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 02-Jan-2024

हरिंदर पाल सिंह @ हिंदा बनाम पंजाब राज्य और अन्य

"न्यायालय के समक्ष प्रथम दृष्टया झूठा हलफनामा दायर करने के लिये जेल अधिकारियों को फटकार लगाई गई, जिसमें कहा गया था कि किसी कैदी को न तो पीटा गया था और न ही किसी को कोई चोट लगी थी।"

न्यायमूर्ति एन. एस. शेखावत

स्रोत: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरिंदर पाल सिंह @ हिंदा बनाम पंजाब राज्य और अन्य के मामले में ADGP (जेल) के साथ-साथ जेल के उप महानिरीक्षक को भी समन किया है क्योंकि अधिकारियों द्वारा जेल में एक कैदी पर हमले की घटना से इनकार करते हुए झूठा हलफनामा दायर किया गया है।

हरिंदर पाल सिंह @ हिंदा बनाम पंजाब राज्य और अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में, हरिंदर पाल सिंह, जो एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा भुगत रहा था, को जेल में अधिकारियों और सिविल ड्रेस में एक व्यक्ति द्वारा बेरहमी से पीटा गया था।
  • जेल अधिकारियों ने एक झूठा हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि किसी कैदी को न तो पीटा गया था और न ही उसे कोई चोट लगी थी।
  • इसके बाद, केंद्रीय जेल, होशियारपुर, पंजाब द्वारा कैदी के विरुद्ध कथित मानसिक और शारीरिक यातना की न्यायिक जाँच के लिये उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी।
  • न्यायालय ने ADGP (जेल) से एक हलफनामे पर जवाब मांगा और सभी CCTV फुटेज को संरक्षित करने का निर्देश दिया।
  • न्यायालय ने ADGP (जेल), पंजाब, चंडीगढ़ के साथ-साथ जेल उप महानिरीक्षक, अमृतसर को सुनवाई की अगली तिथि पर न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति एन.एस. शेखावत ने न्यायालय के समक्ष प्रथम दृष्टया झूठा हलफनामा दायर करने के लिये जेल अधिकारियों को फटकार लगाई, जिसमें कहा गया था कि किसी कैदी को न तो पीटा गया था और न ही किसी को कोई चोट लगी थी।"
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि कार्यवाही के दौरान जब कैदी के वकील द्वारा CCTV फुटेज चलाया गया, तो यह स्पष्ट है कि जेल के अंदर जेल अधिकारियों द्वारा किसी व्यक्ति की पिटाई की जा रही थी।

हमला क्या है ?

  • परिचय:
    • भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 351 हमले के अपराध से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि जो कोई, कोई अंगविक्षेप या कोई तैयारी इस आशय से करता है, या यह संभाव्य जानते हुए करता है कि ऐसे अंगविक्षेप या ऐसी तैयारी करने से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका हो जाएगी कि जो वैसा अंगविक्षेप या तैयारी करता है, वह उस व्यक्ति पर आपराधिक बल का प्रयोग करने ही वाला है, वह हमला करता है, यह कहा जाता है।
    • स्पष्टीकरण- केवल शब्द हमले की कोटि में नहीं आते, किंतु जो शब्द कोई व्यक्ति प्रयोग करता है, वे उसके अंगविक्षेप या तैयारियों को ऐसा अर्थ दे सकते हैं जिससे वे अंगविक्षेप या तैयारियाँ हमले की कोटि में आ जाएँ।
  • हमले हेतु आवश्यक संघटक:
    • किसी व्यक्ति पर हमले का मुकदमा चलाने के लिये अभियोजन पक्ष को निम्नलिखित दो तत्त्व स्थापित करने चाहिये -
    • किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे की उपस्थिति में कोई अंगविक्षेप या तैयारी करना; और
      • संभाव्यता का आशय या ज्ञान कि इस तरह के अंगविक्षेप या तैयारी से व्यक्ति को यह आशंका हो जाएगी कि ऐसा करने वाला व्यक्ति उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करने वाला है।
  • हमले के लिये सज़ा:
    • IPC की धारा 352 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा गंभीर और अचानक प्रकोपन दिये जाने पर करने से अन्यथा करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, जो पाँच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।