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आपराधिक कानून

IPC की धारा 504

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 15-Jan-2024

जूडिथ मारिया मोनिका किलर @ संगीता जे.के. उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य

"किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई भी गुमराह करने वाला बयान अनुपयुक्त, अनुचित और असभ्य हो सकता है, लेकिन यह IPC की धारा 504 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।"

न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा

स्रोत:  इलाहाबाद उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई भी गुमराह करने वाला बयान अनुपयुक्त, अनुचित और असभ्य हो सकता है, लेकिन यह भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 504 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

  • उपर्युक्त टिप्पणी जूडिथ मारिया मोनिका किलर @ संगीता जे. के. उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में की गई थी।

जूडिथ मारिया मोनिका किलर @ संगीता जे. के. उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में शिकायतकर्त्ता ने याचिकाकर्त्ता और दस अन्य व्यक्तियों के खिलाफ IPC की धारा 500 के तहत शिकायत का मामला दर्ज कराया।
  • आरोपों के आधार पर, न्यायालय ने शिकायतकर्त्ता के बयान दर्ज करने की कार्रवाई की और उसके बाद याचिकाकर्त्ता को IPC की धारा 504 के तहत समन करने का आदेश दिया।
  • याचिकाकर्त्ता ने समन आदेश पर आपत्ति जताते हुए ज़िला न्यायाधीश के समक्ष पुनरीक्षण को प्राथमिकता दी। दोनों पक्षों को सुना गया, पुनरीक्षण न्यायालय ने समन आदेश की पुष्टि की।
  • इसके बाद याचिकाकर्त्ता ने उच्च न्यायालय में अपील की।
  • उच्च न्यायालय ने उपर्युक्त आदेशों को रद्द कर दिया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई भी गुमराह करने वाला बयान अनुपयुक्त, अनुचित और असभ्य हो सकता है, हालाँकि, मेरे विचार से, ये इस कृत्य को IPC में परिभाषित धारा 504 के चारों खंडों के अंतर्गत नहीं लाते हैं।
  • न्यायालय ने आगे कहा कि उपेक्षा से दिया गया बयान, जिसका आशय यह नहीं था कि यह किसी व्यक्ति को लोक शांति भंग करने या कोई अन्य अपराध करने के लिये उकसा सकता है।
    • भले ही, तर्क के लिये, ऐसे शब्दों को बोलने को जानबूझकर अपमान के रूप में लिया जाता है, तथापि इसे इस स्तर का नहीं समझा जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति को शांति भंग करने के लिये उकसाया जाए।

इसमें कौन-से प्रासंगिक कानूनी प्रावधान शामिल हैं?

IPC की धारा 500:

  • IPC की धारा 500 मानहानि की सज़ा से संबंधित है, जबकि यही प्रावधान भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 354 के तहत शामिल किया गया है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिये सादा कारावास से जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या ज़ुर्माने, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • कोई भी व्यक्ति जो बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों या दृश्य इशारों द्वारा किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के आशय से उस पर कोई लांछन लगाता या प्रकाशित करता है, उसे मानहानि के अपराध के लिये उत्तरदायी माना जाएगा।
  • भारत में मानहानि का कार्य दो रूपों में हो सकता है, अपमान लेख और अपमान-वचन।
    • अपमान लेख एक प्रकार की मानहानि को संदर्भित करता है जो किसी स्थायी रूप जैसे लिखित, मुद्रित या चित्र में मौजूद होती है।
    • अपमान-वचन एक प्रकार की मानहानि को संदर्भित करता है जो अलिखित रूप में मौजूद होती है जैसे कि बोले गए शब्द, इशारे या हाथों से किया गया वर्णन।

IPC की धारा 504:

  • IPC की धारा 504 शांति भंग करने के आशय से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के आशय से जानबूझकर उसका अपमान करे, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोक शांति भंग करने, या अन्य अपराध का कारण हो सकती है को किसी एक अवधि के लिये कारावास की सज़ा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या ज़ुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • इसमें निम्नलिखित संघटक शामिल होते हैं:
    • इरादतन अपमान
    • अपमान ऐसा होना चाहिये जिससे अपमानित व्यक्ति को उकसा सके।
    • अभियुक्त का आशय या उसे पता होना चाहिये कि इस तरह के उकसावे से कोई अन्य व्यक्ति लोक शांति भंग कर सकता है या कोई अन्य अपराध कर सकता है।