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सांविधानिक विधि
निष्पक्ष सुनवाई (ॠजु विचारण) का अधिकार
« »20-Feb-2024
X बनाम Y “निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार केवल अभियुक्त तक ही सीमित नहीं है। इसका विस्तार पीड़ित और समाज तक भी होता है।” न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ |
स्रोत: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार केवल अभियुक्त तक ही सीमित नहीं है। इसका विस्तार पीड़ित और समाज तक भी होता है।
मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- पीड़िता का तर्क था कि जाँच अधिकारी निष्पक्ष जाँच नहीं कर रहा है।
- उसने निष्पक्ष जाँच करने वाली किसी विशेष जाँच एजेंसी को शामिल करने की मांग की।
न्यायालय की टिप्पणी क्या थी?
- पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने माना कि आजकल, निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिये सारा ध्यान अभियुक्तों पर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप निष्पक्ष सुनवाई होती है, जबकि पीड़ित व समाज के प्रति बहुत कम चिंता दिखाई जाती है।
- पीड़ित और समाज के हितों का त्याग किये बिना अभियुक्तों की निष्पक्ष जाँच एवं सुनवाई सुनिश्चित करने के लिये मध्य मार्ग बनाए रखने का कठिन कर्त्तव्य न्यायालयों पर डाला गया है।
निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार क्या है?
परिचय:
- निष्पक्ष सुनवाई न्याय को बनाए रखती है और सामाजिक अखंडता सुनिश्चित करती है। उनके आभाव में गलत सज़ाएँ होती हैं, जिससे न्याय प्रणाली में विश्वास कम हो जाता है। सरकारों को नागरिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए विधि और व्यवस्था बनाए रखनी चाहिये।
विधिक प्रावधान:
प्रावधान |
अवधारणा |
प्रदान किया गया अधिकार |
संविधान का अनुच्छेद 20(2), |
दोहरा संकट |
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संविधान का अनुच्छेद 22(2) |
गिरफ्तारी एवं हिरासत के विरुद्ध सुरक्षा |
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CrPC की धारा 300(1) |
दोहरा संकट |
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CrPC की धारा 24(8) |
इच्छित अधिवक्ता को नियुक्त करने का अधिकार |
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CrPC की धारा 243 |
स्वयं की प्रतिरक्षा करने का अधिकार |
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CrPC की धारा 303 |
इच्छित वकील द्वारा प्रतिरक्षा का अधिकार |
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नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1996 का अनुच्छेद 9 |
स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई |
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नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1996 का अनुच्छेद 14
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विधिक न्यायालय के समक्ष समान अधिकार |
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ऐतिहासिक मामले:
- श्याम सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1973):
- न्यायालय ने कहा कि निर्णय पर पूर्वाग्रह के प्रभाव का निर्धारण करना महत्त्वपूर्ण नहीं है; मायने यह रखता है कि क्या कोई वादी यथोचित रूप से डर सकता है कि न्यायिक पूर्वाग्रह ने अंतिम निर्णय को प्रभावित किया है।
- ज़ाहिरा हबीबुल्लाह शेख एवं अन्य बनाम गुजरात राज्य (2006):
- उच्चतम न्यायालय आपराधिक मुकदमों में निष्पक्षता के आंतरिक अधिकार पर प्रकाश डालते हुए अभियुक्तों और पीड़ितों दोनों के लिये यथोचित व्यवहार बनाए पर ज़ोर देता है।
- हिमांशु सिंह सभरवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य अन्य (2008):
- निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिये न्यायालय प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत अधिकार का उपयोग करते हैं और उचित प्रक्रिया से समझौता होने पर हस्तक्षेप करते हैं।