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आपराधिक कानून

1 जुलाई 2024 के उपरांत दायर सभी अपीलों पर केरल उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश

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 19-Jul-2024

अब्दुल खादर बनाम केरल राज्य

“लागू विधि का निर्णय उसके प्रथम प्रस्तुतीकरण की तिथि के संदर्भ में किया जाएगा न कि उसके प्रतिनिधित्व के आधार पर”।

न्यायमूर्ति पी.जी. अजितकुमार

स्रोत: केरल उच्च्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने अब्दुल खादर बनाम केरल राज्य के मामले में माना है कि 1 जुलाई 2024 को या उसके बाद दायर याचिका पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

अब्दुल खादर बनाम केरल राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में अपीलकर्त्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया था।
  • ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के प्रावधानों के अनुसार की गई।
  • ट्रायल कोर्ट के निर्णय से व्यथित अपीलकर्त्ता ने 10 जुलाई 2024 को CrPC की धारा 374(2) के प्रावधानों को लागू करते हुए अपील दायर की।
  • प्रश्न यह था कि यह अपील CrPC या BNSS में से किस के अधीन दायर की जाए।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • केरल उच्च न्यायालय ने BNSS की धारा 531 (1) और 531 (2) (a) का अवलोकन किया।
  • इन प्रावधानों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि अपीलकर्त्ता को अपील करने का अधिकार है, परंतु अपील दायर करने के लिये अपनाई जाने वाली प्रक्रियात्मक विधि के संबंध में उसे निहित अधिकार नहीं है, जब तक कि किसी विधान में स्पष्ट रूप से इसका प्रावधान न किया गया हो।
  • इस मामले में अपीलकर्त्ता को अपील करने का अधिकार था।
  • न्यायालय ने माना कि 1 जुलाई 2024 को जारी कार्यवाही के लिये CrPC के प्रावधान लागू होंगे, जबकि यदि कार्यवाही 1 जुलाई 2024 से पूर्व समाप्त हो गई है तो BNSS के प्रावधान लागू होंगे।

BNSS की प्रयोज्यता पर केरल उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश क्या हैं?

●       01.07.2024 को या उसके उपरांत दायर की गई अपील BNSS के अधीन प्रदान की गई प्रक्रिया द्वारा शासित होगी, न कि CrPC के प्रावधानों द्वारा।

●       चाहे दोषसिद्धि का निर्णय 01.07.2024 से पहले या बाद में आया हो, यदि अपील 01.07.2024 को या उसके बाद दायर की जाती है, तो उसे BNSS के प्रावधानों में निहित प्रक्रिया का पालन करते हुए दायर किया जा सकता है।

●       01.07.2024 से पहले दायर सभी आवेदन और अपीलों में उठाए गए चरण CrPC के तहत होंगे।

●       जब कोई अपील/आवेदन दाखिल करने संबंधी दोषों को ठीक करने के बाद प्रस्तुत किया जाता है तो उसकी दाखिल करने की तिथि उसकी पहली प्रस्तुति की तिथि से संबंधित होनी चाहिये।

 BNSS की धारा 531 (1) और (2) (A) क्या है?

  • निरसन:
    • धारा 531 का खंड (1) CrPC को निरस्त करता है।
  • संरक्षण खंड:
    • खंड (2), निरस्त CrPC के कुछ आयामों को संरक्षित करते हुए एक बचाव प्रावधान प्रस्तुत करता है।
  • लंबित मामले:
    • खंड (2)(a) विशेष रूप से लंबित विधिक कार्यवाहियों को संबोधित करता है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
      • अपीलें
      • आवेदन
      • विचारण
      • जाँच
      • विवेचना
  • लंबित मामलों की निरंतरता:
    • BNSS लागू होने से ठीक पहले लंबित कोई भी कार्यवाही पुराने विधान के अधीन जारी रहेगी।
    • इन मामलों का निपटारा, जारी रखना, आयोजित करना या CrPC के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।
  • पुराने विधान का अनुप्रयोग:
    • इन लंबित मामलों पर CrPC लागू होगी, जैसा कि BNSS के प्रारंभ होने से ठीक पहले लागू होता था।
    • यह अनुप्रयोग इस प्रकार होता है मानो BNSS लागू ही न हुआ हो।

BNSS के अंतर्गत दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील से संबंधित प्रावधान क्या है?

  • ये प्रावधान BNSS की धारा 415 के अधीन दिये गए है जबकि CrPC में धारा 374 के अधीन दिया गया है:
    • उच्चतम न्यायालय में अपील:
      • उच्च न्यायालय द्वारा अपने असाधारण आपराधिक मूलक्षेत्राधिकार में दोषी ठहराए गए व्यक्ति पर लागू।
    • उच्च न्यायालय में अपील:
      • सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्तियों पर लागू।
      • किसी भी न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्तियों पर लागू है जहाँ कारावास के दण्ड की अवधि सात वर्ष से अधिक है।
    • सत्र न्यायालय में अपील:
      • प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्ति अपील कर सकते हैं।
      • धारा 364 के अंतर्गत दण्ड पाए व्यक्ति अपील कर सकते हैं।
      • जिन व्यक्तियों के विरुद्ध किसी मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 401 के अंतर्गत आदेश या दण्ड पारित किया गया है, वे अपील कर सकते हैं।
    • अपवाद:
      • उप-धारा (3), "उप-धारा (2) में अन्यथा प्रावधान के सिवाय" से प्रारंभ होती है।
      • इससे यह संकेत मिलता है कि यदि मामला उपधारा (2) के अंतर्गत आता है तो सत्र न्यायालय में अपील के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
    • पदानुक्रमित अपील संरचना:
      • यह धारा, दोषी ठहराने वाले न्यायालय और दण्ड की गंभीरता के आधार पर अपील के लिये एक स्पष्ट पदानुक्रम स्थापित करती है।
    • अपील का अधिकार:
      • यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि दोषी व्यक्तियों को अपने मामले की परिस्थितियों के आधार पर प्राप्त दण्ड के विरुद्ध उच्चतर न्यायालय में अपील करने का अधिकार है।
    • नोट:
      • नए प्रावधान के अंतर्गत “मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या सहायक सत्र न्यायाधीश” को इससे बाहर रखा गया है।

निर्णयज विधियाँ:

  • XXX बनाम संघ राज्यक्षेत्र चंडीगढ़ और अन्य (2024): ये दिशा-निर्देश पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी किये गए हैं:
    • 1 जुलाई 2024 को या उसके बाद दायर की गई अपील BNSS द्वारा शासित होगी।
    • चाहे दोषसिद्धि 1 जुलाई 2024 को या उससे पहले दी गई हो या अपील 1 जुलाई 2024 को या उसके बाद दायर की गई हो, BNSS का पालन किया जाना चाहिये।
    • 1 जुलाई 2024 से पहले दायर सभी आवेदन और अपील में उठाए गए कदम CrPC द्वारा शासित होंगे।
    • जब कोई अपील/आवेदन के दोषों को दूर करने के बाद पुनः प्रस्तुत किया जाता है, तो उसके दाखिल करने की तिथि, उसके प्रथम प्रस्तुतीकरण की तिथि मानी जाएगी।
    • CrPC के तहत 1 जुलाई 2024 को या उसके उपरांत दायर कोई भी अपील/संशोधन/आवेदन/संशोधन गैर-अनुरक्षणीय होगा और उसे खारिज/अस्वीकार कर दिया जाएगा।
  • अनूप के.ए. @ अनूप @ अनु बनाम भारत संघ (2021): इस मामले में न्यायालय ने माना कि प्रक्रियागत संशोधन पूर्वव्यापी रूप से लागू होते हैं, जब तक कि अन्यथा स्पष्ट रूप से प्रावधान न किया गया हो।