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आपराधिक कानून
IPC की धारा 504
« »14-Feb-2024
धीरेन्द्र एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य. “केवल अभद्र भाषा का प्रयोग अथवा असभ्य होना IPC की धारा 504 के अर्थ के अंतर्गत जानबूझकर किया गया कोई अपमान नहीं होगा।” न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान |
स्रोत: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में धीरेंद्र एवं अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय, ने माना है कि केवल अपमानजनक भाषा का उपयोग अथवा असभ्य या अशिष्ट होना भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 504 के तहत किसी भी जानबूझकर किये गए अपमान के बराबर नहीं होगा।
धीरेंद्र एवं अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
वर्तमान मामले में शिकायतकर्त्ता ने आवेदकों के खिलाफ शिकायत दर्ज़ कराई।
- शिकायत के अनुसार आरोप यह है कि शिकायतकर्त्ता ने अपनी बकरी को अपने घर के बाहर बाँध दिया था और गाँव छोड़ कर चला गया था।
- जब शिकायतकर्त्ता उसी दिन गाँव वापस आया और अपने घर पहुँचा तो उसने पाया कि उसकी बकरी गायब थी।
- इसके बाद उन्हें बताया गया कि बकरी को आवेदक चोरी से ले गए हैं।
- आवेदकों से उनके घर पर पूछताछ करने पर शिकायतकर्त्ता को वहाँ बकरी मिली।
- आगे यह भी आरोप लगाया गया कि जब शिकायतकर्ता ने आवेदकों को उपरोक्त कृत्य के बारे में बताया तो उन्होंने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और धमकी भी दी।
- न्यायिक मजिस्ट्रेट ने IPC की धारा 379, 504 और 506 के तहत आवेदकों को तलब करने का आदेश पारित किया है।
- समन आदेश को चुनौती देते हुए आवेदक की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अर्ज़ी दाखिल की गई है।
- IPC की धारा 504 के तहत अपराध के लिये समन आदेश को रद्द करके आवेदन को आंशिक रूप से अनुमति दी गई थी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने कहा कि केवल अपमानजनक भाषा का उपयोग अथवा प्रतिद्वंद्वी के प्रति असभ्य या अशिष्ट होना IPC की धारा 504 के अर्थ के तहत किसी भी जानबूझकर अपमान की श्रेणी में नहीं आएगा।
- न्यायालय ने कहा कि किसी कृत्य को इस अपराध के दायरे में लाने के लिये यह दिखाना होगा कि अपमानजनक भाषा या अपमान की प्रकृति ऐसी थी कि इससे किसी व्यक्ति का अपमान होने अथवा शांति भंग होना या कोई अपराध होना संभाव्य है।
- उच्च न्यायालय ने मोहम्मद वाज़िद बनाम यूपी राज्य (2023) के मामले में दिये गए निर्णय पर विश्वास किया।
- इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केवल दुर्व्यवहार, असभ्यता, अशिष्टता या अनाचरण, IPC की धारा 504 के अर्थ में जानबूझकर अपमान नहीं हो सकती है, यदि इसमें अपमानित व्यक्ति को उकसाने की संभावना अथवा शांति का उल्लंघन करने जैसे आवश्यक आपराधिक तत्त्व शामिल नहीं हैं।
इसमें कौन-से प्रासंगिक कानूनी प्रावधान शामिल हैं?
IPC की धारा 379:
- IPC की धारा 379 चोरी के लिये सज़ा का प्रावधान करती है जबकि यही प्रावधान भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 303(2) के तहत शामिल किया गया है।
- इसमें कहा गया है कि जो कोई भी चोरी करेगा उसे तीन वर्ष तक की कैद अथवा ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- चोरी के अपराध को IPC की धारा 378 के तहत परिभाषित किया गया है जबकि इसे भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 303 के तहत परिभाषित किया गया है।
- चोरी को तब किया गया माना जाता है जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसके कब्ज़े से किसी चल संपत्ति को बेईमानी से लेने का आशय रखता है, ऐसी संपत्ति को लेने के लिये संपत्ति को स्थानांतरित करता है।
IPC की धारा 504:
- यह धारा शांति भंग करने के आशय से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है।
- इस धारा में कहा गया है कि जो कोई भी जानबूझकर अपमान करता है और इस तरह किसी व्यक्ति को उकसाता है, यह आशय रखते हुए या यह जानते हुए कि इस तरह के उकसावे के कारण सार्वजनिक शांति भंग हो जाएगी अथवा कोई अन्य अपराध कारित हो जाएगा साथ ही उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दण्डित किया जाएगा। एक अवधि के लिये जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, को ज़ुर्माना अथवा दण्ड दोनों का प्रावधान किया जा सकता है।
- यह एक गैर-संज्ञेय, समझौता योग्य एवं ज़मानती अपराध है एवं इसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
IPC की धारा 506:
- यह धारा आपराधिक धमकी के लिये दण्ड से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि जो कोई भी आपराधिक धमकी देने जैसा अपराध करेगा, तब उसे दो वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- यदि धमकी मौत या गंभीर चोट पहुँचाने की हो अथवा आग से किसी संपत्ति को नष्ट करने की हो या मौत एवं आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की हो अथवा सात वर्ष तक की कारावास से दण्डित करने की हो, या किसी महिला के साथ अपवित्रता का आरोप लगाने पर सात वर्ष तक का कारावास अथवा ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।