होम / करेंट अफेयर्स
आपराधिक कानून
यौन शोषण
« »01-May-2024
सौकिन बनाम NCT राज्य नई दिल्ली "यौन शोषण निजता के गंभीर उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक खतरा है”। न्यायमूर्ति अमित महाजन |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सौकिन बनाम NCT राज्य नई दिल्ली के मामले में माना है कि यौन शोषण निजता के गंभीर उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक खतरा है।
सौकिन बनाम NCT राज्य नई दिल्ली मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- वर्तमान मामले में FIR शिकायतकर्त्ता दीवान सिंह मलिक के कहने पर दर्ज की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि 10 अक्टूबर 2022 को उन्हें एक अज्ञात महिला से व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसने निजी वीडियो कॉल के लिये ज़ोर दिया और बाद में वीडियो कॉल रिकॉर्ड कर लिया।
- इसके बाद, शिकायतकर्त्ता को अलग-अलग मोबाइल नंबरों से कई कॉल आईं, जिन्होंने स्वयं को पुलिस अधिकारी/यूट्यूब कर्मचारी के रूप में प्रस्तुत किया तथा यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम से वीडियो हटाने के बहाने और झूठे आरोप लगाने की धमकी देकर कुल ₹16 लाख की रकम वसूल लिये। वीडियो में महिला की हत्या का मामला एवं उसके परिवार के साथ मामला सुलझाने का झाँसा दिया।
- पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अन्य आरोपियों के साथ-साथ वर्तमान आवेदकों के नामों का भी प्रकटन किया। उन्होंने बताया कि वे वर्तमान आवेदकों के साथ मिलकर ऐसे अपराध करते थे।
- इसके बाद, आवेदकों ने भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धाराओं के अधीन दण्डनीय अपराधों के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत याचिका दायर की।
- अपराध की प्रकृति को देखते हुए, आवेदकों को गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत देने का कोई आधार नहीं बनता है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि यौन शोषण निजता के गंभीर उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक खतरा है। इसमें पीड़ितों से पैसे या उपकार वसूलने के लिये प्राप्त अंतरंग चित्रों एवं वीडियो का शोषण निहित है, जो अक्सर गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है।
- यह साइबर-आधारित अपराध न केवल व्यक्तिगत गरिमा को कमज़ोर करता है बल्कि इसकी गुप्त एवं अन्य के क्षेत्राधिकार में अनाधिकृत प्रवेश की प्रकृति के कारण विधिक व्यवस्था के लिये गंभीर चुनौतियाँ भी पैदा करता है।
यौन शोषण क्या है?
परिचय:
- यौन शोषण की व्युत्पत्ति सेक्स और शोषण शब्दों के मेल से हुई है।
- IPC की धारा 383 उद्दापन से संबंधित है तथा कहती है कि जो कोई जानबूझकर किसी व्यक्ति को उस व्यक्ति या किसी अन्य को चोट पहुँचाने के भय में डालता है और इस तरह बेईमानी से उस व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति को कोई संपत्ति, या मूल्यवान सुरक्षा देने के लिये प्रेरित करता है या हस्ताक्षरित या मुहरबंद कोई भी वस्तु जिसे मूल्यवान सुरक्षा में परिवर्तित किया जा सकता है, उद्दापन का अपराध करता है।
- IPC की धारा 384 में उद्दापन के लिये सज़ा का प्रावधान है तथा कहा गया है कि जो कोई भी उद्दापन करेगा, उसे तीन वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- यह यौन शोषण का एक रूप है जिसमें एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अंतरंग स्थितियों में सम्मिलित होने की तस्वीरें या वीडियो सार्वजनिक रूप से पोस्ट करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता या डराता है।
- इसमें किसी व्यक्ति पर उद्दापन करने वाले को पैसे या कोई अन्य संपत्ति देने के लिये दबाव डालना शामिल है, ऐसा न करने पर उद्दापन करने वाला उन्हें उनकी निजी चित्रों एवं वीडियो को इंटरनेट पर लीक करने की धमकी देता है।
- भारत में, हमारे पास अभी भी ऐसी कोई विधि नहीं है, जो विशेष रूप से यौन शोषण के अपराध से संबंधित हो। हालाँकि, यौन शोषण से निपटने के लिये इसमें विभिन्न कानून हैं।
यौन शोषण को अभियोजित करने वाली विधियाँ:
- भारत में निम्नलिखित विधिक प्रावधान यौन शोषण को अभियोजित करते हैं:
विधिक प्रावधान |
उद्देश्य |
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 |
इसे घरेलू दुर्व्यवहार से पीड़ित महिलाओं को सहारा प्रदान करने के लिये अधिनियमित किया गया था। |
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013 |
यह अधिनियम महिला को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है। |
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 |
यह अधिनियम बच्चों के यौन शोषण के मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में काम करता है। |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
इसमें साइबर अपराध से संबंधित कुछ यौन अपराधों को शामिल किया गया है। |
भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 354 (a से d)। |
यह विभिन्न प्रकार के यौन अपराधों के लिये दण्ड निर्धारित करता है। |
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 108(1)(i)(a)। |
यह पीड़ित को मजिस्ट्रेट से संपर्क करने और अश्लील सामग्री के प्रसार के बारे में सीधे मजिस्ट्रेट को शिकायत दर्ज करने की शक्ति देता है। |
भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 376(2) |
यह विशिष्ट परिस्थितियों में अधिकार के दुरुपयोग के कारण होने वाले बलात्संग के लिये है। |
यौन शोषण से निपटने के तरीके:
- किसी को भी अपना निजी डेटा, चित्र या वीडियो इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से साझा करने से बचना चाहिये।
- डेटा सुरक्षा के लिये उन्नत सुरक्षा एवं गोपनीयता हेतु सेटिंग्स का उपयोग करें।
- विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अनजान व्यक्तियों के अनुरोध स्वीकार करके उनका मनोरंजन करने से बचें।
- किसी भी व्यक्ति को अंतरंगता के बलात् संकेत न दें।
- किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह कितना भी करीबी क्यों न हो, किसी भी अंतरंग गतिविधि की तस्वीर या वीडियो खींचने की अनुमति न दें।
- यदि आप कोई संदिग्ध गतिविधि देखते हैं तो उपयोगकर्त्ता को रिपोर्ट करें।
- अपने डेटा की सुरक्षा के लिये दो-चरणीय सत्यापन उपायों का उपयोग करें।
- डेटिंग सेवाएँ प्रदान करने का दावा करने वाले संदिग्ध पॉप-अप पर क्लिक करने से बचें।