होम / करेंट अफेयर्स
वाणिज्यिक विधि
IBC की धारा 14
« »30-Jan-2024
अंसल क्राउन हाइट्स फ्लैट बायर्स एसोसिएशन (पंजीकृत) बनाम मेसर्स अंसल क्राउन इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य “दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 14 के तहत अधिस्थगन आरोपित करने से कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही को शुरू होने से नहीं रोका जा सकेगा।” न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुइयाँ |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (IBC) की धारा 14 के तहत अधिस्थगन लगाने से कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही को शुरू होने से नहीं रोका जा सकेगा।
- उपर्युक्त टिप्पणी अंसल क्राउन हाइट्स फ्लैट बायर्स एसोसिएशन (पंजीकृत) बनाम मेसर्स अंसल क्राउन इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य के मामले में की गई थी।
अंसल क्राउन हाइट्स फ्लैट बायर्स एसोसिएशन (पंजीकृत) बनाम मेसर्स अंसल क्राउन इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- मेसर्स अंसल क्राउन इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड (प्रतिवादी) द्वारा विकसित एक परियोजना के संदर्भ में होमबॉयर्स एसोसिएशन (अपीलकर्त्ता) लिमिटेड ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के समक्ष शिकायत दर्ज की।
- NCDRC द्वारा एक आदेश दिया गया था जिसमें डेवलपर कंपनी को परियोजना को सभी प्रकार से पूरा करने और निर्दिष्ट समय के अंदर होमबॉयर्स एसोसिएशन के सदस्यों को आवंटित फ्लैट/अपार्टमेंट का कब्ज़ा सौंपने का निर्देश दिया गया था।
- डेवलपर कंपनी IBC की धारा 9 के तहत कार्यवाही के योग्य है।
- नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने डेवलपर कंपनी के खिलाफ IBC की धारा 9 के तहत दायर याचिका को स्वीकार कर लिया।
- अपीलकर्त्ताओं ने न केवल कंपनी के विरुद्ध बल्कि कई व्यक्तियों के विरुद्ध भी NCDRC के निर्देशों को निष्पादित करने की मांग की।
- NCDRC ने माना कि IBC की धारा 14 के तहत अधिस्थगन के कारण कंपनी के विरुद्ध डिक्री निष्पादित नहीं की जा सकती।
- इसके बाद अपीलकर्त्ता द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक अपील दायर की गई, जिसे बाद में न्यायालय ने अनुमति दे दी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुइयाँ की खंडपीठ ने कहा है कि केवल इसलिये कि कंपनी के विरुद्ध IBC की धारा 14 के तहत अधिस्थगन आरोपित है, यह नहीं कहा जा सकता है कि कंपनी या उसके अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। बशर्ते कि वे उस आदेश का पालन करने के लिये उत्तरदायी हों, जो कंपनी के विरुद्ध पारित किया गया है।
- न्यायालय ने यह भी माना कि अधिस्थगन की सुरक्षा कंपनी के निदेशकों/अधिकारियों को उपलब्ध नहीं होगी।
- न्यायालय ने पी. मोहनराज बनाम शाह ब्रदर्स इस्पात (P) लिमिटेड (2021) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर विश्वास जताया।
- इस मामले में यह माना गया कि अधिस्थगन के बावजूद, निदेशकों/अधिकारियों का दायित्व, यदि कोई हो, बना रहेगा।
इसमें कौन-से प्रासंगिक कानूनी प्रावधान शामिल हैं?
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016:
- यह निगमित व्यक्तियों, भागीदारी फर्मों और व्यष्टियों के पुनर्गठन और दिवाला समाधान से संबंधित विधियों का समयबद्ध रीति में ऐसे व्यक्तियों की आस्तियों के मूल्य के अधिकतमीकरण के लिये समेकन तथा संशोधन करने, उद्यमता, उधार की उपलब्धता और सभी पणधारियों के हितों के संतुलन का संवर्धन करने, जिसके अंतर्गत सरकारी शोध्यों के संदाय की पूर्विकता के क्रम में परिवर्तन भी है तथा भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड की स्थापना करने एवं उससे संबंधित या उससे आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने से संबंधित अधिनियम है।
- IBC द्वारा प्रेसिडेंसी नगर दिवाला अधिनियम, 1909 और प्रांतीय दिवाला अधिनियम, 1920 को निरस्त किया गया।
- IBC की धारा 9 परिचालन ऋणदाता द्वारा कॉर्पोरेट दिवाला शोधन प्रक्रिया शुरू करने के आवेदन से संबंधित है।
IBC की धारा 14:
अधिस्थगन–(1) उपधारा (2) और उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, दिवाला प्रारंभ की तारीख को, न्यायनिर्णायक प्राधिकारी आदेश द्वारा निम्नलिखित सभी को प्रतिषिद्ध करने के लिये अधिस्थगन की घोषणा करेगा, अर्थात् :-
(a) निगमित ऋणी के विरुद्ध वाद को संस्थित करने या लम्बित वादों और कार्यवाहियों को जारी रखने, जिसके अंतर्गत किसी न्यायालय, अधिकरण, माध्यस्थम्, पैनल या अन्य प्राधिकारी के किसी निर्णय, डिक्री या आदेश का निष्पादन भी शामिल
है।
(b) निगमित ऋणी द्वारा उसकी किसी आस्ति या किसी विधिक अधिकार या उसमें किसी फायदाग्राही हित का अंतरण, विल्लंगम, अन्य संक्रामण या व्ययन करना।
(c) अपनी संपत्ति के संबंध में निगमित ऋणी द्वारा सृजित किसी प्रतिभूति हित के पुरोबंध, वसूली या प्रवृत्त करने की कोई कार्रवाई जिसके अंतर्गत वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2000 के अधीन कोई कार्रवाई भी शामिल है।
(d) किसी स्वामी या पट्टाकर्त्ता द्वारा किसी संपत्ति की वसूली जहाँ ऐसी संपत्ति निगमित ऋणी के अधिभोग में है या उसके कब्ज़े में है ।
(2) निगमित ऋणी को आवश्यक वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति, जैसा विनिर्दिष्ट किया जाए, को अधिस्थगन कालावधि के दौरान समाप्त या निलंबित या बाधित नहीं किया जाएगा।
(2A) जहाँ यथास्थिति, अंतरिम समाधान वृत्तिक या समाधान वृत्तिक, निगमित ऋणी के मूल्य को संरक्षित और परिरक्षित करने के लिये माल या सेवाओं के प्रदाय को तथा ऐसे निगमित ऋणी की संक्रियाओं का चालू समुत्थान के रूप में प्रबंध करने को संकटपूर्ण समझता है तो ऐसे माल या सेवाओं का प्रदाय अधिस्थगन की अवधि के दौरान पर्यवसित, निलंबित या विच्छिन्न नहीं किया जाएगा, सिवाय इसके जहाँ ऐसे निगमित ऋणी ने अधिस्थगन अवधि के दौरान या ऐसी परिस्थितियों में, जो विनिर्दिष्ट की जाए, ऐसे प्रदाय से उद्भूत होने वाले शोध्यों का संदाय नहीं किया है ।
(3) उपधारा (1) के उपबंध निम्नलिखित को लागू नहीं होंगे,-
(a) ऐसे संव्यवहार, करार, अन्य ठहराव, जो केंद्रीय सरकार द्वारा, किसी वित्तीय सेक्टर विनियामक या किसी अन्य प्राधिकारी के परामर्श से अधिसूचित किए जाएँ।
(b) किसी निगमित ऋणी को गारंटी की संविदा में प्रतिभू।
(4) अधिस्थगन का आदेश, ऐसे आदेश की तारीख से निगमित दिवाला समाधान प्रक्रिया के पूरा होने तक प्रभावी रहेगा।