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सांविधानिक विधि
चुनावी बॉण्ड मामला
« »11-Oct-2023
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और अन्य बनाम भारत संघ भारत के मुख्य न्यायधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने प्रारंभिक मुद्दों की सुनवाई की और कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 31 अक्टूबर, 2023 को की जाएगी। उच्चतम न्यायलाय |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
उच्चतम न्यायलाय (SC) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और अन्य बनाम भारत संघ के मामले में चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 अक्टूबर, 2023 को सुनवाई करेगा।
चुनावी बॉण्ड मामले की पृष्ठभूमि:
- कोई भी इच्छुक दानदाता भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक तरीकों का उपयोग करके और केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA) की धारा 29C में किये गए संशोधन के बाद निर्दिष्ट बैंकों और शाखाओं में चुनावी बॉण्ड खरीद सकता है।
- चुनावी बॉण्ड विभिन्न मूल्यवर्ग में उपलब्ध हैं, जिससे खरीदार उन्हें 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये या 1 करोड़ रुपये के गुणकों में किसी भी राशि पर खरीद सकते हैं। विशेष रूप से बॉण्ड में दाता का नाम नहीं होता है, जिससे योगदानकर्त्ता की गुमनामी सुनिश्चित होती है।
- बॉण्ड की वैधता 15 दिनों की रहती है जिसके अंदर भुगतानकर्ता को इसे भुनाना होता है।
- बॉण्ड के अंकित मूल्य को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा प्राप्त स्वैच्छिक योगदान के रूप में माना जाएगा और इसे आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A के तहत आयकर से छूट का दावा करने के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाएगा।
- इसके बाद वित्त अधिनियम, 2017 आया, इसने गुमनाम चुनावी बॉण्ड के प्रावधान को आगे प्रस्तुत किया।
- वित्त अधिनियम, 2017 ने आयकर अधिनियम, 1961, आरपीए सहित कुछ कानूनों में संशोधन पेश किया।
- वर्तमान याचिका राजनीतिक दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज एवं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर की गई है, जिसमें इस योजना को "एक अस्पष्ट और अनियंत्रित फंडिंग प्रणाली के रूप में संदर्भित कर चुनौती दी गई है।
- न्यायालय निम्नलिखित आधारों पर याचिका पर सुनवाई करने के लिये सहमत हुआ:
- क्या गुमनाम चुनावी बॉण्ड नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हैं?
- क्या ऐसी योजना अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है?
- उच्चतम न्यायलाय इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 2023 को करेगा।
चुनावी बॉण्ड:
- चुनावी बॉण्ड भारत में राजनीतिक चंदा देने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला एक वित्तीय साधन है।
- इन्हें राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेहिता लाने के सरकार के प्रयासों के तहत वर्ष 2017 में प्रस्तुत किया गया था।
- चुनावी बॉण्ड का प्राथमिक उद्देश्य राजनीतिक दान के लिये नकदी के उपयोग को खत्म करना और यह सुनिश्चित करना है कि राजनीतिक दलों की फंडिंग अधिक पारदर्शी और वैध हो।
चुनावी बॉण्ड की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
- जारीकर्ता: चुनावी बॉण्ड भारत में अधिकृत बैंकों द्वारा जारी किये जाते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), ये बॉण्ड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।
- मूल्यवर्ग: चुनावी बॉण्ड कई मूल्यवर्ग में उपलब्ध हैं, आमतौर पर न्यूनतम ₹1,000 से लेकर ₹1 करोड़ तक के मूल्यवर्ग तक।
- क्रेता: कोई भी व्यक्ति या संस्था, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या कॉर्पोरेट इकाई, नामित बैंक से चुनावी बॉण्ड खरीद सकता है।
- गुमनामी: चुनावी बॉण्ड की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि वे वाहक साधन हैं। इसका अर्थ यह है कि बॉण्ड पर दानकर्ता की पहचान का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे गुमनामी सुनिश्चित हो सके।
- उपयोग: चुनावी बॉण्ड केवल उन राजनीतिक दलों द्वारा भुनाया जा सकता है जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत हैं।
- पारदर्शिता: सरकार ने तर्क दिया कि चुनावी बॉण्ड से पारदर्शिता में वृद्धि होगी क्योंकि दाता की जानकारी बैंक को पता होती है, भले ही इसे लोगों के सामने प्रकट न किया गया हो।
चुनावी बॉण्ड का नमूना:
संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 14, 19, 21 का भारत के संविधान के तहत महत्वपूर्ण स्थान है।
- इसके अलावा, मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) के मामले में उच्चतम न्यायलाय ने माना कि किसी व्यक्ति को 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' से वंचित करने वाला कानून न केवल अनुच्छेद 21 बल्कि अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 की कसौटी पर भी खरा नहीं उतरता है।
- अनुच्छेद 14 - विधि के समक्ष समता — राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
- अनुच्छेद 19 - वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
(1) सभी नागरिकों को--
(a) वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का,
(b) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का,
(c) संगम या संघ बनाने का,
(d) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का,
(e) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, और
(f) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा। - उपर्युक्त अधिकार अनुच्छेद 19(2) - (6) के तहत उल्लिखित उचित प्रतिबंधों के अधीन उपलब्ध हैं।
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण - किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।