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वाणिज्यिक विधि
आयकर अधिनियम की धारा 115BBE
« »29-Dec-2023
त्रिवेणी एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड बनाम आयकर अधिकारी और अन्य। “आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115BBE की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है।” कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में त्रिवेणी एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड बनाम आयकर अधिकारी और अन्य के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर अधिनियम, 1961 (IT अधिनियम) की धारा 115BBE की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
त्रिवेणी एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड बनाम आयकर अधिकारी और अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष, आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 के लिये IT अधिनियम की धारा 148A(d) के तहत पारित 25 जुलाई, 2022 के आदेशों को चुनौती देते हुए वर्तमान रिट याचिकाएँ दायर की गई हैं और इसमें IT अधिनियम की धारा 148 के तहत जारी 25 जुलाई, 2022 के नोटिस को भी चुनौती दी गई है।
- याचिकाकर्त्ता ने IT अधिनियम की धारा 115 BBE की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा है कि धारा 115BBE की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर अपीलीय प्राधिकरण द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
- याचिकाकर्त्ता के अधिवक्ता का कहना है कि IT अधिनियम की धारा 148 के तहत जारी किये गए नोटिस प्रासंगिक मूल्यांकन वर्षों के अंत से तीन वर्ष बाद जारी किये गए हैं और वह भी प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त से मंज़ूरी प्राप्त करने के बाद जारी किया जा सकता था, न कि प्रधान आयकर आयुक्त से जैसा कि वर्तमान मामलों में किया गया है।
- उच्च न्यायालय ने वर्तमान रिट याचिकाओं और लंबित आवेदनों को खारिज कर दिया।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन तथा न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा है कि वैधानिक अधिनियमों और उनके प्रावधानों को इस काल्पनिक सिद्धांत पर असंवैधानिक घोषित नहीं किया जाना चाहिये कि सत्ता का प्रयोग अवास्तविक तरीके से या शून्य में या इस आधार पर किया जाएगा कि वैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग की आशंका है या सत्ता के दुरुपयोग की संभावना है।
- इसके लिये यह माना जाना चाहिये, जब तक कि इसके विरुद्ध यह साबित न हो जाए, कि किसी विशेष कानून का प्रशासन एवं कार्यान्वयन गलत भाव और संबंधित प्राधिकरण द्वारा नही किया गया है।
- न्यायालय ने कहा कि IT अधिनियम की धारा 115BBE को असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता है और यह अधिनियम कर के आकलन या पुनर्मूल्यांकन के लिये पूर्ण मशीनरी प्रदान करता है।
IT अधिनियम, 1961 के प्रासंगिक कानूनी प्रावधान क्या शामिल हैं?
- यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1962 को लागू हुआ और आयकर लगाने, प्रशासन, संग्रह एवं वसूली का प्रावधान करता है।
- यह अधिनियम आयकर और सुपर-टैक्स से संबंधित कानून को समेकित एवं संशोधित करता है।
IT अधिनियम की धारा 148 और 148A:
- इस अधिनियम की धारा 148 नोटिस जारी करने से संबंधित है जहाँ आय का मूल्यांकन नहीं हुआ है।
- वर्ष 2021 के बजट में पेश की गई इस अधिनियम की धारा 148A ने भारत में कराधान के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत की है।
- यह धारा आयकर अधिकारियों को पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देती है जब उन्हें संदेह होता है कि किसी करदाता ने किसी मूल्यांकन वर्ष के दौरान आय छुपाई है।
- इस अधिनियम की धारा 148A(d) ऐसी जानकारी के अस्तित्व या अन्यथा तक सीमित है जो बताती है कि कर के दायरे में आने वाली आय मूल्यांकन से बच गई है।
IT अधिनियम की धारा 115BBE:
इस अधिनियम की धारा 115BBE, धारा 68 या धारा 69 या धारा 69A या धारा 69B या धारा 69C या धारा 69D में निर्दिष्ट आय पर कर से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि-
(1) एक निर्धारिती की कुल आय कहाँ है, -
(a) धारा 68, धारा 69, धारा 69 A, धारा 69 B, धारा 69 C या धारा 69 D में संदर्भित किसी भी आय को शामिल करता है और धारा 139 के तहत प्रस्तुत आय की वापसी में परिलक्षित होता है; या
(b) निर्धारण अधिकारी द्वारा निर्धारित किसी भी आय में धारा 68, धारा 69, धारा 69 A, धारा 69 B, धारा 69 C या धारा 69 D में निर्दिष्ट आय शामिल है, यदि ऐसी आय खंड (a) के तहत कवर नहीं की जाती है, देय आयकर - का कुल योग होगा -
(i) साठ प्रतिशत की दर से खंड (a) और खंड (b) में निर्दिष्ट आय पर गणना की गई आयकर की राशि; तथा
(ii) निर्धारिती जिस आय-कर के साथ प्रभार्य होता, उसकी कुल आय खंड (i) में निर्दिष्ट आय की मात्रा से कम हो जाती थी।
(2) इस अधिनियम में निहित किसी भी बात के बावजूद, उपधारा (1) के खंड (a) और खंड (b) में निर्दिष्ट उसकी आय की गणना में इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान के तहत निर्धारिती को किसी भी व्यय या भत्ते या किसी नुकसान की भरपाई के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।