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सांविधानिक विधि

COI का अनुच्छेद 300A

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 19-Apr-2024

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय बनाम झारखंड राज्य

कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन, उसकी पिछली सराहनीय सेवाओं के लिये मिलती है तथा यह COI के अनुच्छेद 300 A के अधीन, एक संवैधानिक अधिकार है।

न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर एवं नवनीत कुमार

स्रोत: झारखंड उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय बनाम झारखंड राज्य के मामले में माना कि कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन, उसकी पिछली सराहनीय सेवाओं के लिये मिलती है तथा यह भारत के संविधान (COI), 1950 के अनुच्छेद 300 A के अधीन, एक संवैधानिक अधिकार है।

COI के अनुच्छेद 300A की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में प्रतिवादी (महमूद आलम, मोहम्मद अब्बास अली, देव नारायण साव एवं शेख केताबुल हुसैन) अपीलकर्त्ता (बिरसा कृषि विश्वविद्यालय) के अधीन दैनिक मज़दूर के रूप में लगे हुए थे।
  • प्रतिवादियों ने अपनी सेवा के नियमित न होने की शिकायत के साथ रिट न्यायालय में अपील की क्योंकि विश्वविद्यालय के अधीन अन्य समान रूप से स्थित दैनिक वेतनभोगियों को नियमित कर दिया गया था।
  • अपीलकर्त्ता को प्रतिवादियों के नियमितीकरण पर विचार करने के निर्देश के साथ रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।
  • बाद में प्रतिवादियों को नियुक्तियों की पेशकश की गई, जो अपीलकर्त्ता, विश्वविद्यालय के अनुसार नई नियुक्तियाँ थीं तथा इसलिये प्रतिवादी अपनी पिछली सेवाओं के किसी भी लाभ के लिये दावा करने के अधिकारी नहीं थे।
  • इससे व्यथित होकर, प्रतिवादियों ने अपनी पिछली सेवाओं के लिये वेतन, भत्ते एवं पेंशन के सभी लाभों का दावा करने के लिये रिट आवेदन दायर किये, जिन्हें बाद में निपटान कर दिया गया।
  • इससे व्यथित होकर अपीलकर्त्ता ने झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की, जिसे बाद में न्यायालय ने खारिज कर दिया।

न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?

  • न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर एवं न्यायमूर्ति नवनीत कुमार की पीठ ने कहा कि किसी कर्मचारी को पेंशन के लाभ से वंचित करना, COI के अनुच्छेद 300A के अधीन, उनके संवैधानिक अधिकार को छीनना है, क्योंकि कर्मचारी द्वारा पेंशन उनकी पिछली सराहनीय सेवाओं के कारण मिलती है
  • उच्च न्यायालय ने देवकीनंदन प्रसाद बनाम बिहार राज्य (1971) के मामले पर भरोसा किया, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पेंशन कोई ईनाम या दान नहीं है, यह कर्मचारी द्वारा पिछली सराहनीय सेवाओं के कारण मिलती है।

COI का अनुच्छेद 300A क्या है?

  • इस अनुच्छेद में कहा गया है कि उचित प्रक्रिया एवं विधि के अधिकार के अतिरिक्त व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • मूल रूप से, COI के भाग III ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों में से एक के रूप में स्थापित किया।
  • हालाँकि, वर्ष 1978 में 44वें संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति का अधिकार, अब मौलिक अधिकार नहीं रह गया।
  • COI के अनुच्छेद 300A के अधीन इसे संवैधानिक अधिकार बनाया गया था।
  • अनुच्छेद 300A के अनुसार राज्य के द्वारा किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से वंचित करने के लिये उचित प्रक्रिया एवं विधि के अधिकार का पालन करना होगा।