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आपराधिक कानून

मानहानिकारक मानी जाने वाली सामग्री को छापना या उकेरना

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 22-Apr-2024

अनिंद्य दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

"प्रथम दृष्टया मानहानिकारक सामग्री वाले पत्रकों की छपाई भी धारा 501 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) के अधीन प्रथम दृष्टया मामला बनती है।"

न्यायमूर्ति शम्पा दत्त

स्रोत: कलकत्ता उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यायमूर्ति शंपा दत्त की पीठ ने कहा कि "प्रथम दृष्टया मानहानिकारक सामग्री वाले पत्रकों की छपाई भी धारा 501 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) के अधीन प्रथम दृष्टया मामला बनती है"।

  • कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी अनिंद्य दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में दी थी।

अनिंद्य दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता, अनिंद्य दास, एक व्यवसायी हैं तथा "भारत जागरण आंदोलन" या "अवेकन इंडिया मूवमेंट" (AIM) नामक संगठन के सदस्य हैं।
  • 11 जनवरी 2022 को गर्ल्स हाई स्कूल के पास 15-18 वर्ष की आयु के स्कूली छात्रों के लिये एक कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा था।
  • याचिकाकर्त्ता एवं अन्य दो लोग, छात्रों को कोविड-19 वैक्सीन लेने से हतोत्साहित करने वाले पत्रक की घोषणा और वितरण कर रहे थे, उनका दावा था कि यह मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
    • पर्चे में दो लड़कियों, करुण्या (दक्षिण भारत से) एवं रिथायिका (उत्तर-पूर्व भारत से) की टीका लेने के बाद कथित मौत का भी उल्लेख किया गया है।
  • पुलिस ने याचिकाकर्त्ता एवं दो अन्य के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की विभिन्न धाराओं के अधीन मामला दर्ज किया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्त्ता का पत्रक बाँटने एवं टीकाकरण को हतोत्साहित करने का आचरण, प्रथम दृष्टया IPC की धारा 501 सहित कई धाराओं के अधीन अपराध है।
  • न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्त्ता के कार्यों से जनता में भय फैल सकता है, लोगों में टीका लेने एवं मास्क पहनने से हतोत्साहित हो सकते हैं, जो कि सरकार के द्वारा सार्वजनिक कल्याण के लिये किये जाने वाले प्रयासों के विरुद्ध हैं।
  • न्यायालय ने याचिकाकर्त्ता की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी तथा उल्लिखित अपराधों के लिये आपराधिक कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी।

IPC की धारा 501 क्या है?

मानहानिकारक समझी जाने वाली बात को छापना या उकेरना—

  • यदि कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का अच्छा कारण रखते हुए कि ऐसा मामला किसी व्यक्ति के लिये मानहानिकारक है, किसी भी मामले को मुद्रित या उत्कीर्ण करेगा, उसे साधारण कारावास से दण्डित किया जाएगा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या ज़ुर्माना, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
  • यह एक समझौता योग्य, असंज्ञेय एवं ज़मानती अपराध है।
  • यह न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।