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आपराधिक कानून

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 294

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 27-Sep-2023

प्रफुल्ल कुमार जायसवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य

"झुंझलाहट के आरोपी की अनुपस्थिति और कथित तौर पर कहे गए शब्दों को अश्लील शब्द कहने से भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं।"

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल

स्रोत: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल ने कहा कि झुंझलाहट के आरोपी की अनुपस्थिति और कथित रूप से अश्लील शब्द कहे जाने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 294 के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता है।

  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय प्रफुल्ल कुमार जायसवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले की सुनवाई कर रहा था।

प्रफुल्ल कुमार जायसवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले की पृष्ठभूमि:

  • दो शिकायतकर्ताओं ने पुलिस के समक्ष लिखित रूप से एक संयुक्त आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें आरोप लगाया गया कि वे एक समाचार पत्र के पत्रकार थे और सूचना प्राप्त होने पर वे मध्य प्रदेश के बिहटा गाँव में मामले को कवर करने गए थे जहाँ आरोपियों ने एक-दूसरे के उकसाने पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
  • शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उनके कैमरे को तोड़ने की भी धमकी दी और उनके साथ मारपीट करने का प्रयास कर रहे थे।
  • शिकायतकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और 506 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की, जो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) के समक्ष लंबित है।
  • आरोपी ने इस प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) को रद्द करवाने के लिये उच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।

न्यायालय की टिप्पणियाँ:

  • न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और 506-II के तहत अपराध के लिये आवश्यक सामग्री न तो लिखित रूप में प्रस्तुत शिकायत की सामग्री से बनती है, जिसके आधार पर लगभग एक महीने के बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी और न ही दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 161 के तहत दर्ज किये गए गवाहों के बयानों से पता चलता है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294:

  • परिचय:
    • भारतीय दंड संहिता की धारा 294 अश्लीलता और समाज में इसकी विभिन्न अभिव्यक्तियों से संबंधित है जो अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक शालीनता और नैतिकता बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है।
  • मुख्य प्रावधान:
    • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294: अश्लील हरकतें और गाने— जो भी कोई दूसरों को चिढ़ाने के इरादे से:
      (क) किसी भी सार्वजनिक जगह पर कोई भी अश्लील कार्य करता है, या
      (ख) किसी भी सार्वजनिक स्थान या उसके आसपास कोई अश्लील गाना, कथा, गीत या शब्द गाता है या बोलता है तो उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • प्रावधान के तत्त्व:
    • अश्लील हरकतें:
      • यह धारा सार्वजनिक स्थान पर किये गए किसी भी अश्लील कृत्य को कवर करती है।
      • भारतीय दंड संहिता में "अश्लील" शब्द को सटीक रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन आमतौर इसका अर्थ ऐसे किसी भी कार्य से है जो यौन रूप से स्पष्ट या आक्रामक है, जो शालीनता के प्रचलित मानकों के खिलाफ है।
    • अश्लील गाने, गाथागीत या शब्द:
      • यह पहलू कानून के दायरे को अश्लीलता के मौखिक रूपों तक विस्तारित करता है।
    • दूसरों को चिढ़ाने के लिये:
      • कार्य या अभिव्यक्ति ऐसे तरीके से की जानी चाहिये जिससे दूसरों को परेशानी हो।
      • यह आवश्यकता इस बात को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि कानून व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आवश्यकता से अधिक उल्लंघन न करे।

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 से संबंधित प्रमुख मामले:

  • रंजीत उदारम खरोटे बनाम महाराष्ट्र राज्य (1964):
    • इस मामले ने स्थापित किया कि धारा 294 के तहत अश्लीलता का परीक्षण समकालीन सामुदायिक मानकों पर आधारित होना चाहिये।
    • इसमें इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि कलात्मक, वैज्ञानिक या साहित्यिक योग्यता को अश्लीलता के आरोपों के खिलाफ वैध बचाव के रूप में माना जा सकता है।
  • ओम प्रकाश बनाम मध्य प्रदेश राज्य (1989):
    • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि व्यक्ति के मन की क्रोधित स्थिति को दर्शाने वाले मात्र तुच्छ कथन भारतीय दंड संहिता की धारा 294 को लागू करने के लिये पर्याप्त नहीं होंगे।
  • एन. एस. मदनगोपाल और अन्य बनाम के. ललिता (2022):
    • उच्चतम न्यायालय ने माना कि केवल निंदाजनक, अपमानजनक या मानहानिकारक शब्दों के कारण ही भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (b) के तहत अपराध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन यह स्थापित करने के लिये और सबूत होने चाहिये कि यह दूसरों को परेशान करने के लिये था, जिसकी मौजूदा मामले में कमी है।