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सांविधानिक विधि
आदेश के प्रमुख बिंदु
« »02-May-2024
अजय ईश्वर घुटे एवं अन्य बनाम मेहर के. पटेल एवं अन्य आदेश के प्रमुख बिंदु न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के बाद, यह निर्णय लेना न्यायालय का कर्त्तव्य है कि आदेश के प्रमुख बिंदुओं के संदर्भ में पारित आदेश वैध होगा या नहीं। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका एवं न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयाँ |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय प्राथमिक जाँच करने में विफल रहा है तथा पूरी तरह से केवल आदेश के प्रमुख बिंदु (Minutes of Order) के आधार पर दिया गया आदेश, अवैध है।
अजय ईश्वर घुटे एवं अन्य बनाम मेहर के. पटेल एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- मध्यस्थता याचिकाएँ बॉम्बे उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A&C अधिनियम) की धारा 9 के अधीन दायर की गईं। मध्यस्थता याचिकाओं में विवाद पारसी डेयरी फार्म की ज़मीनों से संबंधित है।
- उच्च न्यायालय ने पुलिस को स्वामित्व सौंपने की प्रक्रिया पूरी करने के लिये पक्षों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।
- सहमति शर्तों के अनुसार एक परिसर की दीवार का निर्माण किया जाना था।
- कुछ स्थानीय लोगों ने चहारदीवारी के निर्माण में बाधा डाली। ये स्थानीय लोग मध्यस्थता याचिका या अंतरिम आवेदन की कार्यवाही में पक्षकार नहीं थे।
- भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत एक रिट याचिका दायर की गई थी।
- उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने न तो प्रभावित पक्षों को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और न ही आवश्यक पक्षों के सम्मिलित न होने की रिट याचिका को खारिज किया तथा आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में आदेश पारित किया।
- आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में आदेश पारित करने के कारणों को दर्ज नहीं किया गया था।
- यहाँ तक कि उच्च न्यायालय ने भी इस स्वीकृत तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि पुलिस सुरक्षा के अंतर्गत जिस परिसर की दीवार के निर्माण की अनुमति दी गई थी, उसके निर्माण से तीसरे पक्ष प्रभावित होंगे।
- वर्तमान अपील उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने आदेश को रद्द कर दिया और माना कि आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में पारित ऐसा आदेश एक आमंत्रण आदेश है तथा न्यायालय को पहले यह जाँचना चाहिये कि क्या आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में आदेश पारित करना विधिक होगा।
- न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय को इस बिंदु पर विचार करना चाहिये कि सभी आवश्यक पक्षों को पक्षकार बनाया जाए। न्यायालय को इस बात पर विचार करना चाहिये कि आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में पारित आदेश से तीसरे पक्ष प्रभावित होंगे तथा याचिकाकर्त्ता द्वारा आवश्यक पक्षों को सम्मिलित करने में विफलता पर न्यायालय को याचिका अस्वीकार कर देना चाहिये।
- आवश्यक पक्षों को सुने बिना न्यायालय द्वारा पारित आदेश पूर्णतः अविधिक है। आदेश के प्रमुख बिंदु पर आधारित आदेश सहमति आदेश नहीं है।
- आदेश के प्रमुख बिंदु के संदर्भ में आदेश पारित करते समय, न्यायालय को विवेक के प्रयोग का संकेत देने वाले संक्षिप्त कारण दर्ज करने चाहिये।
आदेश के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता न्यायालय की सुविधा के लिये आदेश के प्रमुख बिंदु का प्रारूप तैयार कर सकते हैं।
- आदेश का प्रमुख बिंदु इस बात से संबंधित है कि न्यायालय अपने आदेश में क्या शामिल कर सकता है।
- यह प्रथा, न्यायालय का समय बचाने के लिये विकसित हुई।
- आदेश के प्रमुख बिंदु पर हस्ताक्षर करने वाले अधिवक्ताओं पर न्यायालय के अधिकारियों के रूप में कर्त्तव्य निभाने की अधिक उत्तरदायित्त्व है कि वे इस बिंदु पर विचार करें कि वे जिस आदेश का प्रस्ताव कर रहे हैं, वह विधिक होगा या नहीं।
- पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत आदेश के प्रमुख बिंदु के आधार पर आदेश पारित करने की प्रथा शायद केवल बॉम्बे उच्च न्यायालय में प्रचलित है।