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सांविधानिक विधि
अनुच्छेद 25 और 26 के तहत मंदिर निर्माण का अधिकार
« »17-Aug-2023
आचार्य प्रमोद कृष्णन जी महाराज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य
"निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा संरक्षित है।"
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय, न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह-I
स्रोतः इलाहाबाद उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह-I की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्त्ता का अपनी निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने का अधिकार भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा संरक्षित है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आचार्य प्रमोद कृष्णन जी महाराज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के मामले में यह टिप्पणी दी।
पृष्ठभूमि
- याचिकाकर्त्ता, जो हिंदू संत है, ने कल्कि धाम मंदिर के निर्माण के लिये उत्तर प्रदेश के संबल ज़िले के एक गाँव में कुछ भूमि खरीदीं।
- मुस्लिम किसान यूनियन की ओर से यह अभ्यावेदन दायर किया गया कि मंदिर के शिलान्यास समारोह का मुस्लिम समुदाय द्वारा विरोध किया जायेगा।
- दो समुदायों में झड़प के कारण शांति भंग होने की आशंका के आधार पर उप-ज़िला मजिस्ट्रेट ने नवंबर 2016 में अपने आदेश के तहत याचिकाकर्त्ता को नींव रखने से रोक दिया।
- बाद में, ज़िला मजिस्ट्रेट ने अक्तूबर 2017 में उनकी याचिका खारिज़ कर दी।
- याचिकाकर्त्ता ने वर्ष 2017 के आदेश को रद्द करने के लिये वर्तमान रिट याचिका दायर की।
- याचिकाकर्त्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्त्ता को अपने भूखंडों पर मंदिर बनाने का अधिकार है और याचिकाकर्त्ता का उक्त अधिकार भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा संरक्षित है।
न्यायालय की टिप्पणी
- न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चले कि मुस्लिम समुदाय के किसी बड़े वर्ग ने मंदिर निर्माण का विरोध किया है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा अपनी निजी संपत्ति पर मंदिर का निर्माण मात्र करने से किसी अन्य समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस नहीं पहुँचनी चाहिये।
भारत के संविधान, 1950 का अनुच्छेद 25
- अनुच्छेद 25 (सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन) पुष्टि करता है कि:
- सभी व्यक्ति अंतरात्मा की स्वतंत्रता के समान रूप से हकदार हैं।
- धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है।
- यह अनुच्छेद कहता है कि इस अनुच्छेद में कुछ भी मौजूदा कानून के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा या राज्य को निम्नलिखित से संबंधित कोई भी कानून बनाने से नहीं रोकेगा:
- धार्मिक अभ्यास से जुड़ी किसी भी आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिक या किसी भी धर्मनिरपेक्ष गतिविधि का विनियमन या प्रतिबंध।
- सामाजिक कल्याण एवं सुधार प्रदान करना।
- हिंदुओं के सभी वर्गों एवं पंथों के लिये सार्वजनिक चरित्र की हिंदू धार्मिक संस्थाओं को खोलना।
भारत के संविधान, 1950 का अनुच्छेद 26
- अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता के अधिकार की पुष्टि करता है।
- अनुच्छेद में यह प्रावधान भी है कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पास निम्नलिखित अधिकार होंगे:
- धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये संस्थानों की स्थापना और रखरखाव करना;
- धर्म के मामलों में अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करना;
- चल और अचल संपत्ति का स्वामित्व और अधिग्रहण करना; और
- ऐसी संपत्ति का प्रशासन कानून के अनुसार करना
धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 25 : यह अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की पुष्टि करता है।
- अनुच्छेद 26 : यह धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 27 : यह किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिये करों के भुगतान की स्वतंत्रता देता है।
- अनुच्छेद 28 : यह कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में भाग लेने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।