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आपराधिक कानून
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005
« »12-Apr-2024
गुलशन कुमार एवं अन्य बनाम निधि कश्यप “घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 धार्मिक संबद्धता या सामाजिक पृष्ठभूमि के बावजूद, प्रत्येक महिला पर लागू सामाजिक न्याय का एक उपाय है”। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुलशन कुमार एवं अन्य बनाम निधि कश्यप के मामले में माना है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (DV अधिनियम) धार्मिक संबद्धता या सामाजिक पृष्ठभूमि के बावजूद, प्रत्येक महिला पर लागू सामाजिक न्याय का एक उपाय है।
गुलशन कुमार एवं अन्य बनाम निधि कश्यप की पृष्ठभूमि क्या थी?
- संक्षेप में, प्रतिवादी/पत्नी की ओर से दायर एक घरेलू हिंसा याचिका को विद्वान विचारण न्यायालय ने दिनांक 29 मार्च 2023 के आदेश के अधीन डिफ़ॉल्ट होने की वज़ह से खारिज कर दिया था।
- इसके बाद, प्रतिवादी की ओर से विद्वान विचारण न्यायालय के समक्ष उसी की बहाली के लिये एक आवेदन दायर किया गया था, जिसे 18 जुलाई 2023 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था।
- इसके बाद, प्रतिवादी ने अपीलीय न्यायालय के समक्ष अपील दायर की तथा न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी/पत्नी की त्तारीख को अनुपस्थिति को स्पष्ट किया गया है और विचारण न्यायालय के समक्ष एकल सुनवाई में अनुपस्थिति के आधार पर याचिका को खारिज करने के लिये पर्याप्त आधार नहीं थे।
- इसके बाद, प्रतिवादी ने अपीलीय न्यायालय के समक्ष अपील दायर की और न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी/पत्नी की तारीख के दिन अनुपस्थिति को स्पष्ट किया गया है तथा विचारण न्यायालय के समक्ष एकल सुनवाई में गैर-उपस्थिति के आधार पर याचिका को खारिज करने के लिये पर्याप्त आधार नहीं थे।
- तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए, विद्वान अपीलीय न्यायालय ने प्रतिवादियों द्वारा अपीलकर्ताओं को 10,000/- रुपए की लागत के भुगतान के अधीन, घरेलू हिंसा याचिका को बहाल करने का निर्देश दिया।
- 05 मार्च 2024 के आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्त्ताओं (प्रतिवादी के पति एवं रिश्तेदारों) की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है।
- तदनुसार, याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि DV अधिनियम, सामाजिक न्याय का एक उपाय है जो धार्मिक संबद्धता या सामाजिक पृष्ठभूमि की परवाह किये बिना प्रत्येक महिला पर लागू होता है। घरेलू रिश्तों में घरेलू हिंसा के पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिये इसे अधिनियमित किया गया था।
DV अधिनियम क्या है?
परिचय:
- यह महिलाओं को सभी प्रकार की घरेलू हिंसा से बचाने के लिये बनाया गया एक सामाजिक लाभकारी विधि है।
- इसे 26 अक्टूबर 2006 को लागू किया गया था।
- यह उन महिलाओं के अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है, जो परिवार में होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार हैं।
- इस अधिनियम की प्रस्तावना यह स्पष्ट करती है कि अधिनियम की पहुँच यह है कि हिंसा, चाहे शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक या आर्थिक हो, सभी का निवारण संविधि द्वारा किया जाना है।
उद्देश्य:
- अधिनियम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करना तथा परिवार में होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा से उनकी रक्षा करना है।
- यह एक महिला के अधिकारों को लागू करने के लिये उपाय प्रदान करता है, जैसे- निवास, भरण-पोषण, अभिरक्षा, सुरक्षा और मुआवज़े का अधिकार।
घरेलू हिंसा:
- इस अधिनियम की धारा 3 के अधीन घरेलू हिंसा शब्द को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है।
- कोई भी कार्य, चूक या आचरण जो पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग या भलाई को नुकसान पहुँचाता है या अपमानित करता है या खतरे में डालता है, चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक, घरेलू हिंसा का गठन करता है।
- यहाँ तक कि दहेज़ या अन्य संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा की किसी भी अविधिक मांग को पूरा करने के लिए उत्पीड़न, धमकी या ज़बरदस्ती भी इसके अंतर्गत आती है।
- इस प्रकार, घरेलू हिंसा में वह सब कुछ सम्मिलित होगा, जो पीड़ित महिला को मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, यौन या आर्थिक नुकसान/चोट पहुँचाता है।