Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है










होम / करेंट अफेयर्स

आपराधिक कानून

किसी पोस्ट को लाइक करना प्रकाशित करने या प्रसारित करने का कार्य नही है

    «    »
 20-Oct-2023

मोहम्मद इमरान काजी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को केवल "लाइक" करने की कार्रवाई उक्त पोस्ट को प्रकाशित करने या प्रसारित करने का कार्य नहीं है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

स्रोतः इलाहाबाद उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मोहम्मद इमरान काजी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के मामले में फैसला सुनाया है कि सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को केवल "लाइक" करने की कार्रवाई उक्त पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करने का कार्य नहीं है।

मोहम्मद इमरान काजी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामले की पृष्ठभूमि

  • आवेदक के खिलाफ आरोप सोशल मीडिया पर उसके उत्तेजक संदेश पोस्ट करने पर केंद्रित था।
  • इन संदेशों के कारण मुस्लिम समुदाय के लगभग 600-700 व्यक्ति एकत्रित हो गए, जिन्होंने उचित अनुमति के बिना जुलूस का आयोजन किया। इस अनधिकृत सभा ने शांति और इसके संभावित उल्लंघन के लिये एक महत्त्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न किया।
  • आगरा में भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 147, 148, 149, धारा 67 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2010 (IT Act) के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।
  • वर्तमान आवेदन विवादित आरोप पत्र को रद्द करने के लिये दायर किया गया है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की न्यायपीठ ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2010 (IT Act) की धारा 67 में इस्तेमाल की गई भाषा ऐसी सामग्री से संबंधित है, जो "कामुकतापूर्ण या स्वार्थी हित के लिये अपील करने वाली" है, जो यौन रुचि और इच्छा से संबंधित सामग्री पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत देती है।
  • नतीजतन, आवेदक का ऐसा कृत्य सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2010 (IT Act) की धारा 67 के दायरे में नहीं आता है, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रसार के लिये दंड का प्रावधान करता है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2010 (IT Act) की धारा

  • धारा 67 - इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने के लिये सजा- जो कोई, इलेक्ट्रॉनिक रूप में, ऐसी सामग्री को प्रकाशित या पारेषित करता है अथवा प्रकाशित या पारेषित कराता है, जो कामोत्तेजक है या जो कामुकता की अपील करती है या यदि इसका प्रभाव ऐसा है जो व्यक्तियों को कलुषित या भ्रष्ट करने का आशय रखती है जो सभी सुसंगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसमें अंर्तविष्ट या उसमें आरुढ़ सामग्री को पढ़ने, देखने या सुनने की संभावना है, पहली दोषसिद्धि पर, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पाँच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडित किया जायेगा और दूसरी या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में, किसी भी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी और ज़ुर्माने से भी, जो दस लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडित किया जायेगा ।