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सांविधानिक विधि
पासपोर्ट का नवीनीकरण
« »09-Jul-2024
जेसमन जॉय करिप्पेरी बनाम केरल राज्य “चूँकि प्रार्थना पासपोर्ट के पुनः नवीनीकरण के लिये है, अतः ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा उक्त प्रयोजन के लिये लगाई गई शर्तें कठोर एवं अनावश्यक हैं”। न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन |
स्रोत: केरल उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन की पीठ ने माना कि पासपोर्ट के पुनर्नवीनीकरण के लिये कठोर शर्तें अनावश्यक हैं।
- केरल उच्च न्यायालय ने जेसमन जॉय करिप्पेरी बनाम केरल राज्य मामले में यह फैसला सुनाया।
जेसमन जॉय करिप्पेरी बनाम केरल राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- इस मामले में याचिकाकर्त्ता ने पासपोर्ट नवीनीकरण की अनुमति देते समय मजिस्ट्रेट द्वारा लगाई गई शर्तों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था।
- पासपोर्ट के नवीनीकरण की अनुमति देते समय मजिस्ट्रेट द्वारा लगाई गई शर्तें थीं:
- याचिकाकर्त्ता को 30,000 रुपए का बॉण्ड भरना होगा।
- याचिकाकर्त्ता को 3,000 रुपए की नकद प्रतिभूति प्रस्तुत करनी होगी।
- याचिकाकर्त्ता को पासपोर्ट प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर स्वयं तथा एक साक्षी द्वारा सत्यापित पासपोर्ट की फोटोकॉपी प्रस्तुत करनी होगी।
- याचिकाकर्त्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी अनुपस्थिति के कारण मामले की सुनवाई में विलंब या समय न बढ़े।
- याचिकाकर्त्ता को आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा।
- याचिकाकर्त्ता को इस आशय का एक शपथ-पत्र दाखिल करना होगा कि उसका प्रतिनिधित्व एक अधिवक्ता द्वारा किया जाएगा और वह सुनवाई के दौरान अपनी पहचान पर विवाद नहीं करेगा।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायालय ने माना कि लगाई गई शर्तें कठोर और अनावश्यक थीं।
- न्यायालय ने कहा कि जब अभियुक्त विदेश जाने की अनुमति के बिना केवल पासपोर्ट नवीनीकरण की अनुमति मांगता है तो न्यायालय को कठोर शर्तें लगाने की आवश्यकता नहीं है।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि जब अभियुक्त विदेश जाने की अनुमति मांगता है तो आवश्यक शर्तें लगाई जा सकती हैं।
पासपोर्ट से संबंधित प्रासंगिक विधिक प्रावधान क्या हैं?
परिचय:
- पासपोर्ट सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है जो अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के लिये किसी व्यक्ति की पहचान और राष्ट्रीयता प्रमाणित करता है।
पासपोर्ट अधिनियम, 1967:
- पासपोर्ट अधिनियम, पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेज़ों को जारी करने, भारत के नागरिकों तथा अन्य व्यक्तियों के भारत से प्रस्थान को विनियमित करने तथा उससे संबंधित या सहायक मामलों के लिये भारत की संसद का एक अधिनियम है।
- यह अधिनियम भारत के नागरिकों और अन्य व्यक्तियों के भारत से प्रस्थान तथा उससे संबंधित या सहायक मामलों को नियंत्रित करता है।
- इस अधिनियम की धारा 6 पासपोर्ट जारी करने से प्रतिषेध करने के आधार निर्धारित करती है।
पासपोर्ट के प्रकार:
पासपोर्ट का प्रकार |
वैधता |
रंग |
जारी किया गया |
साधारण (p टाइप ) |
वयस्कों के लिये 10 वर्ष, नाबालिगों के लिये 5 वर्ष |
नीला |
सभी भारतीय नागरिक |
आधिकारिक |
साधारण पासपोर्ट की भाँति |
श्वेत |
सरकारी अधिकारी |
राजनयिक |
पाँच वर्ष या इससे कम |
मरून |
राजनयिक,सरकारी अधिकारी एवं उनके परिवारीजन |
उत्प्रवास आवश्यक जाँच (ECR) |
साधारण पासपोर्ट की भाँति |
नारंगी |
भारतीय नागरिक जिन्होंने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण न की हो |
आकस्मिक प्रमाण-पत्र |
संक्षिप्त वैधता |
|
विदेश में फँसे हुए भारतीय नागरिक(जिन्हें पासपोर्ट खोने या वैधता समाप्त होने पर भारत आना है) |
वीज़ा एवं पासपोर्ट के बीच अंतर:
अभिलक्षण |
पासपोर्ट |
वीज़ा |
जारी करने वाली संस्था |
भारत का विदेश मंत्रालय |
विदेशी दूतावास |
उद्देश्य |
भारतीय नागरिक होने का साक्ष्य एवं अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के लिये पहचान-पत्र |
किसी देश में प्रवेश पाने के लिये स्वीकृति माँगना |
वैधता |
10 वर्ष |
देश, प्रकार एवं उद्देश्य के अनुरूप परिवर्तित होती है |
आवश्यकता |
सभी भारतीय नारिकों के लिये अनिवार्य (अपवादों को छोड़कर) |
देश के अनुरूप परिवर्तित होती है(वीज़ा -मुक्त समझौते के कारण) |
आपराधिक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान पासपोर्ट के नवीनीकरण के संबंध में क्या विधियाँ हैं?
- वंगाला कस्तूरी रंगाचार्युलु बनाम केंद्रीय जाँच ब्यूरो (2020):
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पासपोर्ट देने से प्रतिषेध केवल तभी किया जा सकता है जब आवेदक को आवेदन की तिथि से ठीक पूर्व 5 वर्ष की अवधि के दौरान नैतिक पतन से संबंधित किसी अपराध के लिये दोषी सिद्ध किया गया हो और कम-से-कम दो वर्ष के कारावास का दण्ड दिया गया हो। (पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6(2)(e))।
- पासपोर्ट के नवीनीकरण से इस आधार पर प्रतिषेध नहीं किया जा सकता कि आरोपी के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही लंबित है।
- गन्नी भास्कर राव बनाम भारत संघ और अन्य (2023):
- आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वह दोषी सिद्ध न हो जाए।
- अतः किसी मामले का लंबित रहना पासपोर्ट देने से प्रतिषेध करने, नवीनीकरण करने या पासपोर्ट वापस करने की मांग करने का आधार नहीं है।
विदेश यात्रा का अधिकार क्या है?
संविधान में प्रासंगिक प्रावधान क्या हैं?
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