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अवैध खनन की जाँच करेगा एनजीटी पैनल

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 04-Aug-2023

ट्रिब्यूनल एक संयुक्त समिति का गठन करता है और उसे स्थल का दौरा करने के लिये एक सप्ताह के भीतर बैठक करने का निर्देश देता है। (राजा राम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य) (राष्ट्रीय हरित अधिकरण)

 चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का पैनल राजा राम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में उत्तर प्रदेश के ज़िला गोंडा में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा किये गए अवैध खनन की जाँच करेगा।

 पृष्ठभूमि

  • याचिकाकर्त्ता की ओर से बृजभूषण सिंह के खिलाफ दायर याचिका में अवैध खनन का आरोप लगाया गया है।
  • इसमें यह आरोप था कि माझाराठ, जैतपुर, नवाबगंज, तहसील तरबगंज और ज़िला गोंडा जैसे गाँवों में प्रतिदिन 700 से अधिक ओवरलोडेड ट्रकों से खनन किये गए उपखनिज का अवैध परिवहन किया जाता है।
  • आगे यह भी तर्क दिया गया कि कथित तौर पर लघु खनिजों का भंडारण और अवैध बिक्री लगभग 20 लाख घन मीटर थी।
  • अवैध रूप से खनन किये गए खनिज ले जाने वाले ओवरलोड ट्रकों से पटपड़गंज पुल और सड़क भी क्षतिग्रस्त हो गई।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • आरोपों पर गंभीरता से विचार करते हुए एनजीटी ने कहा कि, "प्रथम दृष्टया, आवेदन में दिये गए कथन राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 की अनुसूची-I में निर्दिष्ट अधिनियमों के कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले पर्यावरण से संबंधित प्रश्न उठाते हैं।"
  • एनजीटी की पीठ ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण एवं ज़िलाधिकारी, गोंडा के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • एनजीटी ने समिति को एक सप्ताह के भीतर बैठक करने और स्थल का दौरा करने और आवेदक की शिकायतों पर गौर करने का भी निर्देश दिया।

अवैध खनन

  • अवैध खनन एक ऐसी खनन गतिविधि है, जो राज्य की अनुमति के बिना विशेष रूप से भूमि अधिकार, खनन लाइसेंस और अन्वेषण या खनिज परिवहन परमिट के अभाव में की जाती है।
  • इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
  • खनन घोटाले भारत के विभिन्न अयस्क-समृद्ध राज्यों में व्यापक घोटाले हैं।
  • इस तरह के मुद्दे वन क्षेत्रों पर अतिक्रमण, सरकारी रॉयल्टी का कम भुगतान और भूमि अधिकारों को लेकर आदिवासियों के साथ संघर्ष तक फैले हुए हैं।
  • अवैध खनन में पारा और साइनाइड जैसे खतरनाक रसायनों का उपयोग शामिल हो सकता है, जो खनिकों और आस-पास के समुदायों के लिये गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।

भारत में खनन संबंधित कानून

  • भारतीय संविधान की सूची-II (राज्य सूची) के क्रम संख्या-23 की प्रविष्टि राज्य सरकार को उनकी सीमाओं के भीतर स्थित खनिजों का स्वामित्व देने का आदेश देती है।
    • प्रविष्टि 23 - संघ के नियंत्रण के तहत विनियमन और विकास के संबंध में सूची I के प्रावधानों के अधीन खानों और खनिज विकास का विनियमन।
  • सूची I (संघ सूची) के क्रम संख्या 54 पर प्रविष्टि केंद्र सरकार को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर खनिजों का स्वामित्व करने का आदेश देती है।
    • प्रविष्टि 54 - खानों और खनिज विकास का उस सीमा तक विनियमन, जिस हद तक संघ के नियंत्रण में ऐसे विनियमन और विकास को संसदीय कानून द्वारा सार्वजनिक हित में समीचीन घोषित किया जाता है।
      • अनन्य आर्थिक क्षेत्र, समुद्र का ऐसा क्षेत्र होता है, जो आमतौर पर एक देश के क्षेत्रीय समुद्र से परे 200 समुद्री मील (230 मील) तक फैला होता है।
  • खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम (MMRD अधिनियम), 1957 मुख्य रूप से पूर्वेक्षण लाइसेंस और खनन कार्यों पर सामान्य प्रतिबंधों और पूर्वेक्षण लाइसेंस और खनन पट्टों के अनुदान को विनियमित करने के नियमों और प्रक्रियाओं से संबंधित है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण

  • एनजीटी अधिनियम, 2010 भारतीय संसद का एक अधिनियम है, जो पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित मामलों के शीघ्र निपटान के लिये एक विशेष अधिकरण के गठन को सक्षम बनाता है।
  • एनजीटी को 2010 में स्थापित किया गया था, यह देश में पर्यावरणीय मामलों पर निर्णय लेने के उद्देश्य हेतु विशेषज्ञता से सुसज्जित एक विशेष न्यायिक निकाय है।
  • इस अधिकरण में एक अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल हैं। वे तीन वर्ष की अवधि या पैंसठ वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे और पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होंगे।
  • अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
  • पर्यावरण मामलों में ट्रिब्यूनल का समर्पित क्षेत्राधिकार त्वरित पर्यावरणीय न्याय प्रदान करना और उच्च न्यायालयों में मुकदमेबाजी के बोझ को कम करने में सहायता करना है।
  • यह अधिकरण सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं होगा, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा।
  • एनजीटी के कुल पाँच स्थानों पर कार्यालय है :
    • भोपाल
    • पुणे
    • नई दिल्ली (प्रमुख कार्यालय)
    • कोलकाता
    • चेन्नई