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सिविल कानून

रजिस्ट्रीकरण अधिनियम की धा रा 22-A (1)

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 28-May-2024

शालीन बनाम ज़िला रजिस्ट्रार एवं अन्य

"रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 22-A (1), जो रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को कुछ दस्तावेज़ों के रजिस्ट्रीकरण से मना करने की अनुमति देती है तथा चर्च की संपत्तियों पर लागू नहीं होती है”।

न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन

स्रोत: मद्रास उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन की पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 22-A (1), जो रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को कुछ दस्तावेज़ों के रजिस्ट्रीकरण से मना करने की अनुमति देती है तथा चर्च की संपत्तियों पर लागू नहीं होती है।

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी शालीन बनाम ज़िला रजिस्ट्रार एवं अन्य के मामले में दी थी।

शालीन  बनाम ज़िला रजिस्ट्रार एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता ने 28 मार्च 2023 को बिक्री विलेख के माध्यम से विजया से संपत्ति खरीदी।
  • दूसरे प्रतिवादी (उप-रजिस्ट्रार) ने बिक्री विलेख को पंजीकृत करने से मना कर दिया तथा अस्वीकृति-पत्र जारी कर दिया।
    • यह अस्वीकृति मद्रास उच्च न्यायालय की खंड पीठ के 04 मई 2017 के एक अंतरिम आदेश पर आधारित था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि TELC (तमिल इवेंजेलिकल लूथरन चर्च) के पक्ष में दी गई संपत्तियों को उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाना चाहिये।
  • उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के आधार पर रजिस्ट्रीकरण महानिरीक्षक ने एक सर्कुलर भी जारी किया था।
  • विजया ने यह संपत्ति एम. प्रेमकुमार पृथ्वीराज से निपटान विलेख के माध्यम से प्राप्त की, जिन्होंने इसे एक पंजीकृत बिक्री विलेख के माध्यम से TELC से खरीदा था।
  • दूसरे प्रतिवादी द्वारा बिक्री विलेख को पंजीकृत करने से मना करने से व्यथित होकर, याचिकाकर्त्ता ने वर्तमान रिट याचिका दायर की, जिसमें विवादित अस्वीकृति-पत्र को चुनौती दी गई।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने पाया कि उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश अप्रभावी हो गया है क्योंकि मुख्य रिट याचिका का निपटारा हो चुका है तथा TELC संपत्तियों के संबंध में कोई प्रतिबंध आदेश लागू नहीं था।
  • न्यायालय ने माना कि पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 22-A (1) चर्च की संपत्तियों पर लागू नहीं है क्योंकि यह केवल तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1959 के अंतर्गत हिंदू धार्मिक संस्थानों से संबंधित या उनके लिये एकत्रित संपत्तियों को शामिल करती है तथा तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अधीक्षण के अंतर्गत वक्फ संपत्तियों को शामिल करती है।
  • न्यायालय ने कहा कि जबकि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 हिंदू एवं इस्लामी धार्मिक बंदोबस्ती की रक्षा करता है, यह चर्च की संपत्तियों के लिये समान सुरक्षा प्रदान नहीं करता है तथा अब चर्च की संपत्तियों को भी धारा 22-A (1) के दायरे में शामिल करने का समय आ गया है।
  • न्यायालय ने सब-रजिस्ट्रार के विवादित आदेश को रद्द कर दिया तथा याचिकाकर्त्ता को आवश्यक स्टांप शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण शुल्क के भुगतान के अधीन, रजिस्ट्रीकरण के लिये बिक्री विलेख को पुनः प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा  22 (A) क्या है?

कुछ दस्तावेज़ों को रजिस्ट्रीकृत करने से अस्वीकरण-

इस अधिनियम में किसी प्रावधान के होते हुए भी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी निम्नलिखित दस्तावेज़ों में से किसी को भी रजिस्ट्रीकृत करने से मना कर देगा, अर्थात्-

(1) बिक्री, उपहार, बंधक, विनिमय या पट्टे के माध्यम से अचल संपत्तियों के अंतरण से संबंधित लिखत-

(i) तमिलनाडु टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1971 (1972 का तमिलनाडु एक्ट 35) की धारा 9-A के अंतर्गत स्थापित राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी से संबंधित,

(ii) किसी धार्मिक संस्था से संबंधित या उसके प्रयोजन के लिये दी गई या संपन्न, जिस पर तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 (1959 का तमिलनाडु अधिनियम 22) लागू है,

(iii) भूदान यज्ञ के लिये दान दिया गया और तमिलनाडु भूदान यज्ञ अधिनियम, 1958 (1958 का तमिलनाडु अधिनियम XV) की धारा 3 के अंतर्गत स्थापित तमिलनाडु राज्य भूदान यज्ञ बोर्ड में निहित किया गया, या

(iv) वक्फ, जो वक्फ अधिनियम, 1995 (1995 का केंद्रीय अधिनियम 43) के अंतर्गत स्थापित तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के पर्यवेक्षण के अधीन हैं,

जब तक कि संबंधित अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किये गए सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस संबंध में स्वीकृति निर्गत नहीं की जाती है या ऐसे किसी प्राधिकारी की अनुपस्थिति में, इस उद्देश्य के लिये राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई प्राधिकारी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाता है।