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सांविधानिक विधि
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड
« »15-Sep-2023
"मुक्त डेटा नीति के तहत राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पोर्टल पर उच्चतम न्यायालय के डेटा को शामिल करना न्यायिक क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिये हमारी ओर से एक कदम है।" भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ |
स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में घोषणा की कि अब उच्चतम न्यायालय के लंबित मामलों और निपटान से संबंधित डेटा राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पोर्टल पर उपलब्ध होगा।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के साथ उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के कंप्यूटर सेल ने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पोर्टल पर उच्चतम न्यायालय के रियल टाइम आधार पर मामले के डेटा को ऑनबोर्ड करने में योगदान दिया है।
- उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि 80,000 मामले लंबित हैं, 15,000 अभी तक पंजीकृत नहीं हैं, इसलिये वे अभी तक लंबित नहीं हैं।
- उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों के पास अब उस डेटा से संबंधित ग्राफ हैं जो अब जुलाई 2023 में 5,000 से अधिक मामलों के निपटारे में सहायता करेंगे।
- उन्होंने तीन न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष लंबित 583 मामलों को संबोधित किया, और जल्द ही वह डेटा के निपटान के लिये उन पीठों का गठन करेंगे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की टिप्पणी
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पर चर्चा करते हुए भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि, "मुक्त डेटा नीति के तहत एनजेडीजी पोर्टल पर उच्चतम न्यायालय के डेटा को शामिल करना न्यायिक क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिये हमारी ओर से एक कदम है।"
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG)
- परिचय:
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) को केंद्र सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पहल के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया गया था।
- यह ई-कोर्ट एकीकृत मिशन मोड परियोजना का एक हिस्सा है जो 2007 से कार्यान्वयनाधीन है।
- इस परियोजना का चरण I वर्ष 2011-2015 के दौरान लागू किया गया था।
- जिला और अधीनस्थ न्यायालय के डेटा को कंप्यूटरीकृत करने के लिये परियोजना का दूसरा चरण 2015 में शुरू हुआ। हालांकि, इन न्यायालयों का डेटा 7 अगस्त, 2013 को राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पोर्टल पर अपडेट किया गया था।
- उच्च न्यायालयों के लिये राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) का शुभारंभ 3 जुलाई, 2020 को श्री के. के. वेणुगोपाल द्वारा किया गया था।
- वर्ष 2023 से, उच्चतम न्यायालय का डेटा भी पोर्टल पर उपलब्ध है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों के भीतर लंबित और हल किये गये मामलों की स्थिति की निगरानी करना है।
- कार्य:
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) एक व्यापक भंडार प्रदान करता है जिसमें जिला और अधीनस्थ न्यायालयों, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेश, निर्णय और मामले के विवरण शामिल हैं।
- यह वेब पोर्टल सभी के लिये आँकड़ों तक खुली पहुँच सक्षम बनाता है।
- इसके अलावा, एनजेडीजी एक निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करती है, जो विभिन्न विशेषताओं जैसे कि वर्षवार, कोरम वार लंबित मामले और कानून की प्रत्येक शाखा जैसे सिविल, आपराधिक आदि में लंबित मामले के आधार पर मामले की देरी की निगरानी में न्यायालयों की सहायता करती है।
- चुनौतियाँ:
- डेटा प्रविष्टि में विसंगतियाँ, अनुपलब्ध जानकारी और त्रुटियाँ प्लेटफ़ॉर्म की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती हैं।
- भारत की विशाल भौगोलिक और ढाँचागत विविधता यह सुनिश्चित करने में चुनौ तियाँ पेश करती है कि सभी न्यायालय एनजेडीजी में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित न्यायालय जिनके पास एनजेडीजी में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये आवश्यक बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी नहीं है।
- न्यायालय के रिकॉर्ड और मामले के विवरण की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना एक सतत चुनौती रही है।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के लाभ
- पारदर्शिता:
- एनजेडीजी ने देश भर में मामलों की स्थिति और निपटान के बारे में मुक्त रूप से जानकारी साझा करके प्रणाली के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- सुव्यवस्थित तंत्र:
- अब तक, यह न्यायिक नियोजन, निगरानी और दूरस्थ प्रशासन में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, जिला न्यायाधीशों और उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को सहायता प्रदान करती थी।
- नागरिक अब मामले की जानकारी, निर्णय और आदेशों को ऑनलाइन देख सकते हैं, जिससे भ्रष्टाचार और कदाचार की गुंजाइश कम हो जाती है।
- समय प्रभावशीलता:
- एनजेडीजी द्वारा समय पर उपलब्ध कराया गया डेटा अधिकारियों के लिये अमूल्य साबित हो रहा है क्योंकि इसी के आधार पर नीतियों को आकार दिया जाता है और न्यायिक प्रशासन से संबंधित निर्णय लिये जाते हैं।
- एनजेडीजी के सबसे उल्लेखनीय प्रभावों में से एक मामलों के बैकलॉग में कमी आना है। केस रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और केस की प्रगति की रियल टाइम आधार पर नज़र रखने से न्याय वितरण की गति में काफी तेजी आई है।
- न्याय तक पहुंच:
- एनजेडीजी ने विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले और वंचित समुदायों के लिये न्याय तक पहुंच प्रदान की है।
- कानूनी जानकारी हासिल करने के लिये वादियों को अब लंबी दूरी तय करने या मध्यस्थों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
- लंबित मामलों में कमी:
- एनजेडीजी के सबसे उल्लेखनीय प्रभावों में से एक लंबित मामलों में कमी आना है।
- केस रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और केस की प्रगति की वास्तविक समय पर नज़र रखने से न्याय वितरण की गति में काफी तेजी आई है।
ई-न्याय को बढ़ावा देने के लिये अन्य पहल
- उच्चतम न्यायालय का विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर (SUVAS):
- तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय का विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर (SUVAS) लॉन्च किया था।
- उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषा की भागीदारी को बढ़ावा देने और सुनिश्चित करने के लिये इस सॉफ्टवेयर को बनाया है।
- यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा प्रशिक्षित एक मशीन सहायता प्राप्त अनुवाद उपकरण है।
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये उच्चतम न्यायालय का पोर्टल (SUPACE) :
- इसे विधि अनुसंधान में न्यायाधीशों की सहायता और समर्थन करने के लिये एआई आधारित पोर्टल के रूप में वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था।
- ई-फाइलिंग पोर्टल:
- ई-फाइलिंग प्रणाली कानूनी दस्तावेज़ों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को सक्षम बनाती है।
- इसका उपयोग न्यायालयों में मामले (सिविल और आपराधिक दोनों) दायर करने के लिये किया जा सकता है।
- इस तंत्र में पुख्ता विकास सुनिश्चित करने के लिये अब तक ई-फाइलिंग पोर्टल के कई संस्करण बंद और पेश किये गये हैं।
- FASTER डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म:
- यह एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेशों, स्थगन आदेशों, जमानत आदेशों आदि को संप्रेषित करने का एक डिजिटल मंच है।