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सांविधानिक विधि

COI का अनुच्छेद 311

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 29-Mar-2024

डॉ. योगानंद ए. बनाम विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं अन्य

COI का अनुच्छेद 311(1) सरकारी कर्मचारियों को कुछ सुरक्षा उपायों की गारंटी देता है, जिसमें कर्मचारियों के विरुद्ध कोई भी प्रतिकूल कार्रवाई करने से पहले निष्पक्ष जाँच का अधिकार शामिल है।

न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम

स्रोत: कर्नाटक उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने डॉ. योगानंद ए. बनाम विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं अन्य के मामले में माना है कि भारत के संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 311(1) सरकारी कर्मचारियों को कुछ सुरक्षा उपायों की गारंटी देता है, जिसमें कर्मचारियों के विरुद्ध कोई भी प्रतिकूल कार्रवाई करने से पहले निष्पक्ष जाँच का अधिकार शामिल है।

डॉ. योगानंद ए. बनाम विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी।

  • यह मामला गवर्निंग काउंसिल द्वारा याचिकाकर्त्ता के विरुद्ध की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्त्ता की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की गई और परिणामस्वरूप प्रतिवादी रजिस्ट्रार, जो अनुशासनात्मक प्राधिकारी है, ने दूसरा कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें ज़ुर्माना लगाने का संकेत दिया गया है, जिससे प्रक्रियात्मक अनियमितताओं और COI के अनुच्छेद 311(1) के संभावित उल्लंघन के बारे में चिंता बढ़ गई है।
  • इसी पृष्ठभूमि में याचिकाकर्त्ता ने प्रतिवादी द्वारा पारित अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दण्ड के आदेश के विरुद्ध कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है।
  • उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि COI का अनुच्छेद 311(1) सरकारी कर्मचारियों को कुछ सुरक्षा उपायों की गारंटी देता है, जिसमें कर्मचारियों के विरुद्ध कोई भी प्रतिकूल कार्रवाई करने से पूर्व निष्पक्ष जाँच का अधिकार शामिल है। इस संवैधानिक प्रावधान का उद्देश्य मनमाने ढंग से आजीविका से वंचित होने को रोकना है और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारियों को उचित प्रक्रिया का लाभ मिले।
  • आगे यह नोट किया गया कि अनुच्छेद 311 (1) किसी भी दण्डात्मक कार्रवाई की शुरुआत से पूर्व कर्मचारियों को जाँच रिपोर्ट प्रदान करने के महत्त्व पर ज़ोर देता है, जिससे उन्हें आरोपों के विरुद्ध प्रभावी ढंग से प्रतिरक्षा करने और प्रक्रियात्मक निष्पक्षता सुनिश्चित करने में सक्षम बनाया जा सके।

COI का अनुच्छेद 311(1) क्या है?

अनुच्छेद 311:

  • यह अनुच्छेद संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किये जाने से संबंधित है।
  • इस अनुच्छेद के तहत दिये गए सुरक्षात्मक उपाय केवल सिविल सेवकों, यानी लोक अधिकारियों पर लागू होते हैं।
  • वे रक्षा कर्मियों के लिये उपलब्ध नहीं होते हैं।
  • इस अनुच्छेद के तहत संरक्षित लोग इसके सदस्य होते हैं:
    • संघ की सिविल सेवा
    • अखिल भारतीय सेवा
    • किसी भी राज्य की सिविल सेवा
    • वे लोग जो संघ या किसी राज्य के अधीन नागरिक पद पर होते हैं।

अनुच्छेद 311(1):

  • अनुच्छेद 311 (1) में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को जो संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का संदस्य है अथवा संघ या राज्य के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है, उसकी नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी द्वारा पदच्युत नहीं किया जाएगा या पद से नहीं हटाया जाएगा।

अनुच्छेद 311(2):

  • अनुच्छेद 311 (2) में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को, ऐसी जाँच के पश्चात् ही, जिसमें उसे अपने विरुद्ध आरोपों की सूचना दे दी गई है और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दे दिया गया है, पदच्युत किया जाएगा या पद से हटाया जाएगा या पंक्ति में अवनत किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

निर्णयज विधि:

  • पंजाब राज्य बनाम किशन दास (1971) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि किसी सरकारी कर्मचारी के वेतन में मात्र कटौती को अनुच्छेद 311 को लागू करने के लिये सरकारी कर्मचारी के पद के स्तर का निम्न होना नहीं कहा जा सकता है। यह भी कहा गया है कि इस अनुच्छेद को हर छोटे संव्यवहार विवरण पर लागू नहीं किया जा सकता है।