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पारिवारिक कानून
हिंदू महिला संपत्ति अधिकार
« »20-May-2024
मुकटलाल बनाम कैलाश चंद (d) एवं अन्य “उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि एक महिला, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व का दावा तभी कर सकती है, जब उसके पास संपत्ति पर कब्ज़ा हो”। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और संदीप मेहता |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुकटलाल बनाम कैलाश चंद (d) और अन्य मामले में, उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि हिंदू महिला, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (HSA) की धारा 14 (1)1956 , हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के भीतर अविभाजित संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व का दावा कर सकती है। परंतु विचाराधीन संपत्ति पर उसका कब्ज़ा होना चाहिये।
मुकटलाल बनाम कैलाश चंद (d) और अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- एक हिंदू महिला (विधवा) के दत्तक पुत्र ने HUF संपत्ति के बँटवारे की मांग करते हुए दावा किया कि यह संपत्ति उसकी विधवा माँ को उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है।
- यद्यपि विधवा के पास HUF संपत्ति का कब्ज़ा नहीं था, फिर भी स्वामित्व और कब्ज़े की मांग करने वाला वाद खारिज कर दिया गया।
- वादी (दत्तक पुत्र) ने उच्च न्यायालय में HUF संपत्ति के विभाजन के लिये मुकदमा दायर किया जिसे अनुमति दे दी गई।
- प्रतिवादी ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपील की अनुमति दी और उच्च न्यायालय के आक्षेपित निर्णय को परिवर्तित कर दिया।
- न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और संदीप मेहता ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (HSA), 1956 की धारा 14(1) के अंतर्गत अविभाजित संयुक्त परिवार की संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व स्थापित करने के लिये हिंदू महिला के पास न केवल संपत्ति होनी चाहिये, बल्कि ऐसी संपत्ति का अर्जन और अधिग्रहण या तो विरासत के माध्यम से या वसीयत के माध्यम से, या विभाजन के माध्यम से या "भरण-पोषण या रखरखाव के बकाया के बदले में" या उपहार के द्वारा या उसके अपने कौशल या परिश्रम द्वारा अर्जित, या खरीद या विधि के द्वारा होना चाहिये।
- HSA की धारा 14(1) में कहा गया है कि एक हिंदू महिला द्वारा अविभाजित HUF संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व का दावा करने के लिये, उसे दो मानदंडों को पूरा करना होगा:
- संपत्ति पर कब्ज़ा होना
- इसे विरासत, वसीयत, विभाजन, रखरखाव, उपहार, कौशल, परिश्रम, खरीद या विधि के माध्यम से प्राप्त करना।
- न्यायालय ने कहा कि हिंदू महिला के पास HUF संपत्ति पर कब्ज़े के अभाव का अर्थ है कि केवल HUF में एक भाग उत्तराधिकार में प्राप्त होना, उस संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व के उसके दावे का समर्थन करने के लिये पर्याप्त नहीं होगा।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 क्या है?
- इसे 17 जून 1956 को हिंदुओं के बिना वसीयत उत्तराधिकार से संबंधित विधि में संशोधन और संहिताबद्ध करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 ने सहदायिक संपत्ति के प्रावधानों में संशोधन किया, जिससे मृतक की बेटियों को बेटों के
- समान अधिकार दिये गए तथा उन्हें समान देनदारियों के अधीन कर दिया गया।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 क्या है?
- परिचय:
- HSA, 1956 की धारा 14 एक हिंदू महिला की संपत्ति को उसकी पूर्ण संपत्ति मानती है।
- पूर्ण स्वामित्व:
- धारा 14 हिंदू महिलाओं को उनके पास उपस्थित किसी भी संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व प्रदान करती है, भले ही वह संपत्ति, चाहे अधिनियम के प्रारंभ होने से पूर्व अर्जित की गई हो अथवा बाद में।
- अपवाद:
- यह पूर्ण स्वामित्व विशिष्ट माध्यमों जैसे उपहार, वसीयत, डिक्री, सिविल कोर्ट के आदेश या पंचाट के माध्यम से अर्जित संपत्तियों पर लागू नहीं होता है। यदि ये लिखत, एक प्रतिबंधित संपत्ति निर्धारित करते हैं।
- विधिक स्थिति:
- एक बार जब एक हिंदू महिला के पास कोई संपत्ति होती है, तो इस धारा के अंतर्गत उस संपत्ति पर उसका पूर्ण और अप्रतिबंधित स्वामित्व हो जाता है, जिससे उसे किसी अन्य संपत्ति स्वामी के समान विधिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
HSA की धारा 14 का विधिक प्रावधान:
- HSA की धारा 14 एक हिंदू महिला की संपत्ति को उसकी पूर्ण संपत्ति मानती है। यह कहती है कि-
(1) किसी हिंदू महिला के पास उपस्थित कोई भी संपत्ति, चाहे वह इस अधिनियम के प्रारंभ होने से पूर्व या बाद में अर्जित की गई हो, वह उस संपत्ति की पूर्ण स्वामी के रूप में स्वीकार की जाएगी, न कि सीमित स्वामी के रूप में।
व्याख्या– इस उपधारा में, "संपत्ति" में एक हिंदू महिला द्वारा विरासत या वसीयत द्वारा, या विभाजन के माध्यम से, या भरण-पोषण के बदले में या भरण-पोषण के बकाया के रूप में, या किसी व्यक्ति से उपहार द्वारा अर्जित चल और अचल दोनों संपत्ति शामिल हैं। चाहे कोई रिश्तेदार हो या नहीं, उसके विवाह से पूर्व के समय या उसके बाद, या उसके अपने कौशल या परिश्रम से, या खरीद से या विधि से, या किसी भी अन्य तरीके से और ऐसी कोई संपत्ति जो उसके पास इस अधिनियम के प्रारंभ होने से ठीक पूर्व स्त्रीधन के रूप में थी।
(2) उप-धारा (1) में निहित कोई भी बात उपहार के माध्यम से या वसीयत या किसी अन्य साधन के अंतर्गत या सिविल कोर्ट के डिक्री या आदेश के अंतर्गत या किसी पंचाट के अंतर्गत अर्जित किसी भी संपत्ति पर लागू नहीं होगी, जहाँ उपहार की शर्तें, वसीयत या अन्य लिखत या डिक्री, आदेश या पंचाट ऐसी संपत्ति को प्रतिबंधित संपत्ति निर्धारित करते हैं।
HSA की धारा 14 से संबंधित प्रमुख निर्णयज विधियाँ क्या हैं?
- एम. शिवदासन (मृत) एलआर बनाम ए. सौदामिनी (मृत) एलआर और अन्य (2003) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस अधिनियम की धारा 14 की उपधारा (1) के अंतर्गत दावा बनाए रखने के लिये कब्ज़ा एक पूर्वनिर्धारित शर्त थी। हिंदू महिला के पास न केवल संपत्ति पर कब्ज़ा होना चाहिये, बल्कि उस संपत्ति का अधिग्रहण भी होना चाहिये। ऐसा अधिग्रहण या तो विरासत या वसीयत के माध्यम से, या विभाजन के माध्यम से या रखरखाव के बदले में या रखरखाव के बकाया के रूप में या उपहार द्वारा या अपने स्वयं के कौशल या परिश्रम से, या खरीद या विधि द्वारा होना चाहिये।
- चौधरी बनाम अजुधिया (2003) में, हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय ने माना कि यह महत्त्वहीन है कि महिला ने संपत्ति कैसे अर्जित की और यदि उसके पास कोई संपत्ति है, तो संपत्ति को उसकी पूर्ण संपत्ति माना जाएगा।