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विवाह-संस्कार

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 22-Apr-2024

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"शादी के रिसेप्शन को विवाह के संस्कारों का भाग नहीं माना जा सकता”।

न्यायमूर्ति राजेश पाटिल

स्रोत: बाम्बे उच्च न्यायालय   

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक विवाह के रिसेप्शन को विवाह के संस्कारों का हिस्सा नहीं माना।

इस मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता (पत्नी) एवं प्रतिवादी (पति) ने 7 जून, 2015 को राजस्थान के जोधपुर में हिंदू वैदिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार विवाह किया।
  • जोधपुर में उनकी विवाह के बाद, 11 जून 2015 को मुंबई के ग्रांट रोड स्थित एक होटल में विवाह का रिसेप्शन हुआ।
  • 15 अक्टूबर 2019 को विवाह से उत्पन्न वैवाहिक मुद्दों के कारण, पत्नी एवं पति, उस समय पृथक हो गए जब वे U.S.A. में रह रहे थे।
  • 6 अगस्त 2020 को पति ने क्रूरता के आधार पर बांद्रा स्थित कुटुंब न्यायालय में विवाह विच्छेद की याचिका दायर की।
  • बाद में पत्नी ने कुटुंब न्यायालय, बांद्रा, मुंबई के समक्ष पति द्वारा दायर विवाह विच्छेद की याचिका की स्थिरता को चुनौती देते हुए आवेदन दायर किया, क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (HMA) की धारा 19 के अधीन उल्लिखित कोई भी आधार इसमें निहित नहीं था।
  • कुटुंब न्यायालय ने याचिकाकर्त्ता द्वारा दायर आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कुटुंब न्यायालय, मुंबई के पास पति द्वारा दायर विवाह विच्छेद याचिका पर विचार करने एवं निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र है।
  • इस निर्णय को चुनौती देते हुए याचिकाकर्त्ता द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई है
  • याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कुटुंब न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय को रद्द कर दिया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने कहा कि "शादी के रिसेप्शन को विवाह के संस्कारों का भाग नहीं माना जा सकता” तथा इसलिये, विवाह विच्छेद की याचिका दायर करने का अधिकार क्षेत्र उस कुटुंब न्यायालय के समक्ष है, जहाँ विवाह समारोह हुआ था, न कि जहाँ विवाह का रिसेप्शन हुआ था।

HMA की धारा 19 क्या है?

  • धारा 19 परिभाषित करती है कि याचिका कहाँ दायर की जा सकती है। यह प्रकट करता है कि-
  • इस अधिनियम के अधीन प्रत्येक याचिका, उस ज़िला न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी, जिसके सामान्य मूल नागरिक क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमा के भीतर —

(i) विवाह संपन्न हुआ, या

(ii) प्रतिवादी, याचिका की प्रस्तुति के समय, निवास करता है, या

(iii) विवाह के पक्षकार अंतिम समय एक साथ रहते थे, या

(iiia) यदि पत्नी याचिकाकर्त्ता है, तो वह याचिका प्रस्तुत करने की तिथि पर कहाँ रह रही है, या

(iv) याचिकाकर्त्ता याचिका की प्रस्तुति के समय निवास कर रहा है, ऐसे मामले में जहाँ प्रतिवादी उस समय उन क्षेत्रों के बाहर निवास कर रहा है, जिन पर यह अधिनियम लागू होता है, या कुछ अवधि के लिये जीवित होने के बारे में नहीं सुना गया है, सात वर्ष या उससे अधिक की आयु उन व्यक्तियों द्वारा, जिन्होंने स्वाभाविक रूप से उनके बारे में सुना होगा यदि वह जीवित होते।