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आपराधिक कानून
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा, 65B
« »01-Mar-2024
विलियम स्टीफन बनाम तमिलनाडु राज्य "राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि पुलिस अधिकारियों को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 65B के तहत उचित प्रशिक्षण दिया जाए।" न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुइयाँ |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुइयाँ की पीठ ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) की धारा 65B के तहत पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण पर एक मामले की सुनवाई की।
- उपर्युक्त टिप्पणी विलियम स्टीफन बनाम तमिलनाडु राज्य के मामले में की गई थी।
विलियम स्टीफन बनाम तमिलनाडु राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- पीड़ित अभियोजन पक्ष के गवाह-2, तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला आठ वर्षीय बालक का 20 अक्तूबर, 2010 को ट्यूशन से लौटते समय व्यपहरण कर लिया गया था।
- कथित तौर पर, मारुति कार में सवार अभियुक्त ने दावा किया कि बालक के पिता एक कार खरीदने का आशय रखते थे और उन्होंने उसे अपने वाहन के पास बुलाने के लिये फुसलाया था।
- अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि उन्होंने अभियोजन गवाह PW-3 को फोन करके 5 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी।
- पुलिस ने वेल्लोर ज़िले के पल्लीकोंडा टोल गेट से बालक को छुड़ाकर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया था।
- अभियोजन पक्ष ने PW-1 से लेकर PW-3 और PW-19, जाँच अधिकारी के कॉल रिकॉर्ड और गवाही पर भरोसा किया था।
- अभियुक्त नंबर 1 व 2 ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित 27 जुलाई, 2016 के निर्णय के विरुद्ध अपील दायर की थी, जिसने IPC की धारा 364A के तहत उनकी दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा था।
- अभियोजन साक्ष्य में कॉल रिकॉर्ड और साक्षियों की गवाही शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने IEA की धारा 65B प्रमाण-पत्र की कमी के कारण साक्ष्य को खारिज़ कर दिया।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायालय की टिप्पणी ने जाँच अधिकारी (PW-19) और IEA की धारा 65B के तहत प्रमाण-पत्र के संबंध में एक प्रक्रियात्मक मुद्दे पर प्रकाश डाला।
- न्यायालय ने कहा कि जाँच अधिकारी को धारा 65B के तहत प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं थी, और न्यायालय ने स्वीकार किया कि ज्ञान की इस कमी के लिये अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उसे उचित प्रशिक्षण नहीं दिया गया था।
- इसके अलावा, न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया कि पुलिस अधिकारियों को IEA की धारा 65B के तहत उचित प्रशिक्षण मिले।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 65B क्या है?
- दस्तावेज़ के रूप में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख:
- किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख में अंतर्विष्ट किसी सूचना को भी, जो कंप्यूटर द्वारा उत्पादित और किसी कागज़ पर मुद्रित, प्रकाशीय या चुंबकीय मीडिया में भंडारित, अभिलिखित या नकल की गई हो (जिसे इसमें इसके पश्चात् कंप्यूटर निर्गम कहा गया है), कुछ शर्तों के तहत एक दस्तावेज़ माना जाता है।
- ऐसे इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख कानूनी कार्यवाही में बिना किसी अतिरिक्त साक्ष्य या मूल दस्तावेज़ की आवश्यकता के साक्ष्य के रूप में ग्राह्य होगें।
- कंप्यूटर निर्गम के लिये शर्तें:
- सुसगंत गतिविधियों के लिये नियमित कंप्यूटर उपयोग के दौरान अभिलेख तैयार किया जाना चाहिये।
- इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के समान जानकारी नियमित रूप से कंप्यूटर में इनपुट की जानी चाहिये।
- संबंधित अवधि के दौरान कंप्यूटर ठीक से कार्य करने चाहिये।
- इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की जानकारी नियमित गतिविधियों के दौरान कंप्यूटर में फीड किये गए डेटा के साथ संरेखित की जाती है।
- एकाधिक कंप्यूटरों के साथ व्यवहार :
- ऐसे मामलों में जहाँ एक अवधि में कई कंप्यूटरों का उपयोग किया गया था, उन्हें कानूनी उद्देश्यों के लिये एक इकाई के रूप में माना जाता है।
- साक्ष्य के लिये प्रमाणीकरण:
- इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के उत्पादन, प्रासंगिक उपकरणों का विवरण और उपधारा (2) में निर्दिष्ट शर्तों को संबोधित करने वाले अधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण-पत्र कानूनी कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में कार्य करता है।
- परिभाषाएँ और व्याख्याएँ:
- किसी कंप्यूटर को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी गई जानकारी को इनपुट माना जाता है।
- कंप्यूटर द्वारा भंडारण या प्रसंस्करण के लिये प्रदान की गई जानकारी, भले ही इसकी सामान्य गतिविधियों का भाग न हो, फिर भी इन्हें उन गतिविधियों का भाग माना जाता है।
- प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष माध्यमों की परवाह किये बिना कंप्यूटर आउटपुट को कंप्यूटर द्वारा उत्पादित माना जाता है।