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सांविधानिक विधि

ई-मुलाकात सुविधा

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 24-Nov-2023

सोहराब बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) और अन्य।

"ई-मुलाकात का विस्तार उन सभी कैदियों तक किया जाना चाहिये जिनके रिश्तेदार दिल्ली से बाहर रहते हैं और उन्हें मुलाकात के लिये राजधानी की यात्रा करनी पड़ती है।"

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली सरकार से एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा कि ई-मुलाकात की सुविधा उन सभी कैदियों तक क्यों नहीं बढ़ाई जानी चाहिये जिनके रिश्तेदार दिल्ली से बाहर रहते हैं और उन्हें मुलाकात के लिये राजधानी की यात्रा करनी पड़ती है?

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह निर्णय सोहराब बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) और अन्य के मामले में दिया।

सोहराब बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) और अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • याचिकाकर्ता ने 'परमादेश का रिट' जारी करके न्यायालय का रुख किया है।
  • याचिकाकर्ता ने पहले ही 29 मई, 2023 को एक अभ्यावेदन दिया है जिसमें कहा गया है कि इस दुनिया में उसकी केवल पत्नी और माँ हैं और वे दोनों बीमार हैं तथा वे दिल्ली में नहीं रहते हैं, इसलिये याचिकाकर्ता को ई-मुलाकात का लाभ दिया जाना चाहिये।
  • प्रतिवादियों को एक 'स्टेटस रिपोर्ट' दाखिल करने का निर्देश दिया गया है कि क्यों ई-मुलाकात की सुविधा उन सभी समान स्थिति वाले कैदियों तक नहीं बढ़ाई जानी चाहिये जिनके रिश्तेदार दिल्ली में नहीं रहते हैं और मुलाकात के उद्देश्य से उन्हें उनके उनके मूल स्थान से दिल्ली आना पड़ता है।

न्यायालय की टिप्पणी क्या थी?

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि "यह टिप्पणी एक याचिकाकर्ता की उस प्रार्थना के संबंध में की गई थी जिसमें उसने राज्य को निर्देश देने की माँग की थी कि उसे उसके परिवार के साथ हर हफ्ते दो ई-मुलाकात की अनुमति दी जाए, ताकि वह अपनी बीमार माँ की देखभाल कर सके और सामाजिक संबंध बनाए रख सके।"

ई-मुलाकात क्या है?

  • कोविड काल के दौरान, कैदियों की वास्तविक मुलाकात बंद कर दी गई और दिल्ली की जेलों में ई-मुलाकात सुविधा का उपयोग शुरू किया गया।
  • यह सुविधा विशेष रूप से उन जेल कैदियों के लिये बहुत उपयोगी पाई गई है जिनके परिवार/रिश्तेदार देश में दूर-दराज़ के स्थानों पर रह रहे हैं या उन्हें वास्तविक वार्ता: आयोजित करने में कठिनाई हो रही है।
  • इस सुविधा के गुण और दोषों के बीच संतुलन रखते हुए निम्नलिखित निर्देशों के अधीन दिल्ली की जेलों में बंद कैदियों को यह सुविधा जारी रखने का निर्णय लिया गया है:
    • किसी कैदी की ई-मुलाकात केवल जेल की दर्ज सूची में उल्लिखित उसके रक्त संबंधियों/पति/पत्नी के साथ ही करने की अनुमति होगी।
    • ई-मुलाकात सुविधा के लिये प्राथमिकता उन कैदियों को दी जाएगी जो अपनी वास्तविक मुलाकात का लाभ नहीं उठाते हैं।
    • ई-मुलाकात सुविधा जेल में अच्छे आचरण को बनाए रखने के अधीन होगी।
    • किसी भी स्थिति में एक सप्ताह में दो से अधिक मुलाकात, अर्थात वास्तविक या ई-मुलाकात या संयोजन में, की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    • जेल के जनरल वार्ड में बंद कैदियों की ई-मुलाकात सुबह 9:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे के बीच होगी।
    • यह सुविधा सप्ताह में एक बार दी जायेगी। इन श्रेणियों के कैदियों की ई-मुलाकात आयोजित करने की जानकारी जाँच एजेंसियों के साथ साझा की जाएगी।
    • जेल अधीक्षक यह सुनिश्चित करेगा कि ई-मुलाकात की अवधि 15 मिनट से अधिक न हो। यह सुविधा छुट्टियों, शनिवार और रविवार को नहीं दी जानी चाहिये।
    • कैदी को कम-से-कम सहायक अधीक्षक स्तर के जेल अधिकारियों की उपस्थिति में ही ई-मुलाकात सुविधा का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
    • यदि कैदी को दिल्ली के भीतर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित किया जाता है तो ई-मुलाकात सुविधा के लिये दी गई अनुमति की प्रति उचित कार्रवाई के लिये स्थानांतरित जेल को भी भेजी जाएगी।
    • ई-मुलाकात सुविधा आतंकवादी गतिविधियों, राज्य के विरुद्ध अपराधों में शामिल विदेशी कैदियों पर लागू नहीं होगी।

'परमादेश का रिट' क्या है?

  • 'परमादेश' शब्द का शाब्दिक अर्थ 'हम आदेश देते हैं' है। परमादेश के इस विशेषाधिकार उपाय का उपयोग सभी प्रकार के सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रदर्शन को लागू करने के लिये किया जाता है।
  • परमादेश का रिट उस व्यक्ति की ओर से कुछ गतिविधि की मांग करता है जिसे इससे संबोधित किया जाता है।
  • इसमें मांग एक सार्वजनिक या अर्द्ध-सार्वजनिक कर्तव्य को पूरा करने की होती है जिसे करने से निकाय या व्यक्ति ने इनकार कर दिया है और जिसके प्रदर्शन को किसी अन्य कानूनी उपाय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है।