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आपराधिक कानून

POCSO के तहत प्रवेशन यौन हमला

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 30-Jan-2024

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"पीड़ित के मात्र निजी अंग के लिंग को छूना POCSO की धारा 4 के तहत अपराध है।"

न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण

स्रोत: बॉम्बे उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने माना है कि पीड़ित के मात्र निजी अंग के लिंग को छूना लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) की धारा 4 के तहत अपराध है।

इस मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • इस मामले में अभियुक्त पीड़िता का चाचा था।
  • पीड़िता की माँ द्वारा एक शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2016-2019 के बीच अभियुक्त ने उसकी 9 और 13 वर्ष की दो बेटियों का कई बार यौन शोषण किया, जब बच्चे उसके घर गए थे।
  • लड़कियों ने आगे आरोप लगाया कि आदमी ने उनके निजी अंगों को गलत तरीके से छुआ।
  • वर्ष 2021 में अभियुक्त पर POCSO की धारा 4, 6, 8 और 12 के तहत आरोप लगाए गए।
  • इसके बाद, अभियुक्त ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष ज़मानत याचिका दायर की जिसे बाद में न्यायालय ने खारिज़ कर दिया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि प्रवेशन यौन उत्पीड़न के मामलों में भी, यह ज़रूरी नहीं है कि पीड़िता के हाइमन, लेबिया मेजा, लेबिया माइनोरा में कुछ क्षति हो। पीड़ित के मात्र निजी अंग के लिंग को छूना POCSO की धारा 4 के तहत अपराध है।
  • न्यायालय ने POCSO की धारा 3 (a) और 3 (b) में उल्लिखित वाक्यांशों 'किसी भी हद तक घुसाना या घुसना' (inserts or penetrates to any extent) की व्याख्या की, जो कि प्रवेशन यौन हमले का वर्णन करता है, जिसमें प्रजनन अंगों को छूना भी शामिल है।

प्रासंगिक कानूनी प्रावधान क्या हैं?

POCSO अधिनियम:

  • यह अधिनियम वर्ष 2012 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत पारित किया गया था।
  • यह बालकों को यौन हमलों, यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य सहित अपराधों से बचाने के लिये बनाया गया एक व्यापक कानून है।
  • यह एक लिंग तटस्थ अधिनियम है और बालक के कल्याण को सर्वोपरि महत्त्व का विषय मानता है।
  • यह ऐसे अपराधों और संबंधित मामलों तथा घटनाओं की सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • POCSO संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा इस अधिनियम में प्रवेशन यौन उत्पीड़न और गंभीर प्रवेशन यौन उत्पीड़न के अपराधों के लिये सज़ा के रूप में मृत्युदंड की शुरुआत की गई थी।
  • POCSO अधिनियम की धारा 2(1)(d) के तहत, 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बालक माना जाता है।

POCSO की धारा 4:

  • इस अधिनियम की धारा 4 में प्रवेशन यौन उत्पीड़न के लिये सज़ा का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि-
    (1)  जो कोई भी प्रवेशन यौन हमला करता है, उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास की सज़ा दी जाएगी जो दस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है।
    (2) जो कोई सोलह वर्ष से कम उम्र के बच्चे पर प्रवेशन यौन हमला करेगा, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिये कारावास होगा और ज़ुर्माना भी देना होगा।
    (3) उप-धारा (1) के तहत लगाया गया ज़ुर्माना न्यायसंगत और उचित होगा तथा ऐसे पीड़ित के चिकित्सा व्यय एवं पुनर्वास को पूर्ण करने के लिये पीड़ित को भुगतान किया जाएगा।

POCSO की धारा 6

  • इस अधिनियम की धारा 6 गंभीर प्रवेशन यौन हमले हेतु सज़ा से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि-
    (1) जो कोई गंभीर प्रवेशन यौन हमला करता है, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिये कारावास होगा और तथा इसके लिये ज़ुर्माना या मृत्यु की सज़ा भी हो सकती है।
    (2) उप-धारा (1) के तहत लगाया गया ज़ुर्माना न्यायसंगत और उचित होगा तथा ऐसे पीड़ित के चिकित्सा व्यय एवं पुनर्वास को पूर्ण करने के लिये पीड़ित को भुगतान किया जाएगा।

POCSO की धारा 8:

  • इस अधिनियम की धारा 8 लैंगिक हमला के लिये सज़ा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई, लैंगिक हमला करेगा वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दंडनीय होगा।

POCSO की धारा 12:

  • इस अधिनियम की धारा 12 लैंगिक उत्पीड़न के लिये सज़ा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई, किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करेगा, वह दोनो में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक को हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दंडनीय होगा।