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गृह अतिचार

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 25-Dec-2023

अनुपम सिंह तोमर बनाम कोथनूर पुलिस कर्नाटक राज्य एवं अन्य

"मुलाकात के अधिकारों का अनुपालन न करने की स्थिति में एक पिता द्वारा बेटी से मिलने का प्रयास करना गृह अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं आता है।"

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना

स्रोत: कर्नाटक उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अनुपम सिंह तोमर बनाम कोथनूर पुलिस कर्नाटक राज्य एवं अन्य मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना है कि मुलाकात के अधिकारों का अनुपालन न करने की स्थिति में, एक पिता द्वारा बेटी से मिलने का प्रयास करना गृह अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं आता है।

अनुपम सिंह तोमर बनाम कोथनूर पुलिस कर्नाटक राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता व शिकायतकर्त्ता ने विवाह किया और उनके संबंध में टकराव आ गया।
    • उन दोनों ने आपसी सहमति से अपन विवाह समाप्त कर दिया।
  • आपसी सहमति से तलाक के लिये समझौते की शर्त यह थी कि पक्ष पति के प्रत्येक शनिवार को दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक पत्नी के निवास स्थान पर या गतिविधि क्षेत्र या मॉल जैसे तटस्थ स्थान पर बेटी से मिलने के अधिकार पर सहमत होंगे।
  • बेटी की अभिरक्षा पत्नी के पास थी।
  • पत्नी ने 27 अगस्त, 2022 को मुलाकात को पुनर्निर्धारित करते हुए पति को एक ई-मेल भेजा। याचिकाकर्त्ता ने नोट किये गए अनुसार संचार प्राप्त होने की पुष्टि की है।
  • लेकिन, पुनर्निर्धारण के बावजूद, याचिकाकर्त्ता 20 अगस्त, 2022 को पत्नी के भवन में प्रवेश करता है और माई गेट ऐप पर तीन बार अनुमति नहीं दिये जाने के बावजूद, वह अपनी बेटी से मिलने के लिये अन्य तरीकों से जाने का प्रयास करता है।
  • यह अपराध भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 448 के तहत दंडनीय अपराध के लिये दर्ज किया गया है।
  • इसके बाद याचिकाकर्त्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
  • न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्त्ता के विरुद्ध सभी आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि IPC की धारा 448 गृह अतिचार के लिये सज़ा से संबंधित है, न्यायालय ने माना कि जो कोई अपराध करने के इरादे से किसी दूसरे की संपत्ति में या उसके कब्ज़े में प्रवेश करता है, उसे आपराधिक अतिचार कहा जाता है और वर्तमान परिदृश्य में, अपराध के संघटक को लागू नहीं किया जा सकता है।
  • न्यायालय ने आगे कहा कि सक्षम न्यायालय के आदेश के अनुसार, पति के पास उस दिन मुलाकात का वैध अधिकार था, जिस दिन वह बेटी से मिलना चाहता था।

IPC की धारा 448 क्या है?

  • IPC की यह धारा गृह अतिचार के लिये सज़ा से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि जो कोई गृह-अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, जो एक हज़ार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
  • गृह अतिचार के अपराध को IPC की धारा 442 के तहत परिभाषित किया गया है। इस धारा में कहा गया है कि जो कोई मानव आवास के रूप में उपयोग की जाने वाली किसी इमारत, तंबू या जहाज़ या पूजा स्थल के रूप में या संपत्ति की सुरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग की जाने वाली किसी इमारत में प्रवेश करके या उसमें रहकर आपराधिक अतिचार करता है, उसे गृह -अतिचार में अपराध करने वाला माना जाता