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सांविधानिक विधि
नारी शक्ति वंदन अधिनियम
« »20-Sep-2023
नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करना है। |
स्रोतः टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने भारत की संसद के निम्न सदन अर्थात् लोकसभा में एक विधेयक पेश किया है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
पृष्ठभूमि
- महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा वर्ष 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से ही प्रचलित है।
- चूँकि तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिये विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी।
- विगत् प्रयास :
- वर्ष 1996: पहला महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया।
- वर्ष 1998 - 2003: एनडीए सरकार ने 4 मौकों पर विधेयक पेश किया लेकिन असफल रही।
- वर्ष 2009: यूपीए सरकार ने विरोध के बीच विधेयक पेश किया।
- वर्ष 2010: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक पारित किया और राज्यसभा ने इसे पारित किया।
- वर्ष 2014: विधेयक को लोकसभा में पेश किये जाने की उम्मीद थी।
- इससे पहले, वर्ष 1992, 1993 के क्रमशः 72वें और 73वें संवैधानिक संशोधनों द्वारा ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकारों में महिलाओं के लिये सभी सीटों एवं अध्यक्ष पदों में से एक तिहाई आरक्षित किया गया था।
विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
- कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा प्रस्तुत विधेयक का उद्देश्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली संसद और विधानसभाओं की सीटों में महिलाओं को 33% आरक्षण प्रदान करना है।
- ऐसा आरक्षण भारत में परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही लागू हो सकता है अर्थात् इसे वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रभावी नहीं बनाया जा सकता है।
- परिसीमन का स्पष्ट अर्थ है एक विभाजन रेखा या सीमा।
- भारत का परिसीमन आयोग परिसीमन आयोग अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के तहत भारत सरकार द्वारा स्थापित एक आयोग है।
- आमतौर पर उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस आयोग के प्रमुख होते हैं जबकि मुख्य चुनाव आयुक्त और संबंधित राज्य चुनाव आयुक्त पदेन आयुक्त होते हैं।
- इस आयोग का कार्य हालिया जनगणना के आधार पर विभिन्न विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना है।
- निर्वाचन क्षेत्रों का वर्तमान परिसीमन वर्ष 2001 के आधार पर किया गया है और अगला परिसीमन वर्ष 2026 में होगा।
- महिला आरक्षण विधेयक, एक अधिनियम के रूप में लागू होने के बाद 15 वर्षों की अवधि तक प्रभावी रहेगा, यदि आवश्यक समझा गया तो इसकी अवधि बढ़ाए जाने की संभावना है।
- यह आरक्षण राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
- वर्तमान विधेयक वर्ष 2010 में तैयार किये गये महिला आरक्षण विधेयक के समान है।
संसद में महिला प्रतिनिधित्व: भारत और विश्व
- लोकसभा में 82 महिला सांसद (15.2%) और राज्यसभा में 31 महिला सांसद (13%) हैं।
- प्रथम लोकसभा (5%) के बाद से महिला सांसदों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन यह अभी भी कई देशों की तुलना में बहुत कम है।
- आंकड़ों के मुताबिक, रवांडा (61%), क्यूबा (53%), निकारागुआ (52%) महिला प्रतिनिधित्व के मामले में शीर्ष तीन देश हैं। महिला प्रतिनिधित्व के मामले में बांग्लादेश (21%) और पाकिस्तान (20%) भी भारत से आगे हैं।