होम / करेंट अफेयर्स
सांविधानिक विधि
COI का अनुच्छेद 370
« »12-Dec-2023
भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के संदर्भ में "COI के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा गया और किसी राज्य से केंद्रशासित प्रदेश बनाने की संसद की शक्ति की भी पुष्टि की गई।" उच्चतम न्यायालय: |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित मामले में भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति के निरसन को बरकरार रखा है तथा किसी राज्य से केंद्रशासित प्रदेश बनाने की संसद की शक्ति की पुष्टि की।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के संदर्भ में संबंधित मामले की पृष्ठभूमि:
- COI के अनुच्छेद 370 में जम्मू और कश्मीर राज्य के शासन के संबंध में विशेष प्रावधान शामिल थे।
- राष्ट्रपति ने COI के अनुच्छेद 356(1)(b) के तहत एक उद्घोषणा के संदर्भ में संवैधानिक आदेश संख्या 272 और 273 जारी किये।
- इन आदेशों का प्रभाव संपूर्ण COI को जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू करने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के रूप में है।
- संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 अधिनियमित किया, जिसने राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।
- याचिकाकर्ताओं ने इन कार्यों की संवैधानिकता को चुनौती दी है।
- जुलाई, 2023 में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया।
- संविधान पीठ ने केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा।
न्यायालय की टिप्पणियाँ:
- संविधान पीठ ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को इस हद तक बरकरार रखा कि इससे पूर्ववर्ती जम्मू व कश्मीर राज्य से केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण हुआ।
- न्यायालय ने COI के अनुच्छेद 3(a) का उल्लेख किया जिसके अनुसार, संसद कानून द्वारा किसी भी राज्य से क्षेत्र को अलग करके या दो या दो से अधिक राज्यों या राज्यों के हिस्सों को मिलाकर या किसी भी क्षेत्र को किसी अन्य में शामिल कर एक नया राज्य बना सकती है। इस प्रकार न्यायालय ने माना कि संसद के पास किसी राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की शक्ति है।
इसमें शामिल प्रासंगिक कानूनी प्रावधान:
अनुच्छेद 370, COI:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है।
- इस अनुच्छेद के प्रावधानों में तीन मुख्य संघटक थे:
- भारत, विलय पत्र में शामिल तीन विषयों (रक्षा, विदेश मामले और संचार) को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में कानून नहीं बनाएगा। संसद केवल जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा की सहमति से ही उनसे परे कानून बना सकती थी।
- COI के अनुच्छेद 1 को छोड़कर COI का कोई भी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होगा।
- जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति में तब तक संशोधन या निरसन नहीं किया जा सकेगा जब तक कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा इसकी अनुशंसा नहीं करती।
अनुच्छेद 3, COI:
- अनुच्छेद 3 नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित है। इसमें प्रावधान है कि संसद कानून द्वारा:
(a) किसी राज्य से किसी क्षेत्र को अलग करके या दो या दो से अधिक राज्यों या राज्यों के हिस्सों को मिलाकर या किसी राज्य के किसी हिस्से को किसी अन्य में मिलाकर एक नया राज्य बना सकती है।
(b) किसी राज्य का क्षेत्रफल बढ़ा सकती है।
(c) किसी राज्य का क्षेत्रफल कम कर सकती है।
(d) किसी भी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
(e) किसी भी राज्य का नाम बदल सकती है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019:
- 5 अगस्त, 2019 को संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया, जिसके कारण पूर्ववर्ती राज्य का विभाजन (जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में) हुआ तथा COI के अनुच्छेद 370 (जिससे इस क्षेत्र को विशेष दर्जा प्राप्त था) को निरस्त कर दिया गया।
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन के प्रावधानों वाला यह अधिनियम 31 अक्तूबर, 2019 को प्रभावी हुआ।
- इस अधिनियम में 103 खंड हैं। यह 106 केंद्रीय कानूनों को केंद्रशासित प्रदेशों तक विस्तारित करता है, 153 राज्य कानूनों को निरस्त करता है तथा जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त करता है।
- इस अधिनियम द्वारा केंद्र सरकार को दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में कई कार्यकारी आदेश पारित करने की शक्ति भी प्राप्त हुई है।