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आपराधिक कानून

NIA अधिनियम की धारा 22

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 19-Apr-2024

पश्चिम बंगाल राज्य बनाम जयिता दास

“NIA अधिनियम की धारा 22 यह स्पष्ट करती है कि अविधिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के अधीन दण्डनीय किसी भी अपराध के पंजीकरण के मामले में, उस डिवीजन के सत्र न्यायालय, जिसमें अपराध कारित हुआ है, निश्चित रूप से एक अधिनियम द्वारा प्रदत्त क्षेत्राधिकार से युक्त विशेष न्यायालय होगा”

जस्टिस बी.आर. गवई एवं संदीप मेहता

स्रोत:  उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जस्टिस बी.आर. गवई एवं जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि “राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 (NIA अधिनियम) की धारा 22 की उप-धारा (3) का अवलोकन करने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि जब तक एक विशेष न्यायालय का गठन नहीं किया जाता है, राज्य सरकार, धारा 22 की उप-धारा (1) के अधीन, अविधिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के अधीन दण्डनीय किसी भी अपराध के पंजीकरण के मामले में, उस डिवीज़न के सत्र न्यायालय, जिसमें अपराध कारित हुआ है, निश्चित रूप से एक अधिनियम द्वारा प्रदत्त क्षेत्राधिकार से युक्त विशेष न्यायालय होगा, इसमें NIA अधिनियम के अध्याय IV के अधीन प्रावधानित प्रक्रिया का पालन करने के लिये सक्षम होंगी।”

  • उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल राज्य बनाम जयिता दास के मामले में दी।

पश्चिम बंगाल राज्य बनाम जयिता दास मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • यह मामला कोलकाता में CPI (माओवादी) से जुड़ी अपराध के गठन के लिये साक्ष्य सामग्री वाले एक लावारिस काले थैले की खोज से उत्पन्न हुआ था।
  • भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की विभिन्न धाराओं के अधीन प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी।
  • प्रतिवादी को पकड़ लिया गया तथा मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने लाया गया, जिन्होंने जाँच अधिकारी के अनुरोध के अनुसार, UAPA के अधीन अपराध जोड़ने को स्वीकृति दे दी।
  • हालाँकि, प्रतिवादी ने इस निर्णय को रद्द करने के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, यह तर्क देते हुए कि केवल NIA अधिनियम के अधीन केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नामित विशेष न्यायालयों के पास UAPA अपराधों पर विचारण का अधिकार क्षेत्र था।
  • उच्च न्यायालय ने UAPA अपराधों से संबंधित कार्यवाही को रद्द करते हुए याचिका स्वीकार कर ली।
  • पश्चिम बंगाल राज्य ने उच्च न्यायालय की क्षेत्राधिकार संबंधी व्याख्या को चुनौती देते हुए इस निर्णय के विरुद्ध अपील की है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • उच्च न्यायालय ने माना कि मुख्य न्यायाधीश, सिटी सेशन कोर्ट, कलकत्ता के पास NIA अधिनियम की धारा 22(3) के अनुसार आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्र था, क्योंकि पश्चिम बंगाल राज्य ने UAPA अपराधों की सुनवाई के लिये एक विशेष न्यायालय का गठन नहीं किया था।
  • UAPA की धारा 2(1)(d) के अधीन 'न्यायालय' की परिभाषा में एक सामान्य आपराधिक न्यायालय तथा NIA अधिनियम के अधीन एक विशेष न्यायालय सम्मिलित है।
  • इसलिये, SC ने अपील की अनुमति दी।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 (NIA अधिनियम) की धारा 22 क्या है?

  • राज्य सरकार की शक्तियाँ:
    • राज्य सरकार को एक या एक से अधिक सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करने का अधिकार है।
  • प्रावधानों की प्रयोज्यता:
    • इस अध्याय के प्रावधान, कुछ संशोधनों के साथ राज्य सरकार द्वारा नामित विशेष न्यायालयों पर लागू होते हैं।
  • विशेष न्यायालय का क्षेत्राधिकार:
    • जब तक राज्य सरकार द्वारा एक विशेष न्यायालय को नामित नहीं किया जाता है, तब तक NIA अधिनियम द्वारा एक विशेष न्यायालय को प्रदत्त क्षेत्राधिकार का प्रयोग उस प्रभाग के सत्र न्यायालय द्वारा किया जाता है, जहाँ अपराध कारित हुआ था।
  • विचारण का स्थानांतरण:
    • राज्य सरकार द्वारा विशेष न्यायालय के पदनाम पर, इस NIA अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा जाँच किये गए अपराधों के विचारण उस न्यायालय में स्थानांतरित कर दिये जाते हैं।