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करेंट अफेयर्स और संग्रह

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सांविधानिक विधि

शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांगों के लिये 5% आरक्षण

 31-Jul-2023

“दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग उम्मीदवारों को 5% आरक्षण प्रदान किया जाए”।

(न्यायधीश सतीश चंद्र शर्मा, न्यायमूर्ति सौरभ बैनर्जी)

चर्चा में क्यों?

  • दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सौरभ बैनर्जी की पीठ ने दिल्ली सरकार से दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा।
  • शासनादेश सभी शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग उम्मीदवारों के लिये 5% आरक्षण के आवंटन का आह्वान करता है।

पृष्ठभूमि (Background)

  • एक गैर सरकारी संगठन, जस्टिस फॉर ऑल द्वारा गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के खिलाफ कानून के अनुसार दिव्यांगों के लिये सीटें आरक्षित करने की याचिका दायर की गई थी।
  • मई 2023 में, उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित कर विश्वविद्यालय को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में प्रवेश के लिये दिव्यांग उम्मीदवारों को आरक्षण प्रदान करने का आदेश दिया।
  • याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय 3% आरक्षण कोटा प्रदान कर रहा है।
  • इसके पश्चात, याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए अवमानना आवेदन दायर किया कि विश्वविद्यालय ने अंतरिम आदेश का पालन नही किया।
  • हालाँकि, विश्वविद्यालय द्वारा एक हलफनामा दायर किया जिसमे यह कहा गया कि वह 5% आरक्षण प्रदान कर रहा है, तत्पश्चात न्यायालयने कार्रवाई बंद कर दी।

न्यायालय की टिप्पणी (Court’s Observation)

न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार और विश्वविद्यालय विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों की सभी श्रेणियों को आरक्षण प्रदान करके विशेष व्यक्तियों की सीटें भरने के लिये हर संभव प्रयास करेंगे।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (Right of Person with Disabilities Act,2016)

  • यह अधिनियम 28 दिसंबर 2016 को अधिनियमित किया गया था जो 19 अप्रैल 2017 को लागू हुआ।
  • अधिनियम उपयुक्त सरकारों पर यह सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी कदम उठाने की ज़िम्मेदारी डालता है कि दिव्यांग व्यक्ति अन्य लोगों के साथ समान रूप से अपने अधिकारों का आनंद लें।
  • अधिनियम बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिये सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों की सीटों में 5% आरक्षण का आदेश देता है।
  • अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के खिलाफ किये गए अपराधों के लिये दंड का प्रावधान करता है।

भारत के संविधान में स्थिति, 1950 (Position in the Constitution of India, 1950)

  • राज्य के नीति निर्देशक सिध्दांतों (Directive Principles of State Policy) के अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता की सीमा के भीतर काम तथा विकास करने, शिक्षा पाने और बेरोज़गारी, बुढ़ापा, बीमारी तथा दिव्यांगता के मामलों में सार्वजनिक सहायता का अधिकार सुरक्षित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा।
  • भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में विकलांगों और बेरोज़गारों की राहत का विषय निर्दिष्ट है।

अंतरिम आदेश (Interim Order)

  • सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure),1980 की धारा 2(14) के अनुसार अंतरिम आदेश में “आदेश” शब्द का अर्थ सिविल न्यायालय के किसी भी निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति है जो कि एक डिक्री नहीं है।
  • अंतरिम आदेश न्यायालय द्वारा परीक्षण समाप्त होने तक यथास्थिति बनाए रखने के लिये अस्थायी आदेश है और यह भी सुनिश्चित करने लिये कि जब तक मुकदमा अंतत: तय नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी पक्ष को दूसरे पक्ष की कार्रवाई से कोई नुकसान नहीं होता है।
  • अंतरिम आदेश दो प्रकार के होते है:
    • निर्देशात्मक आदेश: अदालतें किसी पक्ष को एक विशिष्ट तरीके से कार्य करने का निर्देश जारी करती है जब तक कि मुकदमा लंबित न हो जाए।
    • निरोधक आदेश: अदालतें किसी भी पक्ष को एक विशिष्ट तरीके से कार्य करने से रोकने के लिये एक निरोधक आदेश जारी करती है जब तक कि परीक्षण समाप्त न हो जाए या कोई और आदेश जारी न हो जाए।

सिविल कानून

लंबित राशन कार्ड, खाद्य भत्ता अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है

 31-Jul-2023

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को लंबित राशन कार्ड आवेदनों का आकलन करने और खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करने की पात्रता तय करने के लिये एक सर्वेक्षण करने को निर्देश दिया।

(न्यायधीश सुब्रसण्यम प्रसाद, दिल्ली उच्च न्यायालय)।

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि राशन कार्ड के संबंध में सभी लंबित आवेदनों के लिये एक सर्वेक्षण किया जाए और यह तय किया जाए कि शबनम बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार बनाम अन्य तथा अन्य जुड़े मामलों में व्यक्ति खाद्य सुरक्षा भत्ता लेने के हकदार होंगे या नहीं।

पृष्ठभूमि (Background)

  • न्यायालय दो महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली सरकार को राशन कार्ड जारी करने के लिये उनके आवेदनों को मंज़ूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
  • उन्होंने खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के लिये भी प्रार्थना की।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा 8 में कहा गया है कि पात्र व्यक्तियों को खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति न होने की स्थिति में, वे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समय और तरीके के भीतर राज्य सरकार से खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करने के हकदार होंगे।

न्यायालय की टिप्पणी (Court’s Observation)

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया को यथाशीघ्र पूरा करने का निर्देश दिये और इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
  • न्यायालय ने मामले को अक्टूबर में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करते हुए आगे कहा, "यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि यह अच्छी तरह से तय है कि यदि कोई व्यक्ति न्यायालय में आता है और अपने पक्ष में कानून का फैसला प्राप्त करता है, तो यह उम्मीद की जाती है “कि न्यायालय का दरवाजा खटखटाए बिना, राज्य लाभ का विस्तार सभी समान स्थिति वाले व्यक्तियों में करेगा”।

राशन कार्ड और वितरण ऐजेंसी (Ration Card and Distribution Agency)

  • राशन कार्ड भारत में राज्य सरकार द्वारा उन परिवारों को जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली से सब्सिडी वाला खाद्यान्न खरीदने के लिये पात्र हैं।
  • खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, दिल्ली सरकार, आवश्यक वस्तुओं में व्यापार और वाणिज्य के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को विनियमित करने के लिये दिल्ली में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) (Public Distribution System) का प्रबंधन करती है ताकि उनकी आपूर्ति को बनाए रखा जा सके या बढ़ाया जा सके और उनके समान वितरण को सुरक्षित किया जा सके।
  • इस विभाग की स्थापना 1962 में हुई थी और यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को लागू करता है।
  • अधिनियम के तहत निर्धारित अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न की आपूर्ति हर महीने पात्र परिवारों को की जा रही है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत राशन कार्ड दो प्रकार के होते हैं:
    • प्राथमिकता घरेलू (Primary Household) राशन कार्ड उन परिवारों को जारी किये जाते हैं जो अपनी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।
    • अंत्योदय अन्न योजना (Antyodaya Anna Yojana) राशन कार्ड "सबसे गरीब" परिवारों को जारी किये जाते हैं।

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card)

  • “एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड" 2018 में पेश किया गया था और यह भारत के भीतर आंतरिक प्रवासियों सहित सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आधार-आधारित(Adhaar-Based) राष्ट्रीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी योजना है।
  • यह लाभार्थी के ऑनलाइन सत्यापन के लिये लाभार्थी के आधार कार्ड का उपयोग करता है और प्रवासी श्रमिकों तथा उनके परिवार के सदस्यों को देश में कहीं भी किसी भी उचित मूल्य की दुकान से पीडीएस लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार राशन कार्ड की अंतर-राज्य पोर्टेबिलिटी के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (National Food Security Act, 2013)

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 का लक्ष्य देश के 1.4 अरब लोगों में से लगभग दो तिहाई को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराना है।
  • अधिनियम के तहत मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme), सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System) और एकीकृत बाल विकास सेवाएं (Integrated Child Development Services) जैसी योजनाएं शामिल हैं।
  • मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) - यह दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा स्कूल भोजन कार्यक्रम है, जो शिक्षा मंत्रालय के तहत कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्रों को दोपहर का भोजन प्राप्त कराता है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवाएँ(Integrated Child Development Services) - 1975 में शुरू किया गया सरकार का यह प्रमुख कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य बच्चों को पूरक पोषण(Supplementary-Nutrition) , टीकाकरण और प्री-स्कूल शिक्षा प्रदान करना है, यह सरकार का एक लोकप्रिय प्रमुख कार्यक्रम है।