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सांविधानिक विधि

गौ-हत्या प्रतिबंध पर निर्णय लेने के लिये विधानमंडल सक्षम है

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 01-Aug-2023

गौ-हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध केवल विधायिका ही लगा सकती है। (अवलोकन) (दिल्ली उच्च न्यायालय)

चर्चा में क्यों?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को गाय और उसकी संतान के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया क्योंकि इस संबंध में किसी भी कदम के लिये सक्षम विधायिका से संपर्क करना आवश्यक होगा।

पृष्ठभूमि:

  • न्यायालय एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के गाय और उसकी संतान, जिसमें बूढ़े-बेकार बैल, सामान्य बैल तथा बूढ़ी भैंस व समकक्ष नर शामिल हैं, के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
  • न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अधिनियमित कानून के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गौ-हत्या के संबंध में पहले से ही प्रतिबंध है।
  • न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अन्य राज्यों के लिये, याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विचार करते हुए उचित कदम उठाने के लिये स्वतंत्र है, जिसमें कहा गया था कि विधायिका को किसी विशेष कानून के साथ आने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केवल एक सक्षम विधायिका ही गाय और उसकी संतान के वध पर रोक के संबंध में उत्पन्न होने वाले ऐसे प्रश्नों पर निर्णय ले सकती है, तथा उच्चतम न्यायालय, अपने रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए, विधायिका को किसी विशेष कानून को लागू करने के लिये मजबूर नहीं कर सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने अंततः मामले में अपीलकर्ताओं पर विधायिका से संपर्क करने का अधिकार छोड़ दिया।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि "जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, दिल्ली राज्य में पहले से ही एक अधिनियम लागू है जो मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है, और अन्य राज्यों के संबंध में याचिकाकर्ता माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के संबंध में” निश्चित रूप से उचित कदम उठाने के लिये स्वतंत्र होंगे।"

न्यायालय की टिप्पणियाँ:

उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता इस याचिका में मांगी गई राहत के लिये दबाव नहीं डाल सकते हैं।

गौ हत्या:

  • अहिंसा के नैतिक सिद्धांत और सभी जीवन रूपों की एकता में विश्वास के कारण विभिन्न भारतीय धर्मों द्वारा मवेशी वध का भी विरोध किया गया है।
  • भारत का संविधान भाग IV के तहत - राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत यह प्रावधान करते हैं कि राज्य आधुनिक और वैज्ञानिक तर्ज पर कृषि व पशुपालन को व्यवस्थित करने का प्रयास करेगा, नस्लों में सुधार के लिये कदम उठाएगा तथा गायों, बछड़ों एवं अन्य दुधारू मवेशियों व अन्य पशुओं के वध पर रोक लगाएगा।
  • डी.पी.एस.पी. में निहित सिद्धांत के अनुसरण में, लगभग 20 राज्यों ने मवेशियों (गाय, बैल व सांड) और भैंसों के वध को विभिन्न स्तरों तक प्रतिबंधित करने वाले कानून पारित किये हैं।
    • कुछ राज्य जहां गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है वे इस प्रकार हैं:
    • बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश ने गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की वैधता पर मामले:

मो. हनीफ़ क़ुरैशी बनाम बिहार राज्य (1959) - उच्चतम न्यायालय ने कहा कि:

  • मवेशियों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना वैध है और अनुच्छेद 48 के तहत निर्धारित निदेशक सिद्धांतों के अनुरूप है।
  • भैंसों एवं प्रजनन करने वाले बैलों या काम में इस्तेमाल किये जाने वाले बैलों पर तब तक पूर्ण प्रतिबंध लगाना भी उचित और वैध था, जब तक वे दुधारू या भार ढोने वाले मवेशियों के रूप में उपयोग करने में सक्षम हैं।

गुजरात राज्य बनाम मिर्ज़ापुर मोती कुरेशी कसाब जमात (2005)-

  • इस मामले में याचिका बॉम्बे पशु संरक्षण अधिनियम, 1954 की धारा 5 में संशोधन को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जो गुजरात राज्य पर भी लागू होती थी।
  • इस ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने भारत में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिनियमित गौहत्या विरोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।

संवैधानिक कानून पहलू:

अनुच्छेद 48 - कृषि एवं पशुपालन का संगठन:

राज्य कृषि व पशुपालन को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तर्ज पर व्यवस्थित करने का प्रयास करेगा और विशेष रूप से, गायों, बछड़ों, दुधारू पशुओं तथा वाहक मवेशियों की नस्लों के संरक्षण, सुधार एवं उनके वध पर रोक लगाने के लिये कदम उठाएगा।

अनुच्छेद 51-A - मौलिक कर्तव्य - यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा:

(छ) वनों, झीलों, नदियों एवं वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव रखना।

दिल्ली कृषि मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1994:

  • इस अधिनियम का उद्देश्य दुधारू, सूखा, प्रजनन या कृषि उद्देश्यों के लिये उपयुक्त जानवरों के संरक्षण का प्रावधान करना है।
  • यह अधिनियम संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पर लागू होता है।
  • धारा 4- खेतिहर मवेशियों के वध पर प्रतिबंध- तत्समय लागू किसी अन्य कानून या किसी प्रथा या रीति-रिवाज में इसके विपरीत किसी बात के बावजूद, कोई भी व्यक्ति किसी भी कृषि-पशु का वध नहीं करेगा या वध नहीं कराएगा या वध के लिये पेश नहीं करेगा या नहीं करवाएगा।