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दंड विधि

आईपीसी की धारा 326b

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 10-Nov-2023

रश्मी कंसल बनाम राज्य और अन्य।

"भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 326b के तहत, अपराध सिर्फ तभी माना जाता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड फेंकता है या फेंकने का प्रयास करता है, न कि कोई अन्य तरल या पदार्थ।"

न्यायमूर्ति अमित बंसल

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने रश्मी कंसल बनाम राज्य और अन्य के मामले में माना है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 326b के प्रावधानों के तहत, अपराध तभी बनता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड न कि कोई अन्य तरल या पदार्थ फेंकता है, या फेंकने का प्रयास करता है।

रश्मी कंसल बनाम राज्य और अन्य मामले की पृष्ठभूमि:

  • याचिकाकर्त्ता प्रतिवादी की भाभी है, और दोनों एक साझा संपत्ति में रहते हैं।
  • 16 मार्च, 2017 को पुलिस को प्रतिवादी के बेटे का फोन आया कि उसकी माँ पर किसी ने एसिड फेंक दिया है।
  • आईपीसी की धारा 326b और 506 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज़ की गई थी।
  • याचिकाकर्त्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि वर्तमान एफआईआर तुच्छ और परेशान करने वाली है और पक्षों के बीच चल रहे संपत्ति विवाद के कारण याचिकाकर्त्ता को परेशान करने के लिये प्रतिवादी द्वारा दायर की गई है।
  • वर्तमान याचिका आईपीसी की धारा 326b और 506 के तहत एफआईआर को रद्द करने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई है।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिका मंजूर करते हुए एफआईआर रद्द कर दी।

न्यायालय की टिप्पणियाँ :

  • न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि आईपीसी की धारा 326b के प्रावधानों के तहत, अपराध सिर्फ तभी माना जाता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड न कि कोई अन्य तरल या पदार्थ फेंकता है या फेंकने का प्रयास करता है।
  • न्यायालय ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्त्ता द्वारा प्रतिवादी पर फेंका गया तरल वास्तव में एसिड था, तो प्रतिवादी को बाहरी चोटें लगी होंगी और उसके शरीर पर एसिड के निशान बन गए होंगे।

इसमें शामिल प्रासंगिक कानूनी प्रावधान :

आईपीसी की धारा 326b

  • यह धारा दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 द्वारा शामिल की गई थी और स्वेच्छा से एसिड फेंकने या फेंकने का प्रयास करने से संबंधित है। यह कहती है कि –

IPC की धारा 326B — स्वेच्छया एसिड फेंकना या फेंकने का प्रयत्न करना –

जो कोई, किसी व्यक्ति को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या नि:शक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर एसिड फेंकता है या फेंकने का प्रयत्न करता है या किसी व्यक्ति को एसिड देता है या एसिड देने का प्रयत्न करता है या किसी अन्य साधन का उपयोग करने का प्रयत्न करता है, वह दोनों में से  किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

स्पष्टीकरण 1.- धारा 326क और इस धारा के प्रयोजनों के लिये “एसिड‘ में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है , जो ऐसे एसिड या संक्षारक स्वरूप या ज्वलन प्रकृति का है, जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है, जिससे क्षतचिह्न बन जाते हैं या विद्रूपता या अस्थायी या स्थायी नि:शक्तता हो जाती है।

स्पष्टीकरण 2.- धारा 326क और इस धारा के प्रयोजनों के लिये स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार का अपरिवर्तनीय होना आवश्यक नहीं होगा।

  • यह धारा लैंगिक रूप से तटस्थ है जिसका उद्देश्य किसी भी जेंडर के सभी खिलाफ एसिड-हमले के अपराधों को रोकना है।
  • इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

आईपीसी की धारा 506

  • यह धारा आपराधिक अभित्रास के लिये सजा से संबंधित है। यह कहती है कि -
  • जो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।
  • यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति इत्यादि कारित करने की हो – तथा यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति कारित करने की, या अग्नि द्वारा किसी सम्पत्ति का नाश कारित करने की या मृत्यु दण्ड से या आजीवन कारावास से, या सात वर्ष की अवधि तक के कारावास से दण्डनीय अपराध कारित करने की, या किसी स्त्री के असतीत्व पर लांछन लगाने की हो, तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुमनि से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।
  • आईपीसी की धारा 503 के तहत आपराधिक अभित्रास को परिभाषित किया गया है।