवेदन दायर किया।
    • केंद्र सरकार ने कहा कि पदनाम के लिये वर्तमान आवश्यकतायें अप्रासंगिक हैं और इसके परिणामस्वरूप योग्य उम्मीदवारों को उन कारकों के आधार पर बाहर कर दिया गया है जो वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित होने के मुद्दे के लिये उपयुक्त नहीं हैं।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

न्यायालय ने निर्देश दिया है कि जिन एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड/अधिवक्ताओं ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनाम प्रदान करने के लिये आवेदन किया था, उन्हें निम्नलिखित में से कोई एक करना होगा:

  • नये निर्धारित प्रारूप में अतिरिक्त जानकारी/डेटा प्रस्तुत करके स्थायी समिति के विचार के लिये लंबित अपने पिछले आवेदनों को अद्यतन करना ;
  • नए निर्धारित प्रारूप में नये आवेदन जमा करके अपने आवेदनों को प्रतिस्थापित करना, या;
  • भविष्य में जब भी आवेदन आमंत्रित किया जाएगा, किसी भी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में पदनाम के लिये आवेदन करने के उनके अधिकार को प्रभावित किये बिना, 7 अगस्त 2023 तक अपने आवेदन वापस ले लें ।

कानूनी प्रावधान

2023 के दिशानिर्देश

  • पात्रता मापदंड
    • ये दिशानिर्देश सीनियर गाउन के लिये आवेदन करने के लिये न्यूनतम आयु 45 वर्ष निर्धारित करते हैं। लेकिन यह प्रतिबंध तब लागू नहीं होगा जब नाम की सिफारिश भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) या उच्चतम न्यायालय (SC) के न्यायाधीश ने की हो।
    • वरिष्ठ पदनामों पर निर्णय लेने वाली उच्चतम न्यायालय की समिति द्वारा आयु मानदंड में भी ढील दी जा सकती है।
    • एक अधिवक्ता के रूप में कम से कम 10 साल का कार्यकाल या एक अधिवक्ता और एक ज़िला और सत्र न्यायाधीश के रूप में / किसी भी न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में कम से कम 10 साल का अनुभव, जिसकी नियुक्ति के लिये पात्रता मानदंड ज़िला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये आवश्यक से कम नहीं है।
    • उम्मीदवार ने कानूनी प्रैक्टिस मुख्यतः उच्चतम न्यायालय के समक्ष की होनी चाहिये।
  • प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिये अंक-आधारित प्रणाली (Point-based system for evaluation of proposals)
    • उच्चतम न्यायालय (SC) ने उम्मीदवारों के मूल्यांकन के लिये पॉइंट-आधारित प्रणाली को संशोधित किया है। अकादमिक प्रकाशनों के लिये दिये जाने वाले अंकों को घटाकर 5 कर दिया गया है। निर्णयों के लिये दिये जाने वाले अंकों की संख्या पहले के 40 से बढ़ाकर 50 अंक कर दी गयी है।
    • यह अंक-आधारित प्रणाली निम्नानुसार चलती है:
      • नामांकन की तिथि से प्रैक्टिस के वर्षों की संख्या के लिये 20 अंक।
      • रिपोर्ट किये गये और गैर-रिपोर्ट किये गये निर्णयों के लिये 50 अंक (उन आदेशों को छोड़कर जो कानून के किसी भी सिद्धांत को निर्धारित नहीं करते हैं)।
      • अकादमिक लेखों के प्रकाशन, कानून के क्षेत्र में शिक्षण कार्य का अनुभव, विधि विद्यापीठों और कानून से जुड़े पेशेवर संस्थानों में दिये गये अतिथि व्याख्यान के लिये 5 अंक।
      • आवेदक के समग्र मूल्यांकन हेतु साक्षात्कार के आधार पर व्यक्तित्व एवं उपयुक्तता के परीक्षण हेतु 25 अंक।
  • वर्ष में कम से कम एक बार आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे (Applications to be invited at least once a year)
    • समिति का सचिवालय वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनाम के लिये एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड/अधिवक्ताओं से आवेदन आमंत्रित करके हर साल कम से कम एक बार वरिष्ठ अधिवक्ता के पदनाम की प्रक्रिया शुरू करेगा।
    • सचिवालय पदनाम के लिये प्राप्त प्रस्तावों को उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा और पदनाम के प्रस्तावों पर अन्य हितधारकों के सुझाव/विचार आमंत्रित करेगा।
  • वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम हेतु समिति (Committee for Designation of Senior Advocates)
    • वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम से संबंधित मामलों को स्थायी समिति द्वारा निपटाया जाएगा जिसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम समिति के रूप में जाना जाता है।
    • इस समिति में पाँच सदस्य होंगे, अर्थात् भारत के मुख्य न्यायाधीश (अध्यक्ष), उच्चतम न्यायालय (SC) के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, भारत के अटॉर्नी जनरल और बार से एक सदस्य, जिसे समिति के अन्य सदस्यों द्वारा नामित किया जाता है।
    • समिति की वर्ष में दो बार बैठक होगी और इसका एक स्थायी सचिवालय होगा, जिसके सदस्यों का निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा समिति के अन्य सदस्यों के परामर्श से किया जाएगा।

2018 के दिशानिर्देश

  • 2018 में, उच्चतम न्यायालय (SC) ने "वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम प्रदान करने को विनियमित करने के लिये दिशानिर्देश" जारी किए।
  • इन दिशानिर्देशों ने गुप्त मतदान द्वारा मतदान की प्रणाली को हतोत्साहित किया, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां यह "अपरिहार्य" था।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिये एक समिति बनाई गई थी और इसमें उच्चतम न्यायालय (SC) के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, भारत के अटॉर्नी जनरल और अध्यक्ष द्वारा नामित बार के एक सदस्य और अन्य शामिल थे।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) या कोई अन्य न्यायाधीश वरिष्ठ वकीलों के पदनाम के लिये एक अधिवक्ता के नाम की सिफारिश कर सकते हैं।
  • अधिवक्ता भी अपने आवेदन समिति को प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसके बाद समिति के सदस्य 10-20 साल की कानूनी प्रैक्टिस जैसे कई मानदंडों पर उनका मूल्यांकन करेंगे, चाहे वह एक वकील, ज़िला न्यायाधीश या भारतीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में रहे हों या जो भी पात्रता के लिये योग्यता हो। लेकिन ये ज़िला न्यायाधीश के लिये निर्धारित योग्यता से कम नहीं हो।

2018 के दिशानिर्देशों से पहले (Prior to the 2018 Guidelines)

  • इससे पहले, अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 16 वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्ति को नियंत्रित करती थी।
  • धारा 16 (1) में कहा गया है कि अधिवक्ताओं के दो वर्ग होंगे, अर्थात् वरिष्ठ अधिवक्ता और अन्य अधिवक्ता।
  • धारा 16 (2) एक अधिवक्ता को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित करने की अनुमति देती है यदि उसकी क्षमता, बार में खड़े होने, या कानून में विशेष ज्ञान या अनुभव के आधार पर उच्चतम न्यायालय (SC) या उच्च न्यायालय की राय है कि वह योग्य है ऐसे पद के योग्य है।