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आपराधिक कानून

दहेज़ का अपराध

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 10-Apr-2024

नरेश पंडित बनाम बिहार राज्य एवं अन्य।

“नवजात बच्चे के भरण-पोषण के लिये पति द्वारा अपनी पत्नी के माता-पिता से पैसे की मांग करना दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 (i) के दायरे में नहीं आता है”।

न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी

स्रोत: पटना उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने नरेश पंडित बनाम बिहार राज्य एवं अन्य के मामले में कहा है कि यदि पति नवजात शिशु के भरण-पोषण के लिये अपनी पत्नी के माता-पिता से पैसे की मांग करता है, तो ऐसी मांग, दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 (i) का दायरे के अंतर्गत नहीं आती है

नरेश पंडित बनाम बिहार राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में, याचिकाकर्त्ता (पति) का विवाह वर्ष 1994 में प्रतिपक्ष (पत्नी) के साथ हुआ था।
  • विवाह के दौरान, पत्नी ने तीन बच्चों (2 बेटे और 1 बेटी) को जन्म दिया।
  • पत्नी ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के जन्म के तीन साल बाद, याचिकाकर्त्ता एवं उसके रिश्तेदारों ने बच्ची के भरण-पोषण और देखभाल के लिये उसके पिता से 10,000 रुपए की मांग की
  • यह भी आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्त्ता एवं अन्य वैवाहिक संबंधों की मांग पूरी न होने पर पत्नी को प्रताड़ित किया गया
  • इसके बाद पत्नी ने याचिकाकर्त्ता एवं अन्य वैवाहिक संबंधियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई
  • ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्त्ता एवं दो अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया तथा सज़ा सुनाई।
  • अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए, पति ने पटना उच्च न्यायालय का रुख किया, जहाँ उसके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्त्ता एवं अन्य आरोपी व्यक्तियों के विरुद्ध पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप सामान्य एवं सर्वव्यापी प्रकृति के हैं।
  • उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को रद्द कर दिया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने कहा कि यदि पति नवजात बच्चे के पालन-पोषण और भरण-पोषण के लिये पत्नी के पैतृक घर से पैसे की मांग करता है, तो ऐसी मांग दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 (i) के अनुसार दहेज़ की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है।
  • आगे यह माना गया कि दहेज़ का आवश्यक तत्त्व विवाह के प्रतिफल के रूप में दिये गए या दिये जाने के लिये धन, संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का भुगतान या मांग है।

दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2(i) क्या है?

  • दहेज़ को दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2(i) के अधीन परिभाषित किया गया है।
  • इसमें कहा गया है कि दहेज़ का अर्थ है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी गई या देने के लिये सहमत कोई संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा-
    (a) विवाह के एक पक्ष द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष द्वारा, या
    (b) विवाह के किसी भी पक्ष के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, विवाह के किसी भी पक्ष या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा,
  • विवाह के समय या उससे पहले या उसके बाद किसी भी समय या उक्त पक्षों के विवाह के संबंध में।
  • इसमें उन व्यक्तियों के मामले में मेहर शामिल नहीं है जिन पर मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) लागू होता है।
  • मूल्यवान सुरक्षा अभिव्यक्ति का वही अर्थ है जो भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 30 में है।