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सांविधानिक विधि
IT नियमों में संशोधन, 2023
« »05-Feb-2024
कुणाल कामरा बनाम भारत संघ एवं संबंधित मामले “सूचना और प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन, 2023 के तहत प्रस्तावित तथ्य जाँच इकाई ने स्पष्ट रूप से COI के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत प्रदान किये गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।” न्यायमूर्ति पटेल |
स्रोत: बॉम्बे उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कुणाल कामरा बनाम भारत संघ एवं संबंधित मामले के मामले में माना है कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन, 2023 के तहत प्रस्तावित तथ्य जाँच इकाई ने ऑनलाइन और प्रिंट सामग्री के बीच अंतर के कारण भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत प्रदान किये गए मौलिक अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है।
कुणाल कामरा बनाम भारत संघ एवं संबंधित मामले के मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत एक विशेष नियम 3(1)(b)(v) में केंद्र सरकार के संशोधन, 2023 के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है।
- संशोधन के माध्यम से, केंद्र सरकार ने स्वयं को इस बात का एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया है कि क्या फर्ज़ी, गलत या भ्रामक है या क्या नहीं है।
- याचिकाकर्त्ताओं के अनुसार, प्रस्तावित तथ्य जाँच इकाई का ऐसा संशोधन विशेष रूप से संवैधानिक स्वतंत्रता, जिनकी COI के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत गारंटी दी गई है, का उल्लंघन है।
- इसलिये, बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसे बाद में न्यायालय ने अनुमति दे दी है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि कोई भी विशेष जानकारी केवल डिजिटल होने से फर्ज़ी, गलत या भ्रामक नहीं हो जाती। उदाहरणों की संख्या अनंत है।
- यह भी माना गया कि पिछले आधे दशक से सोशल मीडिया प्राथमिक समाचार माध्यम बन गया है। भारत में हार्ड-कॉपी अखबार पाठकों में भारी गिरावट दिखाने के लिये कुछ डेटा मौजूद है। इसका अर्थ विज्ञापन राजस्व में ठहराव या गिरावट है। इस प्रकार सोशल मीडिया समाचार प्रसार का प्राथमिक चालक है।
- आगे कहा गया कि आक्षेपित नियम उन समाचार आउटलेट्स के लिये भी सोशल मीडिया डेटा को लक्षित करता है जिनके पास प्रिंट मीडिया है (और जिनके बारे में कुछ भी प्रस्तावित नहीं है या प्रस्तावित नहीं किया जा सकता है)। इस प्रकार, यह अनुच्छेद 9(1)(g) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। आक्षेपित नियम किसी भी रिपोर्ताज के डिजिटल संस्करण को समाचार चक्र से बाहर कर देता है जिससे केंद्र सरकार असहमत है।
इसमें कौन-से प्रासंगिक कानूनी प्रावधान शामिल हैं?
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021।
- 25 फरवरी, 2021 को, भारत संघ ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को अधिसूचित किया।
- नियम 3 में संशोधन:
- नियम 3 प्रतिविरोधात्मक नियम है। इसके कुछ भागों को वर्ष 2022 में और फिर वर्ष 2023 में संशोधित किया गया। वर्ष 2022 के संशोधन को कोई चुनौती नहीं है।
- नियम 3 के उपखंड 1 के आधारों को 'मानहानिकारक' और 'अपमानलेखीय' शब्दों को हटाकर तर्कसंगत बनाया गया है।
- कोई भी विषय-वास्तु मानहानिकारक या अपमानलेखीय है या नहीं, इसका निर्धारण न्यायिक समीक्षा के माध्यम से किया जाएगा।
- नियम 3 (नियम 3(1)(b)) के उपखंड 1 में कुछ विषय-वास्तु श्रेणियों को विशेष रूप से गलत सूचना और विभिन्न धार्मिक/जाति समूहों के बीच हिंसा भड़काने वाली विषयवस्तु से निपटने के लिये दोबारा तैयार किया गया है।
COI का अनुच्छेद 19(1)(g)
- COI का अनुच्छेद 19 (1) (g) अनुच्छेद 19 (6) के अधीन सभी नागरिकों को कोई भी पेशे का अभ्यास करने या कोई व्यवसाय, व्यापार करने का अधिकार प्रदान करता है जो राज्य द्वारा नागरिकों के उपर्युक्त अधिकारों पर लगाए जा सकने वाले प्रतिबंध की प्रकृति का वर्णन करता है।