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पेपर लीक से संबंधित विधि
« »25-Jun-2024
सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 2024 “12 फरवरी 2024 को अधिनियमित सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 का उद्देश्य भारत में सार्वजनिक परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखना है”। विधि एवं न्याय मंत्रालय |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीट परीक्षा में अनियमितता एवं नेट परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों के कारण सार्वजनिक परीक्षाओं से संबंधित विधियों पर चर्चा प्रारंभ हो गई है।
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 क्या है?
परिचय:
- 12 फरवरी 2024 को अधिनियमित सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 का उद्देश्य भारत में सार्वजनिक परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखना है।
- यह अधिनियम विभिन्न सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बढ़ते कदाचार को संबोधित करता है।
अपराध:
- अनुचित साधन (धारा 3):
- प्रश्न-पत्रों या उत्तर कुंजियों का लीक होना: इसमें परीक्षा के आधिकारिक प्रारंभ से पूर्व परीक्षा के प्रश्नों या उत्तर कुंजियों का अनधिकृत रूप से लीक होना सम्मिलित है। इस तरह के लीक से परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को गंभीर रूप से खतरा हो सकता है।
- पेपर लीक के लिये संलिप्तता: प्रश्नपत्रों या उत्तर कुंजियों के लीक होने में सहायता करने के लिये किसी भी प्रकार के षड़यंत्र में भाग लेना या सहयोग करना। यह अपराध परीक्षाओं में अनियमितता की संगठित प्रकृति को दर्शाता है।
- परीक्षा सामग्री तक अनधिकृत पहुँच: उचित प्राधिकार के बिना प्रश्न-पत्रों या ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (OMR) पत्रों तक पहुँच या उन्हें अपने कब्ज़े में लेना। इसमें अवैध तरीकों से परीक्षा सामग्री प्राप्त करने का कोई भी प्रयास शामिल है।
- अनधिकृत समाधान प्रदान करना: परीक्षा के दौरान किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा परीक्षा के प्रश्नों के समाधान प्रस्तुत करना। इसमें बाहरी व्यक्तियों द्वारा अभ्यर्थियों को उत्तर बताना शामिल हो सकता है।
- अभ्यर्थियों को अनधिकृत सहायता: परीक्षा के दौरान किसी भी अनधिकृत तरीके से अभ्यथियों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना। इस व्यापक श्रेणी में धोखाधड़ी में सहायता के विभिन्न रूप शामिल हैं।
- उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़: परीक्षा समाप्त होने के उपरांत ओएमआर(OMR) उत्तर पत्रक में परिवर्तन करना या छेड़छाड़ करना।
- अनधिकृत मूल्यांकन परिवर्तन: उचित प्राधिकरण के बिना, वास्तविक त्रुटियों को सुधारने के अतिरिक्त, परीक्षा पत्रों के मूल्यांकन में परिवर्तन करना।
- परीक्षा मानदंडों का उल्लंघन: सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन के लिये केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों या मानकों का जानबूझकर उल्लंघन करना।
- दस्तावेज़ों में छेड़छाड़: अभ्यर्थियों की छंटनी या मेरिट सूची और रैंकिंग को अंतिम रूप देने के लिये उपयोग किये गए किसी भी दस्तावेज़ में छेड़छाड़ करना।
- सुरक्षा उल्लंघन: परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग को रोकने के लिये लागू सुरक्षा उपायों का जानबूझकर उल्लंघन करना।
- कंप्यूटर सिस्टम से छेड़छाड़: परीक्षा प्रक्रिया में प्रयुक्त कंप्यूटर नेटवर्क, संसाधनों या प्रणालियों में हस्तक्षेप करना या उनमें हेर-फेर करना।
- परीक्षा व्यवस्था में हेराफेरी: नकल करने के उद्देश्य से अभ्यर्थियों की बैठने की व्यवस्था, तिथियों या पालियों के आवंटन में परिवर्तन करना।
- धमकी और बाधा: परीक्षा प्राधिकरण, सेवा प्रदाताओं या परीक्षा संचालन में शामिल सरकारी एजेंसियों से जुड़े व्यक्तियों को धमकाना या बाधा डालना।
- साइबर अपराध: अभ्यर्थियों को धोखा देने या आर्थिक लाभ के लिये छ्द्म वेबसाइट बनाना और छद्म परीक्षाएँ आयोजित करना।
- अनुचित साधनों के लिये षडयंत्र (धारा 4):
- यह धारा किसी भी व्यक्ति, व्यक्तियों के समूह या संस्थाओं को परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये संलिप्तता या षड़यंत्र रचने से रोकती है। यह मानती है कि परीक्षा धोखाधड़ी में प्रायः कई पक्षों द्वारा समन्वित प्रयास शामिल होते हैं।
- सार्वजनिक परीक्षा के संचालन में व्यवधान (धारा 5):
- अनाधिकृत प्रवेश: परीक्षा में बाधा डालने के आशय से आए अनाधिकृत व्यक्तियों को परीक्षा परिसर में प्रवेश करने से रोकता है।
- प्रश्न-पत्रों तक समय से पूर्व पहुँच: अधिकृत कार्मियों को आधिकारिक समय से पहले प्रश्न-पत्रों को खोलने, लीक करने, रखने, उन तक पहुँचने या हल करने से प्रतिबंधित किया जाता है।
- गोपनीय जानकारी का अनधिकृत प्रकटीकरण: यह मौद्रिक या अनुचित लाभ के लिये परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी को साझा करने से रोकता है।
- गोपनीयता का उल्लंघन: अधिकृत कार्मियों को उनके आधिकारिक कर्त्तव्यों के माध्यम से प्राप्त जानकारी को प्रकट करने से रोकता है, सिवाय इसके जब ऐसा करना उनके कर्त्तव्य के लिये आवश्यक हो।
- अन्य अपराध (धारा 6):
- इस धारा में यह अनिवार्य किया गया है कि सेवा प्रदाताओं को धारा 3, 4 और 5 के अधीन किसी भी अपराध की सूचना पुलिस को देनी होगी तथा सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को सूचित करना होगा। यदि सेवा प्रदाता स्वयं अनुचित साधनों में शामिल है, तो परीक्षा प्राधिकरण को इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी।
- सार्वजनिक परीक्षा के लिये परीक्षा केंद्र के अतिरिक्त किसी अन्य परिसर के उपयोग पर प्रतिबंध (धारा 7):
- यह धारा के अधीन सेवा प्रदाताओं या संबद्ध व्यक्तियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण की लिखित अनुमति के बिना, परीक्षा आयोजित करने के लिये अधिकृत परीक्षा केंद्र के अतिरिक्त किसी अन्य परिसर का उपयोग करना अपराध है।
- अप्रत्याशित घटना के कारण होने वाले परिवर्तनों के लिये अपवाद बनाया गया है।
- सेवा प्रदाताओं और अन्य व्यक्तियों के संबंध में अपराध (धारा 8):
- अनधिकृत सहायता: किसी भी व्यक्ति, जिसमें सेवा प्रदाताओं से जुड़े लोग भी शामिल हैं, के लिये सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में किसी भी अनधिकृत व्यक्ति की सहायता करना अपराध माना जाएगा।
- सूचित करने में विफलता: यदि सेवा प्रदाता या संबद्ध व्यक्ति अनुचित साधनों या अन्य अपराधों की घटनाओं की सूचना देने में विफल रहते हैं तो यह अपराध है।
- काॅर्पोरेट उत्तरदायित्व: यदि किसी सेवा प्रदाता द्वारा कोई अपराध किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या संलिप्तता द्वारा किया जाता है, तो ऐसे व्यक्तियों को भी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के अधीन दण्ड का प्रावधान क्या है?
- अपराध की प्रकृति (धारा 9):
- सभी अपराध संज्ञेय, गैर-ज़मानती एवं अशमनीय हैं।
- सामान्य अपराध (धारा 10(1)):
- कारावास: 3-5 वर्ष
- अर्थदण्ड: 10 लाख रुपए तक
- सेवा प्रदाता अपराध (धारा 10(2)):
- अर्थदण्ड: 1 करोड़ रुपए तक
- 4 वर्ष तक परीक्षा आयोजित करने पर रोक
- अनुपातिक परीक्षा लागत की वसूली
- वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा किया गया अपराध (धारा 10(3)):
- कारावास: 3-10 वर्ष
- अर्थदण्ड: ₹1 करोड़
- संगठित अपराध (धारा 11(1)):
- कारावास: 5-10 वर्ष
- अर्थदण्ड: 1 करोड़ से कम नहीं
- संगठित अपराध में संस्थागत संलिप्तता (धारा 11(2)):
- संपत्ति की कुर्की एवं ज़ब्ती
- अनुपातिक जाँच लागत की वसूली