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सिविल कानून
प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की गणेश मूर्तियों की बिक्री पर रोक
« »18-Sep-2023
ज़िला कलेक्टर, तिरुनेलवेली बनाम प्रकाश प्लास्टर ऑफ पेरिस या प्लास्टिक से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री या विसर्जन को रोकने पर किसी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। मद्रास उच्च न्यायालय |
स्रोत: मद्रास उच्च न्यायालय, मदुरै खंडपीठ
चर्चा में क्यों?
मद्रास उच्च न्यायालय (HC) की खंडपीठ ने ज़िला कलेक्टर, तिरुनेलवेली बनाम प्रकाश के मामले में प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) सामग्री से निर्मित गणेश मूर्तियों की बिक्री की अनुमति देने वाले उस आदेश पर रोक लगा दी है, जोकि मद्रास उच्च न्यायालय (HC) के एकल न्यायाधीश की पीठ ने दिया था।
पृष्ठभूमि
- प्रतिवादी (प्रकाश) द्वारा एक रिट याचिका दायर की गई थी जिसमें परमादेश की रिट जारी करने का अनुरोध किया गया था। इसमें प्रतिवादी प्रकाश ने मद्रास उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष दायर याचिका में तिरुनेलवेली ज़िले के ज़िला कलेक्टर को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे भारत के संविधान, 1950 (Constitution of India) के अनुच्छेद 19(1) (G) के तहत दिये गए उनके पेशे/व्यवसाय के अधिकार में हस्तक्षेप न करें जिसके तहत वह भगवान विनायक की मूर्तियाँ बेचता है।
- रिट याचिकाकर्त्ता ने कहा कि उसने अपने परिवार के साथ पलायन किया और तिरुनेलवेली शहर में बस गए जहाँ वे मिट्टी, धोने योग्य रंग पाउडर आदि का उपयोग करके गहने एवं वस्तुएँ बनाते हैं।
- मद्रास उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने यह कहते हुए याचिका स्वीकार कर ली कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board (CPCB) द्वारा मूर्ति विसर्जन के लिये दिनांक 12 मई, 2020 को जारी किये गए संशोधित दिशा-निर्देश लागू होने के बावजूद रिट याचिकाकर्त्ता को प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करके मूर्तियों के निर्माण या बिक्री से नहीं रोका जा सकता है।
- न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कि विसर्जन पर रोक उचित प्रतिबंध है, लेकिन ऐसी मूर्तियों की बिक्री को रोकना याचिकाकर्त्ता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
- तिरुनेलवेली ज़िले के ज़िला कलेक्टर ने डिवीजन बेंच के समक्ष वर्तमान अपील दायर की है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
- मद्रास उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के प्रासंगिक खंड पर ध्यान दिया - "बिना किसी विषैले, अकार्बनिक कच्चे माल (जैसे पारंपरिक मिट्टी और दोमट मिट्टी के साथ-साथ प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP), प्लास्टिक और थर्माकोल (पॉलीस्टाइनिन) से मुक्त केवल प्राकृतिक, जैव-निम्नीकरणीय, पर्यावरण अनुकूल कच्चे माल से बनी मूर्तियों को ही प्रोत्साहित, प्रचारित और मंजूर किया जाना चाहिये एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये ।"
- उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि संशोधित दिशा-निर्देशों के पालन में प्लास्टर ऑफ पेरिस या प्लास्टिक आदि से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री या विसर्जन को रोकने के लिये किसी के भी खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
पेशे का अधिकार
- संविधान का अनुच्छेद 19(1)(G) सभी नागरिकों को कोई भी पेशा, व्यवसाय, या व्यापार करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, जिसे अनुच्छेद 19(6) के तहत उनके करने पर उचित प्रतिबंध लगाने के सरकार के अधिकार द्वारा सीमित किया जा सकता है।
- निम्नलिखित आधारों पर प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं:
- आम जनता का हित: राज्य ऐसे प्रतिबंध लगा सकता है, जो जनता के हित पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
- कोई व्यावसायिक या तकनीकी योग्यता निर्धारित करना: जहाँ किसी पेशे को करने के लिये पेशेवर या तकनीकी योग्यता आवश्यक है, ऐसी योग्यता अनिवार्य की जा सकती है। उदाहरण के लिये भारत में वकालत करने के लिये अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
- राज्य का एकाधिकार: प्रथम संवैधानिक संशोधन, 1951 द्वारा जोड़ा गया यह अधिकार राज्य को किसी भी व्यापार, व्यवसाय या उद्योग के लिये, आंशिक रूप या पूरी तरह से राज्य एकाधिकार स्थापित करने के लिये कानून बनाने की अनुमति देता है।
निर्णयज विधि
- एक्सेल वियर बनाम भारत संघ (1978) मामले में उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25-O, जो नियोक्ताओं को अपने औद्योगिक उपक्रमों को बंद करने से पहले सरकारी अनुमति प्राप्त करने के लिये अनिवार्य करती है, को असंवैधानिक और शून्य माना गया क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(G) का उल्लंघन करता है, जो व्यापार, व्यवसाय या पेशा जारी रखने के अधिकार की गारंटी देता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board (CPCB)
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत की गई थी, और बाद में इसका विस्तार वायु प्रदूषण को कवर करने के लिये वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत भी किया गया।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्राथमिक उद्देश्य देश में जल और वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के उपायों को बढ़ावा देना और लागू करना है।
- प्रमुख कार्य एवं ज़िम्मेदारियाँ:
- मानक निर्धारित करना: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हवा और पानी में विभिन्न प्रदूषकों के लिये पर्यावरणीय मानक स्थापित करने और बनाये रखने के लिये ज़िम्मेदार है। ये मानक उद्योगों एवं अन्य स्रोतों से उत्सर्जन और निर्वहन को विनियमित करने में मदद करते हैं।
- देखरेख और निगरानी: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश भर में हवा और पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है, डेटा एकत्र करता है, और प्रदूषण की सीमा और पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिये अध्ययन करता है।
- नियामक अनुपालन: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों के साथ कार्य करता है कि उद्योग और अन्य संस्थाएँ पर्यावरणीय नियमों और मानकों का अनुपालन करें।
- सार्वजनिक जागरूकता: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरण संरक्षण और ज़िम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक जागरूकता अभियान और शैक्षिक कार्यक्रमों का संचालन करता रहता है।