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आपराधिक कानून

लोकसेवक की परिभाषा

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 16-May-2024

मालदा ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक कर्मचारी संघ एवं अन्य बनाम भारत का चुनाव आयोग एवं अन्य

"सरकार द्वारा वित्त पोषित सहकारी बैंक का कोई कर्मचारी, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 21 के अंतर्गत लोकसेवक नहीं है"।

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य

स्रोत: कलकत्ता उच्च न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की पीठ ने स्पष्ट किया कि सहकारी बैंक का एक कर्मचारी जो सरकार द्वारा वित्तपोषित नहीं है, वह भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 21 के अंर्तगत लोक सेवक नहीं है।

  • कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा मालदा ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक कर्मचारी संघ एवं अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य के मामले में यह टिप्पणी की गई।

मालदा ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक कर्मचारी संघ एवं अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता एसोसिएशन के सदस्य क्रमांक. 1, जो एक ज़िला सहकारी बैंक के कर्मचारी थे, को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP अधिनियम) की धारा 26 के अंतर्गत चल रहे संसदीय चुनाव के लिये मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा सहकारी बैंक के कर्मचारियों को मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के लिये IPC की धारा 21 का उपयोग किया।
    • याचिकाकर्त्ता क्रमांक.1 ज़िला सहकारी बैंक के कर्मचारियों का एक संघ है, जो ऐसे कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • याचिकाकर्त्ता संघ क्रमांक. 1 के सचिव, याचिकाकर्त्ता क्रमांक 2 हैं। 
  • सहकारी बैंक पश्चिम बंगाल सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2006 के अंर्तगत पंजीकृत है, लेकिन यह किसी भी सरकार द्वारा नियंत्रित अथवा वित्तपोषित नहीं है।
  • याचिकाकर्त्ताओं ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें एसोसिएशन के सदस्यों की मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्ति को चुनौती दी गई।
    • इसी मुद्दे पर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक अतिरिक्त रिट याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें मुगबेरिया सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी भी शामिल थे।
  • याचिकाकर्त्ताओं ने तर्क दिया कि सहकारी बैंक के कर्मचारियों को RP अधिनियम की धारा 26 के अंर्तगत मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि बैंक अधिनियम की धारा 159 (2) के दायरे में नहीं है।
  • याचिकाकर्त्ताओं ने तर्क दिया कि सहकारी बैंक केंद्रीय, प्रांतीय अथवा राज्य अधिनियम के अंर्तगत स्थापित नहीं है, और साथ ही यह केवल पश्चिम बंगाल सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2006 के अंर्तगत पंजीकृत है।
  • याचिकाकर्त्ताओं ने कर्मचारियों को मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के लिये IPC की धारा 21 पर ECI की निर्भरता को चुनौती दी।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

  • न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया कि IPC की धारा 21 के संदर्भ में ही "लोक सेवक" शब्द को परिभाषित करती है तथा साथ ही इस परिभाषा को RP अधिनियम जैसे किसी अलग कानून तक विस्तृत नहीं है, जो पूरी तरह से एक अलग क्षेत्र में संचालित होता है।
  • न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया कि सहकारी बैंक न केवल पश्चिम बंगाल सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2006 के अंर्तगत पंजीकृत था, बल्कि इसकी स्थापना, उस अधिनियम के अंर्तगत नहीं की गई थी, न ही इसे किसी सरकार द्वारा वित्तपोषित या प्रबंधित किया गया था।
  • न्यायालय द्वारा रिट याचिकाओं को स्वीकार कर लिया गया तथा सहकारी बैंकों के लिये मतदान अधिकारी के रूप में कार्य करने वाले याचिकाकर्त्ता संघों के सदस्यों की मांग के साथ नियुक्ति को भी रद्द कर दिया।
  • हालाँकि वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में उत्पन्न बाधा से बचाव हेतु, न्यायालय द्वारा नियुक्तियों को वर्तमान में हो रहे चुनाव के लिये वैध होने की अनुमति दी, लेकिन निर्देश दिया कि टिप्पणियों को अगले चुनावों से प्रभावी किया जाएगा।

नए एवं पुराने आपराधिक कानून के अंतर्गत लोक सेवक कौन हैं?

पुराना कानून (IPC)

IPC की धारा 21 में कहा गया है कि "लोक सेवक" शब्द के अंतर्गत निम्नलिखित पदधारक व्यक्ति आते हैं, अर्थात्:

  • सैन्य कार्मिक (दूसरा खंड):
    • भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना में प्रत्येक कमीशन प्राप्त अधिकारी
  • न्यायाधीश तथा न्यायिक अधिकारी (तीसरा खंड):
    • कोई भी न्यायाधीश, साथ ही कानून द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति स्वयं या अन्य लोगों के साथ मिलकर कोई भी न्यायिक भूमिका निभा सकता है,
  • न्यायालय के अधिकारी (चौथा खंड): 
    • न्यायालय का प्रत्येक अधिकारी (एक परिसमापक, रिसीवर या आयुक्त सहित) जिसका कर्तव्य है, ऐसे अधिकारी के रूप में, कानून या तथ्य के किसी भी मामले की जाँच करना अथवा रिपोर्ट करना, या कोई दस्तावेज़ बनाना, प्रामाणित करना, या रखना, या किसी भी संपत्ति का प्रभार लेना एवं निपटान करना, या किसी न्यायिक प्रक्रिया को निष्पादित करना, अथवा कोई शपथ दिलाना, या व्याख्या करना, या न्यायालय में आदेश को संरक्षित करना, तथा प्रत्येक व्यक्ति विशेष रूप से न्यायालय द्वारा ऐसे किसी भी कर्त्तव्य को निभाने के लिये अधिकृत किया गया है।
  • जूरी सदस्य और मूल्यांकनकर्त्ता (पाँचवाँ खंड):
    • प्रत्येक जूरीमैन, मूल्यांकनकर्त्ता, अथवा पंचायत का सदस्य, जो न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करता है।
  • मध्यस्थ और न्यायालय द्वारा नियुक्त व्यक्ति (छठा खंड): 
    • प्रत्येक मध्यस्थ अथवा अन्य व्यक्ति जिसे किसी न्यायालय या किसी अन्य सक्षम सार्वजनिक प्राधिकारी द्वारा निर्णय या रिपोर्ट के लिये कोई कारण या मामला भेजा गया है।
  • दूसरों को सीमित रखने के लिये सशक्त व्यक्ति (सातवाँ खंड):
    • प्रत्येक व्यक्ति जो कोई ऐसा पद धारण करता है, जिसके आधार पर उसे किसी व्यक्ति को कारावास में रखने का अधिकार है।
  • कानून प्रवर्तन एवं सार्वजनिक सुरक्षा अधिकारी (आठवाँ खंड):
    • सरकार का प्रत्येक अधिकारी जिसका कर्त्तव्य है, ऐसे अधिकारी के रूप में अपराधों को रोकना, अपराधों की जानकारी देना अथवा अपराधियों को न्याय दिलाना या सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सुविधा की रक्षा करना शामिल है।
  • सरकारी राजस्व एवं संपत्ति अधिकारी (नौवाँ खंड):
    • प्रत्येक अधिकारी, जिसका कर्त्तव्य, ऐसे अधिकारी के रूप में, सरकार की ओर से किसी भी संपत्ति को लेना, प्राप्त करना, रखना या खर्च करना है, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, मूल्यांकन या संविदा करना है, या किसी राजस्व प्रक्रिया को निष्पादित करना है, या सरकार के आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी मामले की जाँच करना, या रिपोर्ट करना, या सरकार के आर्थिक हितों से संबंधित किसी दस्तावेज़ को प्रामाणित करना या रखना, या सरकार के आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिये किसी भी कानून के उल्लंघन को रोकना।
  • स्थानीय प्राधिकारी राजस्व एवं संपत्ति अधिकारी (दसवाँ खंड):
    • प्रत्येक अधिकारी जिसका कर्त्तव्य है, ऐसे अधिकारी के रूप में, किसी भी संपत्ति को लेना, प्राप्त करना, रखना या खर्च करना, कोई सर्वेक्षण या मूल्यांकन करना या किसी गाँव, कस्बे या ज़िले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य उद्देश्य के लिये कोई दर या कर लगाना, या किसी गाँव, कस्बे या ज़िले के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिये कोई दस्तावेज़ बनाना, प्रामाणित करना या रखना।
  • चुनाव अधिकारी (ग्यारहवाँ खंड):
    • प्रत्येक व्यक्ति जो कोई ऐसा पद धारण करता है जिसके आधार पर उसे मतदाता सूची तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने या संशोधित करने या चुनाव या चुनाव का भाग आयोजित करने का अधिकार है।
  • सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी (बारहवाँ खंड):
    • सरकार की सेवा में या वेतन पाने वाला या सरकार द्वारा किसी सार्वजनिक कर्त्तव्य के निष्पादन के लिये शुल्क या कमीशन द्वारा पारिश्रमिक प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति
    • किसी स्थानीय प्राधिकारी, केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम के अंतर्गत स्थापित निगम या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में परिभाषित सरकारी कंपनी की सेवा या वेतन प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति।

नया कानून (भारतीय न्याय संहिता, 2023) 

  • BNS की धारा 28 लोक सेवक को परिभाषित करती है।
  • धारा 28 IPC की धारा 21 की तुलना में अद्यतन शब्दावली का उपयोग करती है।
    • उदाहरण के लिये, यह IPC की धारा 21 में उल्लिखित कंपनी अधिनियम, 1956 के बजाय "कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के खंड (45) में परिभाषित सरकारी कंपनी" को संदर्भित करता है।
  • धारा 28 सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3 के खंड (31) का संदर्भ देकर "स्थानीय प्राधिकरण" को परिभाषित करती है।
    • IPC की धारा 21 "स्थानीय प्राधिकरण" के लिये कोई विशिष्ट परिभाषा प्रदान नहीं करता है।