भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण
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भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण

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 02-Jul-2024

स्वप्रेरणा: विषय: “सार्वजनिक स्वास्थ्य – खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण से वर्तमान की रक्षा करें तथा भविष्य को सुरक्षित रखें”

“लोगों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संकटपूर्ण एवं हानिकारक खाद्य पदार्थों से सुरक्षा प्रदान की गई है तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत कल्याणकारी राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह नागरिकों के ऐसे अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे”।

न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड

स्रोत: राजस्थान उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य- खाद्य अपमिश्रण से वर्तमान की रक्षा एवं भविष्य की सुरक्षा के मामले में स्वतः संज्ञान लिया, जहाँ राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न संबंधित प्राधिकरणों जैसे गृह मंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, FSSAI, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएं एवं खाद्य अनुसंधान संस्थान और अन्य संबंधित कार्यालयों को दिशा-निर्देश जारी किये गए।

सार्वजनिक स्वास्थ्य– खाद्य अपमिश्रण से वर्तमान की रक्षा एवं भविष्य की सुरक्षा मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण तेज़ी से बढ़ रही है जो खतरनाक है तथा संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
  • न्यायालय ने बताया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा किये गए सर्वेक्षण में टूथपेस्ट जैसी वस्तुओं में भी अपमिश्रण पाई गई है।
  • इसी प्रकार की टिप्पणी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में भी की गई।
  • इस मामले में विभिन्न खाद्य प्राधिकरणों एवं संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया।

न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?

  • न्यायालय ने खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण की समस्या को रोकने के लिये इस मामले में निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किये:
    • खाद्य सुरक्षा की जाँच और उस पर काम करने के लिये एक राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे।
    • जोखिम वाले क्षेत्रों में जहाँ खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण की अधिक संभावना है, वहाँ राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (SFSA) द्वारा खाद्य पदार्थों का नियमित नमूना लिया जाएगा।
    • शिकायत तंत्र बनाने के लिये राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा एक वेबसाइट बनाई जाएगी। वेबसाइट पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का टोल-फ्री नंबर एवं संपर्क नंबर दिया जाएगा।
    • SFSA यह सुनिश्चित करेगा कि परीक्षण प्रयोगशालाएँ मानव एवं प्रौद्योगिकी से सुसज्जित हों।
    • राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा खाद्य प्राधिकरणों और सुरक्षा अधिकारियों पर जाँच की जाएगी ताकि उनका अच्छा अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
    • राज्य सरकार खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण की प्रथा को कम करने के लिये लोगों के मध्य कार्यशालाओं एवं स्कूल कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाएगी।

भारत में खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण पर दण्डात्मक विधियाँ क्या है?

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 274 के अधीन विक्रय के लिये खाद्य या पेय में अपमिश्रण करने पर दण्ड का प्रावधान है:

  • जो कोई भी खाद्य या पेय पदार्थ में अपमिश्रण कारित करता है, जिससे वह पदार्थ खाद्य या पेय के रूप में हानिकारक हो जाता है, उस पदार्थ को खाद्य या पेय के रूप में विक्रय करने का आशय रखता है, या यह जानते हुए कि उसे खाद्य या पेय के रूप में विक्रय किया जाएगा, उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या अर्थदण्ड जो पाँच हज़ार रुपए तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से।
  • इसे पहले भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 272 के अधीन अधिनियमित किया गया था।

खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण के संबंध में महत्त्वपूर्ण निर्णय:

  • पार्ले बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम ठाकोर कचाराजी (1987): इस मामले में यह माना गया कि यद्यपि भारतीय दण्ड संहिता एवं खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के अधीन अपमिश्रण के लिये दण्ड प्रावधानित किये गए हैं, लेकिन इन प्रावधानों के अधीन किसी एक व्यक्ति को दो बार दण्डित नहीं किया जाना चाहिये।