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आपराधिक कानून

POCSO अधिनियम का दुरुपयोग

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 09-Jul-2024

XX बनाम केरल राज्य

“नाबालिग/बच्चों से जुड़े किसी व्यक्ति के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण, गलत आशय से निर्दोष व्यक्तियों को मिथ्या आधार पर फंसाकर, POCSO अधिनियम का दुरुपयोग किया जा सकता है”।

न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन

स्रोत: केरल उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन की पीठ ने कहा कि न्यायालयों को POCSO अधिनियम के आरोपों पर विचार करते समय सतर्क रहना चाहिये।

  • केरल उच्च न्यायालय ने XX बनाम केरल राज्य मामले में यह निर्णय दिया।

XX बनाम केरल राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • याचिकाकर्त्ता पर आरोप लगाया गया था कि उसने पीड़िता, जो अपने घर के आँगन में थी, को अश्लील शब्द कहे तथा यौन इरादे से अपनी जीभ से इशारा किया।
  • आरोपी पर भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 294 (B) और धारा 509 तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) की धारा 11 (i) के अधीन अपराध का आरोप लगाया गया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने कहा कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 294 (b) के अधीन अपराध तभी माना जाएगा जब यह कृत्य किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी सार्वजनिक स्थान के निकट किया गया हो।
  • वर्तमान मामले में ये शब्द पीड़िता के घर के आँगन में कहे गए थे और इसलिये IPC की धारा 294 (b) के अधीन अपराध नहीं बनता।
  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 509 के अंतर्गत आरोप पर न्यायालय ने कहा कि आरोप की जाँच करने पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह यौन इरादे से या पीड़िता का लज्जा भंग करने के लिये किया गया था।
  • POCSO अधिनियम की धारा 11(i) के अधीन आरोप पर न्यायालय ने माना कि अभियोजन पक्ष ने यह प्रकटन नहीं किया है कि वह इशारा क्या था और इसलिये न्यायालय यह जाँच करने में असमर्थ था कि यह यौन इरादे से किया गया था या पीड़िता की लज्जाभंग या गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिये किया गया था।
  • न्यायालय ने कहा कि कुछ गलत आशय वाले वादियों द्वारा POCSO अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसलिये, पुलिस अधिकारियों और न्यायालयों को आरोपों की जाँच करते समय सदैव अत्यधिक सतर्क रहना चाहिये, ताकि आरोपों की सच्चाई का पता लगाया जा सके।

IPC की धारा 294:

  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 294 में यह प्रावधान है कि जो कोई भी व्यक्ति दूसरों को परेशान करने के लिये किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कृत्य करेगा, या किसी सार्वजनिक स्थान पर या उसके निकट कोई अश्लील गीत, कथा या शब्द गाएगा, सुनाएगा या बोलेगा, उसे तीन महीने तक का कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
  • यह धारा भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 296 में प्रदान की गई है।

IPC की धारा 509 के अधीन अपराध:

  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 509 में यह प्रावधान है कि जो कोई किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के इरादे से कोई शब्द बोलेगा, कोई आवाज़ या इशारा करेगा, या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, जिसका आशय यह हो कि ऐसा शब्द या ध्वनि उस महिला को सुनाई दे, या ऐसा इशारा या वस्तु उस महिला को दिखाई दे, या वह उस महिला की निजता में व्यवधान उत्पन्न करेगा, तो उसे साधारण कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और अर्थदण्ड भी लगाया जाएगा।
  • यह अनुभाग BNS की 2023 की धारा 79 के अंतर्गत प्रदान किया गया है।

 POCSO अधिनियम क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 2012 में लागू किया गया POCSO अधिनियम एक ऐतिहासिक विधि है जिसका उद्देश्य बच्चों को यौन दुर्व्यवहार और शोषण से बचाना है।
    • इसका उद्देश्य बच्चों की सुभेद्यता को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।
    • इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित बाल अधिकार सम्मेलन के अनुरूप अधिनियमित किया गया था, जिसे भारत सरकार ने 11 दिसंबर, 1992 को स्वीकार किया था।
  • प्रस्तावना:
    • यह अधिनियम बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी के अपराधों से बचाने के लिये बनाया गया है।
      • तथा ऐसे अपराधों के विचारण और उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक विषयों के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना का उपबंध कर सकेगा।
  • मुख्य तिथियाँ:
    • इसकी अधिनियमन तिथि 19 जून 2012 है जबकि POSCO को 14 नवंबर 2012 को लागू किया गया था।
  • POCSO संशोधन अधिनियम, 2019:
    • बाद में POCSO अधिनियम को POCSO संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित किया गया, जो 16 अगस्त, 2019 को लागू हुआ।
    • POCSO संशोधन अधिनियम, 2019 ने कड़े दण्ड का प्रावधान किया, POCSO की धारा 2 की उप-धारा (1) में बाल पोर्नोग्राफी को परिभाषित करने वाला खंड (da) डाला।
    • इसमें POCSO अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत सोलह वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ प्रवेशात्मक यौन उत्पीड़न से जुड़े नियम का भी प्रावधान किया गया है।
  • POCSO में ज़मानत:

POCSO अधिनियम के अंतर्गत अपराध क्या हैं?

अपराध

परिभाषा

दण्ड

प्रवेशात्मक यौन हमला (POCSO की धारा 3 और 4 के अंतर्गत)

इसमें किसी व्यक्ति के लिंग, वस्तु या शरीर के किसी भाग को बच्चे की योनि, मुँह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश कराना, या प्रवेश कराने के लिए बच्चे के शरीर के अंगों के साथ छेड़छाड़ करना शामिल है।

कम-से-कम बीस वर्ष का कठोर कारावास, जो आजीवन या मृत्युदण्ड तक बढ़ाया जा सकेगा और अर्थदण्ड।

गंभीर प्रवेशात्मक यौन हमला (POCSO की धारा 5 और 6 के अंतर्गत)

इसमें पुलिस, सशस्त्र बलों, लोक सेवकों, कुछ संस्थानों के प्रबंधन/कर्मचारियों द्वारा यौन उत्पीड़न, सामूहिक हमला, घातक हथियारों का प्रयोग आदि शामिल है।

कम-से-कम बीस वर्ष का कठोर कारावास, जो आजीवन या मृत्युदण्ड तक बढ़ाया जा सकेगा और अर्थदण्ड।

यौन उत्पीड़न (POCSO की धारा 7 और 8 के अंतर्गत)

इसमें बिना प्रवेश के, यौन आशय से बच्चे के यौन अंगों को छूना या बच्चे से यौन अंगों को छूने को कहना शामिल है।

कम-से-कम तीन वर्ष का कारावास, जिसे पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा तथा अर्थदण्ड।

गंभीर यौन उत्पीड़न (POCSO की धारा 9 और 10 के अंतर्गत)

यह यौन प्रवेशात्मक हमले के समान है, लेकिन इसमें गंभीर कारक शामिल होते हैं, जैसे हथियारों का प्रयोग, गंभीर चोट पहुँचाना, मानसिक बीमारी, गर्भावस्था या पूर्व दोषसिद्धि।

कम-से-कम पाँच वर्ष का कारावास, जो सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा तथा अर्थदण्ड।

यौन उत्पीड़न (POCSO की धारा 11 और 12 के अंतर्गत)

यौन संतुष्टि के लिये किये जाने वाले विभिन्न कार्य जिनमें इशारे, शरीर के अंगों का प्रदर्शन, अश्लील प्रयोजनों के लिये प्रलोभन आदि शामिल हैं।

तीन वर्ष से अधिक कारावास और अर्थदण्ड।

पोर्नोग्राफ़िक उद्देश्यों के लिये बच्चे का उपयोग (POCSO की धारा 13, 14 और 15 के अंतर्गत)

इसमें अश्लील सामग्री या कृत्यों में बच्चे का उपयोग करना शामिल है। धारा 15 अश्लील सामग्री के भंडारण को दण्डित करती है।

कम-से-कम पाँच वर्ष का कारावास, जो सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा तथा अर्थदण्ड।

अपराध करने का प्रयास और दुष्प्रेरण ((POCSO की धारा 16, 17 और 18 के अंतर्गत)

इसमें किसी अपराध को भड़काना, षडयंत्र रचना या सहायता करना शामिल है।

यह दुष्प्रेरण या प्रयास की गंभीरता के आधार पर भिन्न होता है तथा संबंधित अपराध के लिये दण्ड के अनुरूप होता है।

मामले की रिपोर्ट या रिकॉर्ड करने में विफलता (POCSO की धारा 21)

अधिनियम के अंतर्गत अपराध की रिपोर्ट या अभिलेखीकरण करने में विफलता।

छह महीने तक का कारावास, अर्थदण्ड, या दोनों

मिथ्या शिकायत या मिथ्या सूचना (POCSO की धारा 22)

दुर्भावनापूर्ण आशय से मिथ्या शिकायतें करना या गलत सूचना प्रदान करना।

परिस्थितियों के आधार पर छह महीने तक का कारावास, अर्थदण्ड या दोनों