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वाणिज्यिक विधि

अनंतिम कुर्की आदेश

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 02-May-2024

मेसर्स कृष ओवरसीज़ बनाम केंद्रीय कर आयुक्त पश्चिम दिल्ली एवं अन्य

"अनंतिम कुर्की के आदेश की समय-सीमा केवल एक वर्ष है”।

न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा एवं रविंदर डुडेजा

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेसर्स कृष ओवरसीज़ बनाम केंद्रीय कर आयुक्त पश्चिम दिल्ली एवं अन्य के मामले में माना है कि अनंतिम कुर्की के आदेश की समय-सीमा केवल एक वर्ष है।

मेसर्स कृष ओवरसीज़ बनाम केंद्रीय कर आयुक्त पश्चिम दिल्ली एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्त्ता ने केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (CGST अधिनियम) की धारा 83 के अधीन HDFC बैंक लिमिटेड के शाखा प्रबंधक को याचिकाकर्त्ता के बैंक खाते से बाहरी गतिविधियों हेतु धनराशि को ज़ब्त करने के लिये जारी 14 अगस्त 2019 के निर्णय को चुनौती दी।
  • याचिकाकर्त्ता के अधिवक्ता का कहना है कि CGST अधिनियम की धारा 83 के अधीन एक आदेश की समय-सीमा एक वर्ष है तथा एक वर्ष बीत जाने के बावजूद, बैंक उक्त खाते के संचालन की अनुमति नहीं दे रहा है।
  • तद्नुसार, उच्च न्यायालय ने घोषणा की कि 14 अगस्त 2019 का आदेश प्रभावी नहीं होगा। नतीजतन, प्रतिवादी HDFC बैंक केवल इस आदेश के आधार पर याचिकाकर्त्ता के बैंक खाते के संचालन पर रोक नहीं लगा सकता है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा एवं रविंदर डुडेजा की पीठ ने कहा कि CGST अधिनियम की धारा 83 (2) के अनुसार, अनंतिम कुर्की के आदेश का समय-सीमा केवल एक वर्ष है
  • न्यायालय ने आगे स्पष्ट किया कि यह आदेश, प्रतिवादियों या HDFC बैंक को सूचित किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जारी किये गए अनंतिम कुर्की के आदेश, किसी अन्य आदेश पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा।

CGST अधिनियम की धारा 83 क्या है?

CGST अधिनियम:

  • यह अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की अंतर-राज्य आपूर्ति पर कर लगाने एवं संग्रह करने और उससे जुड़े मामलों के लिये प्रावधान करता है।

CGST अधिनियम की धारा 83:

यह अधिनियम कुछ मामलों में राजस्व की सुरक्षा के लिये अनंतिम कुर्की से संबंधित है। यह प्रकट करता है कि-

(1) जहाँ धारा 62 या धारा 63 या धारा 64 या धारा 67 या धारा 73 या धारा 74 के अधीन किसी कार्यवाही के लंबित होने के दौरान, आयुक्त की राय है कि सरकारी राजस्व के हित की रक्षा के उद्देश्य से, यह है, ऐसा करने के लिये आवश्यक होने पर, वह लिखित आदेश द्वारा, कर योग्य व्यक्ति से संबंधित बैंक खाते सहित किसी भी संपत्ति को ऐसे तरीके से, जो निर्धारित किया जा सकता है, अस्थायी रूप से संलग्न कर सकता है।

(2) ऐसी प्रत्येक अनंतिम कुर्की उप-धारा (1) के अधीन दिये गए आदेश की तिथि से एक वर्ष की समय-सीमा की समाप्ति के बाद प्रभावी नहीं होगी।

धारा 83 के आवश्यक तत्त्व

  • यह धारा आयुक्त को बैंक खाते सहित किसी भी संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क करने का अधिकार देती है।
  • संपत्ति, कर योग्य व्यक्ति की होनी चाहिये।
  • संपत्ति की कुर्की सरकारी राजस्व के हितों की रक्षा के उद्देश्य से की जानी चाहिये।
  • प्रत्येक अनंतिम कुर्की उक्त आदेश की तिथि से एक वर्ष की समय-सीमा की समाप्ति के बाद प्रभावी नहीं मानी जाती है।